रायपुर। केंद्रीय राज्यमंत्री रेणुका सिंह ने 12 समुदायों को अनुसूचित जनजाति सूची में शामिल किए जाने पर प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी, केंद्रीय मंत्री द्वय अमित शाह व अर्जुन मुण्डा का आभार व्यक्त किया है। इस संबंध में संंसद में प्रस्तुत विधेयक पर हुई चर्चा में भाग लेकर श्रीमती सिंह ने कहा कि छत्तीसगढ़ में आदिवासी समाज की 42 जातियाँ निवास करती हैं। आज का यह दिन न केवल छत्तीसगढ़ में निवासरत आदिवासी समुदायों के लिए, अपितु देशभर में निवासरत 700 (सात सौ) जनजाति समुदायों के लिए ऐतिहासिक है। जिन 12 जातियों को सूची में लाने के लिए यह संशोधन प्रस्ताव लाया गया है, उनमें से 10 जातियाँ लिपिकीय त्रुटियों के कारण संविधान प्रदत्त अधिकारों और लाभ से आजादी के इतने वर्षों बाद भी वंचित थीं।
केंद्रीय राज्यमंत्री श्रीमती सिंह ने चर्चा के दौरान छत्तीसगढ़ में राष्ट्रपति का दत्तक पुत्र कही जाने वाली विशेष पिछड़ी पण्डो जनजाति समाज का उल्लेख कर कहा कि आजादी के 75 वर्ष बाद भी अनुसूचित जनजाति सूची में शामिल नहीं किए गए थे। छत्तीसगढ़ आदिवासी बहुल राज्य है जहाँ आदिवासियों को त्रि-स्तरीय पंचायत चुनावों में भाग लेने का अधिकार प्राप्त है, लेकिन सूची से बाहर जनजाति समुदायों के लोग किसी भी तरह चुनाव में भाग नहीं ले पाते थे। श्रीमती सिंह ने कहा कि प्रधानमंत्री श्री मोदी व केंद्रीय मंत्री श्री मुंडा के प्रयासों से सभी अनुसूचित जनजाति समुदायों को उनका अधिकार मिला। सदन में विपक्ष की गैर मौजूदगी पर कटाक्ष कर केंद्रीय राज्यमंत्री श्रीमती सिंह ने कहा कि आज छत्तीसगढ़ के कोटे से आने वाले राज्यसभा सदस्यों को सदन में उपस्थित होकर इस विधेयक का स्वागत व समर्थन करना था।
सदन से बाहर दोनों राज्ससभा सदस्य केंद्र सरकार पर मदद नहीं करने का आरोप लगाते हैं। आज सदन में वे होते इस विधेयक पर खुश होते, लेकिन उन्होंने यह अवसर गँवाया है। श्रीमती सिंह ने कहा कि अविभाजित मध्यप्रदेश में जनजातियों को उनका अधिकार नहीं मिल रहा था, इसलिए पूर्व प्रधानमंत्री भारत रत्न स्व. अटलजी ने छत्तीसगढ़ राज्य का निर्माण किया और 15 वर्षों के भाजपा शासनकाल में तत्कालीन मुख्यमंत्री डॉ. रमन सिंह के नेतृत्व में आदिवासियों के कल्याण के लिए काफी काम हुए।