25 गाँवों के ग्रामीणों ने निकाली रैली, किये जमकर नारेबाजी
कांकेर @ धनंजय चंद। आदिवासियों का जीविकोपार्जन का मूल स्रोत वनोपज है। चाहे वह कोदो, कुटकी हो या महुआ, तेंदू पत्ता या बांस। तमाम प्रकार के वनोपजों के संग्रहण से अच्छी खासी आमदनी हो जाती है। परंतु काफी लंबे अरसे से संग्राहकों को सही मूल्य नही मिलने के वजह से विभिन्न जगहों पर संग्रहकॉ का गुस्सा सरकार के ख़िलाफ देखने को भी मिला है।बांस का सही मूल्य नही मिलने के चलते पिछले लंबे अरसे से बांस कटाई का काम ठप्प पड़ा हुआ है। साथ ही इस साल इलाके के बीस से अधिक समितियो ने तेंदूपत्ता नही तोड़ा।क्योंकि उनको सही मूल्य नही मिला।जिससे सरकार को करोड़ो का नुकसान भी हुआ।
जिसको लेकर पिछले लगभग 3 वर्षो से विभिन्न जगहों पर रैली, प्रदर्शन कर सरकार को ज्ञापन सौंप कर मांग करते रहे है कि उनकी मांगों को अमल में लाया जाए। परन्तु सरकार द्वारा इन संग्राहकों की मांगों को अनसुना करती रही है। जिससे नाराज हजारो आदिवासी ग्रामीणों ने कन्दाड़ी में एकजुट होकर बैठक किये और तमाम बातों को लेकर चर्चा किया गया। धीरे धीरे बैठक रैली का रूप ले ली और रैली के उपरांत कंदाड़ी प्राथमिक स्कूल के पास राज्यपाल के नाम वनपरिक्षेञ अधिकारी पश्चिम सोनपुर को अपना मांग पत्र सौपा और मांगे पूरी नही होने पर आगामी विधानसभा चुनाव का बहिष्कार करते हुए मताधिकार का प्रयोग नही करने की चेतावनी दी है।