आईएसबीएम विश्वविद्यालय में हुआ विश्व ओजोन सप्ताह का आयोजन
गरियाबंद। 19 सितम्बर को आई एस बी एम विश्वविद्यालय में विश्व ओजोन सप्ताह में समापन कार्यक्रम का आयोजन किया गया, जो जीवन के लिए ओजोन विषय पर आधारित रहा, कार्यक्रम की अध्यक्ष विभाग प्रमुख ने व रूपरेखा सहायक प्राध्यापक सुनील सर ने किया। सांइस क्लब के मार्गदर्शन व संचालन में यह कार्यक्रम किया गया।
जिसके मुख्य अतिथि विश्वविद्यालय के वाइस चांसलर डॉ आनंद महलवार सर ने ओजोन दिवस के बारे में बताया कि ओजोन परत की संरचना कैसे हुआ है। पर्यावरण संतुलन में ओजोन होल जो 25 वर्ग मीटर अंतरकटिका में फैला है वह पर्यावरण के लिए कितना घातक है। यू वी, कार्बन फुट प्रिंट हमारे लिए और आने वाले जेनरेशन के लिए बहुत जरूरी है। विश्वविद्यालय के रजिस्टार सर डॉ बी पी भोल ने बताया की ग्लोबल प्रोटेक्शन बहुत ही जरुरी है, हमारे लिए ही नहीं, अपितु सभी जीवों के लिए भी जरूरी है। हमारे द्वारा उपयोग किए जाने वाले रसायनों के कारण ओजोन सुरक्षा व्यवस्था बिगड़ रहा है। तो हमे चाहिए की ऑर्गेनिक और इनॉर्गेनिक फार्मिंग का उपयोग करें। हम विकास करें मगर ग्रीन डेवलपमेंट करें। प्लास्टिक, पेपर प्रोडक्शन के साथ-साथ घरेलू दैनिक जीवन चर्या से भी ओजोन को नुकसान पहुंचा रहे है, हमे अपनी जिम्मेदारी समझनी चाहिए।
तत्पश्चात विश्वविद्यालय के अधिष्ठता प्राध्यापक डॉ एन कुमार स्वामी ने बताया की हमारी जीवन शैली किस तरफ जा रहा है और पर्यावरण के प्रति हमारी जिम्मेदारी व कर्तव्य से अवगत कराया। इसके बाद मौखिक प्रस्तुति और पोस्टर प्रतियोगिता का आयोजन किया गया, जिसमें एम एस सी रसायन के विद्यार्थी लक्ष्मी ने बताई की uv से ओजोन की विघटन से किस प्रकार आजकल ह्यूमन पर स्किन कैंसर तथा आंखों पर बुरा प्रभाव पड़ रहा है, कैसे ओजोन की सुरक्षा किया जा सकता है। इसके बाद बी एस सी तृतीय वर्ष की छात्रा चंद्रकिरण ने बताई की किस प्रकार ओजोन पर हो रहे विघटन को रोकने के लिए विश्व द्वारा किए गए प्रयास जैसे मोनेट्रोल प्रोग्राम के विभिन्न बिंदुओं को विस्तार पूर्वक चर्चा किया। फिर एम एस सी तृतीय सेमेस्टर जंतुविज्ञान की छात्रा आरजू परवीन ने ओजोन विघटन का स्वास्थ्य पर होने वाले प्रभाव के बारे में बताया की गोरे त्वचा पर यू वी का ज्यादा प्रभाव दिखता है। समय पूर्व बुढ़ापा का आना, जीन उत्परिवर्तन आदि होता है, साथ ही हमें सनस्क्रीन के उपयोग दिन में चार बार लगाना, पूरा कवर्ड क्लॉथ पहने, धूप के चस्मा (काला रंग) का उपयोग करने से ओजोन के कुप्रभाव से अपने आपको बचाया जा सकता है।
मौखिक प्रस्तुति प्रतियोगिता में वर्षा, लक्ष्मी और चंद्रकिरण क्रमिक रूप से प्रथम द्वितीय और तृतीय स्थान प्राप्त किया और पोस्टर प्रतियोगिता में कामिनी, लक्ष्मी और उमेश कुमार ने प्रथम द्वितीय और तृतीय स्थान प्राप्त किया। इस कार्यक्रम में विश्वविद्यालय के विद्यार्थियों ने अधिकाधिक संख्या में शामिल होकर कार्यक्रम से “ओजोन जीवन के लिए ” को समझा और जानने का प्रयास किया।