साफ सफाई के नाम पर लाखों रुपए का राशि आहरण, फिर कैसे गौठान बना कूड़ादान

छत्तीसगढ़ सरकार की महत्वकांक्षी योजना का ग्राम पंचायत भेजीपदर में बुरा हाल

देवभोग @ देवीचरण ठाकुर। मैनपुर विकासखंड के ग्राम पंचायत भेजीपदर में लाखों रुपये खर्च कर बनाई गई गौठानो में अव्यस्था देखी गई हैं।छत्तीसगढ़ सरकार की महत्वकांक्षी योजना का बुरा हाल भेजीपदर,डूमाघाट, उरमाल के अलावा अन्य पंचायतों में भी हैं,लाखों रुपये खर्च कर बनाये गए भेजीपदर गौठान में कचरे और पेड़ पौधे के झुंड के शिवाय और कुछ नजर नहीं रहा हैं,देखने में ऐसा प्रतीत होता हैं यह गौठान नहीं गांव का सार्वजनिक कूड़ादान हैं। जबकि जिम्मेदार सरपंच सचिव गांव में साफ सफाई के नाम पर 14वे वित्त एवं 15वे वित्त से लगभग 1 लाख 70 हजार राशि आहरण करने के बाद भी न गांव की गलियां साफ हुआ न गौठान को साफ सुथरा रख पाए। अब सवाल यह उठता हैं पंचायतों को मॉनिटरिंग करने वाले अधिकारियों मॉनिटरिंग किन चीजों का करने आते हैं,

आखिरकार अधिकारी छग सरकार की महती योजना में पलीता लगाने वाले सचिव सरपंच पर शिकंजा कसने में नाकाम और बेबस क्यों हैं। या इन्होंने भूपेश सरकार की योजनाओ को बदनाम करने का बेड़ा उठाया हुआ है। मजे वाली बात तो यह है कि भेजीपदर के गौठान को बने साल भर से ज्यादा समय बीत चूके लेकिन इस गौठान में अब तक के कूल 37 क्विंटल 46 किलो गोबर ही खरीदी की गई है,और वर्मी कंपोस्ट खाद बनाने के मामले में भी जीरो के बराबर हैं। फिर भी जिम्मेदारों की नजर इस ओर अब तक नहीं पड़ी हैं। छत्तीसगढ़ सरकार की महती योजनाओं में से एक नरवा गरुवा धुरवा बाड़ी के तहत बनाई गई एसे कई गौठाने हैं जो शो पीस बनकर रह गई हैं। इस बीच हमारे संवाददाता ने भेजीपदर के अलावा डूमाघाट,उरमाल के अलावा क्षेत्र के अन्य गौठानो का भी जायजा लिया जहां कई तरह के खामियां देखी गई हैं। इन गौठानों में कही के वर्मी टैंक में फटी पड़ी है तो कही मवेशियों के लिए पानी पीने की सुविधा नहीं हैं,तो कही चारा सड़े गले अवस्था में दिखे। इन सब अव्यवस्था को देख अंदाजा लगाया जा सकता कि योजनाओं का क्रियान्वयन किस हद तक जिम्मेदार करवाने में सफल हैं। बहरहाल देखने वाली बात यह होगी कि गौठानों में व्यवस्था कब तक दुरुस्त होगी।

अंजली खालको जनपद पंचायत सीईओ मैनपुर- आपके माध्यम से जानकारी मिली मैं ग्राम पंचायत सचिव को बोलकर व्यवस्था दुरुस्त करवाती हूं,एवं मैं स्वयं गौठान देखने भी जाऊंगी।

Exit mobile version