Raipur नगर निगम एमआईसी की बैठक में विभिन्न विषयों पर चर्चा की गई , सदस्यों के बीच ही मतभेद, चर्चा के दौरान बड़े घोटाले उजागर
0 एक मामले में बड़ी कार्यवाही की तैयारी वहीं दूसरे मामले में निगम के वरिष्ठ अधिकारियों को बचाया जा रहा
स्टेट हेड – पंकज विश्वकर्मा
रायपुर । नगर निगम रायपुर की मेयर इन काउंसिल की बैठक महापौर एजाज ढेबर की अध्यक्षता एवं एमआईसी सदस्य ज्ञानेश शर्मा, श्री कुमार मेनन, नागभूषण राव, आकाश तिवारी, रितेश त्रिपाठी, सतनाम सिंह पनाग, सहदेव व्यवहार, अजीत कुकरेजा आदि सभी सदस्यों के साथ निगम के वरिष्ठ अधिकारियों सहित सभी जोन कमिश्नर जोन अधीक्षण अभियंताओं, कार्यपालन अभियंताओं, विभागों के प्रभारी अधिकारियों की उपस्थिति में हुई । बैठक में 25 एजेंडा रखें गये साथ ही सभी पर चर्चा की गई। इसके अलावा अतिरिक्त विषयों पर भी चर्चा की गयी. सभी विषयों पर विचार – विमर्श कर एजेंडावार आवश्यकता अनुसार निर्णय लिये गये।
चर्चा के दौरान होडिंग कंपनी का बड़ा घपला आया सामने आया है जिससे निगम को 27 करोड़ की चपत लगी है इस पूरे मामला के सामने आने पर निगम अधिकारियों की बड़ी चूक सामने आयी है। एक विज्ञापन एंजेसी को फायदा पहुंचाने के लिए सभी नियमों को ताक में रखकर आंखें मूंद ली गई तहलका को मिली जानकारी के अनुसार पूरा मामला लगभग 27 करोड़ रुपए के सनसनीखेज घोटाले से जुड़ा है और इस मामले को उजागर करने में सदस्यों की अहम भूमिका रही।
विज्ञापन एसेंजी ग्रेसफुल मीडिया प्राइवेट लिमिटेड ने इस गड़बड़ी को अंजाम दिया है मेयर के समक्ष सभी सदस्यों ने जताई नाराजगी और सतनाम पनाग की जोरदार मांग पर मेयर ने दिए जांच के निर्देश वहीं विज्ञापन एजेंसी ने निगम अधिकारियों से सांठगांठ कर निगम की शर्तो के खिलाफ ज्यादा बड़े और ज्यादा संख्या में यूनीपोल लगाकर नुकसान पहुंचाया है।
शर्तो के उलंघन से करोड़ का राजस्व का नुकसान निगम को हुआ है दरअसल मामला एक शौचालय निर्माण पर 2 यूनीपोल पर लगभग 280 वर्गफीट की जगह के उपयोग का है और जहां शौचालय निर्माण किया जाता है वहीं यूनीपोल स्थापित करना था पंरतु अधिकारियों की सांठगांठ से एजेंसी ने 8 यूनीपोल की स्थापना और निगम की 2000 वर्गफीट ज़मीन के उपयोग के एग्रीमेंट को दरकिनार कर शहर के प्रमुख चौक चौराहों जैसे जयस्तंभ, शारदा, शास्त्री, कोतवाली पर यूनीपोल लगा कर 4100 वर्गफीट की बेशकीमती जमीन पर कब्जा कर लिया है साथ ही बतौर सुरक्षा निधि के रूप में जमा किये गये चेक जो की राशि 13 करोड़ की थी वो चेक भी लागातार 7 बार बाउंस हो गया इतनी बड़ी घटना के बाद भी निगम अधिकारियों ने ना कोई कार्यवाही की बल्कि आंखें मूंद कर सब कुछ चलने दिया। अब टेंडर निरस्तीकरण की तैयारी की जा रही है साथ ही इसमें संलिप्त अधिकारियों की भूमिका पर जांच की मंजूरी और एफ.आई.आर दर्ज कराने की प्रक्रिया शुरू की जायेगी साथ ही इस पूरे मामले को मुख्यमंत्री के समक्ष भी रखने की तैयारी सदस्यों द्वारा की गई है मुख्यमंत्री से मुलाकात के लिए समय भी मांगा गया है
वहीं एक दूसरा मामला पंद्रहवें वित्त आयोग जो की केन्द्र सरकार से जारी पैसों से जुड़ा है। 1.40 करोड़ रुपए की राशि राजधानी के वायु प्रदूषण के नियंत्रण के लिए जारी की गई थी पंरतु नियमों को ताक में रखकर उस राशि से रोड मार्किंग और दिशासूचक यंत्रों की स्थापना की जा रही है। जो कि पूर्णतः नियम विरुद्ध है किसी मद में प्राप्त पैसों का उपयोग नोडल एजेंसी दूसरे मद के कार्यों में नहीं कर सकती। मद के परिवर्तन के लिए शासन से विधिवत प्रक्रिया का पालन कर अनुमति लेनी आवश्यक है और ये राशि तो केन्द्र सरकार द्वारा जारी की गई हैं। पूरा मामला भ्रष्टाचार से जुड़ा है और मजे की बात ये है वरिष्ठ सदस्य सतनाम पनाग सहित तीन वरिष्ठ सदस्यों की आपत्तियां और विरोध के बावजूद महापौर एजाज ढेबर और पी.डब्लू.डी के सभापति ज्ञानेश शर्मा ने जांच की मांग को खारिज कर दिया और इसके पक्ष में अपनी बातें रखीं।