आज का हिन्दू पंचांग
हिन्दू पंचांग
दिनांक – 04 नवम्बर 2024
दिन – सोमवार
विक्रम संवत् – 2081
अयन – दक्षिणायन
ऋतु – हेमन्त
मास – कार्तिक
पक्ष – शुक्ल
तिथि – तृतीया रात्रि 11:24 तक तत्पश्चात चतुर्थी
नक्षत्र – अनुराधा प्रातः 08:04 तक ज्येष्ठा
योग – शोभन प्रातः 11:44 तक तत्पश्चात अतिगण्ड
राहु काल – प्रातः 08:11 से प्रातः 09:35 तक
सूर्योदय – 06:42
सूर्यास्त – 06:06
दिशा शूल – पूर्व दिशा में
ब्राह्ममुहूर्त – प्रातः 05:04 से 05:55 तक
अभिजीत मुहूर्त – दोपहर 12:01 से दोपहर 12:45 तक
निशिता मुहूर्त- रात्रि 11:58 नवम्बर 04 से रात्रि 12:49 नवम्बर 05 तक
व्रत पर्व विवरण – सर्वार्थ सिद्धि योग (प्रातः 06:46 से प्रातः 08:04 तक)
विशेष – तृतीया को परवल खाना शत्रु वृद्धि करता है। (ब्रह्मवैवर्त पुराण, ब्रह्म खंडः 27.29-34)
हेमंत ऋतु में स्वास्थ्य रक्षा
यह ऋतु विसर्गकाल अर्थात् दक्षिणायन का अन्तकाल कहलाती है । इस काल में चन्द्रमा की शक्ति सूर्य की अपेक्षा अधिक प्रभावशाली होती है इसलिये इस ऋतु में औषधियाँ, वृक्ष, पृथ्वी व जीव-जन्तुओं की पौष्टिकता में भरपूर वृद्धि होती है । शीत ऋतु में शरीर में कफ का संचार होता है तथा पित्तदोष का नाश होता है ।
शीत ऋतु में जठराग्नि अत्यधिक प्रबल रहती है अतः इस समय लिया गया पौष्टिक और बलवर्धक आहार वर्ष भर शरीर को तेज, बल और पुष्टता प्रदान करता है । इस ऋतु में एक स्वस्थ व्यक्ति को अपनी सेहत की तन्दुरुस्ती के लिये किस प्रकार का आहार लेना चाहिए ? शरीररक्षण कैसे हो ? आइये, हम उसे जानें :
शीत ऋतु के इस काल में खट्टा, खारा तथा मधुर रसप्रधान आहार लेना चाहिए ।
पचने में भारी, पौष्टिकता से भरपूर, गरिष्ठ एवं घी से बने पदार्थों का सेवन अधिक करना चाहिए ।
इस ऋतु में सेवन किये हुए खाद्य पदार्थों से ही वर्ष भर शरीर की स्वस्थता की रक्षा का भंडार एकत्रित होता है । अतः उड़दपाक, सोंठपाक जैसे बाजीकारक पदार्थों अथवा च्यवनप्राश आदि का उपयोग करना चाहिए ।
जो पदार्थ पचने में भारी होने के साथ-साथ गरम व स्निग्ध प्रकृति के होते हैं, ऐसे पदार्थ लेने चाहिए ।
दूध, घी, मक्खन, गुड़, खजूर, तिल, खोपरा, सूखा मेवा तथा चरबी बढ़ानेवाले अन्य पौष्टिक पदार्थ इस ऋतु में सेवन करने योग्य माने जाते हैं ।
इन दिनों में ठंडा भोजन नहीं करना चाहिए बल्कि थोड़ा गर्म एवं घी-तेल की प्रधानतावाला भोजन करना चाहिए ।