आज का हिन्दू पंचांग
आज का हिन्दू पंचांग
दिनांक – 21 दिसम्बर 2024
दिन – शनिवार
विक्रम संवत् – 2081
अयन – दक्षिणायन
ऋतु – शिशिर
मास – पौष
पक्ष – कृष्ण
तिथि – षष्ठी दोपहर 12:21 तक, तत्पश्चात सप्तमी
नक्षत्र – पूर्वाफाल्गुनी प्रातः 06:14 दिसम्बर 22 तक, तत्पश्चात उत्तराफाल्गुनी
योग – प्रीति शाम 06:23 तक, तत्पश्चात आयुष्मान्
राहु काल – प्रातः 09:57 से प्रातः 11:18 तक
सूर्योदय – 07:20
सूर्यास्त – 05:55
दिशा शूल – पूर्व दिशा में
ब्राह्ममुहूर्त – प्रातः 05:30 से 06:23 तक
अभिजीत मुहूर्त – दोपहर 12:17 से दोपहर 12:59 तक
निशिता मुहूर्त- रात्रि 12:12 दिसम्बर 22 से रात्रि 01:05 दिसम्बर 22 तक
विशेष – षष्ठी को नीम-भक्षण (पत्ती फल खाने या दातुन मुंह में डालने) से नीच योनियों की प्राप्ति होती है व सप्तमी को ताड़ का फल खाने से रोग बढ़ते हैं और शरीर का नाश होता है। (ब्रह्मवैवर्त पुराण, ब्रह्म खंडः 27.29-34)
मंत्रजप – संबंधी सावधानियाँ
१] माला हेतु स्वच्छता: जूठे मुँह, जूठे हाथ या मल-मूत्र या किसी विवशता में साधना से उठना पड़े तो माला लेकर बैठ गये, नहीं । हाथ-पैर धोकर या स्नान करके मंत्रजप करें । माला पहनकर शौचालय में नहीं जाना चाहिए, अगर चले गये तो मालासहित स्नान कर लें और माला धो के पहन लें । स्त्रियों को रात्रि में मासिक धर्म हो गया हो तो स्नान जरुर कर लेना चाहिए ।
२] मासिक धर्म में : महिलाओं को मासिक धर्म में न तो माला पहननी चाहिए न माला घुमानी चाहिए और न ॐकार मंत्र जपना चाहिए । जैसे ‘हरि ॐ’ मंत्र है तो ‘हरि, हरि’ जपें, ‘ॐ नम:शिवाय’ मंत्र है तो ‘नम:शिवाय’ जपें ।’ॐ ऐं नम:’ है तो ‘ऐं नम:’ जपें ।
३] जननाशौच व मरणाशौच में : जननाशौच (संतान – जन्म के समय लगनेवाला अशौच अर्थात सूतक ) के समय प्रसूतिका स्त्री (संतान की माता ) ४० दिन तक व संतान का पिता १० दिन तक माला लेकर जप न करें । इसी प्रकार मरणाशौच (मृत्यु के समय लगनेवाला अशौच अर्थात पातक) में १३ दिन तक माला लेकर जप नहीं किया जा सकता किंतु मानसिक जप तो प्रत्येक अवस्था में किया जा सकता है ।