छत्तीसगढ़ की राजधानी रायपुर का नगर निगम बना भ्रष्टाचार का अड्डा, करोड़ों के भ्रष्टाचारी इंजीनियर को किया सस्पेंड, टर्मिनेट,बहाल और मलाईदार पद-स्थापना

पंकज विश्वकर्मा

रायपुर। छत्तीसगढ़ की राजधानी रायपुर के नगर पालिका निगम में व्याप्त भ्रष्टाचार और अनियमितता इस कदर हावी है कि जहां करोड़ों रुपए के घोटाले अक्सर सामने आते हैं और फिर उसकी जांच के नाम पर लीपापोती कर कार्यवाही के नाम पर सिर्फ खानापूर्ति की जाती है फिर उसी भ्रष्ट अधिकारी जिस पर जांच और कार्यवाही की जाती है उसे बचा कर फिर मलाईदार पदों पर बैठा दिया जाता है। ऐसे कई मामले तहलका ने पहले भी सभी सबूतों के साथ उजागर किये है। ऐसा ही एक बड़ा मामला तहलका के पंकज विश्वकर्मा ने फिर उजागर किया है।

दरअसल पूरा मामला रायपुर नगर निगम के कई भ्रष्ट अधिकारी में से एक इंजीनियर सुधीर भट्ट से जुड़ा है। वित्तीय वर्ष 2022-23 से निगम द्वारा हजारों करोड़ रुपए से ज्यादा के विकास कार्य राजधानी में करायें जा रहे हैं। क्योंकि राजधानी रायपुर में ही चार विधानसभा क्षेत्र और रायपुर लोकसभा का 50 प्रतिशत से ज्यादा का हिस्सा और आबादी शामिल हैं इसलिए केन्द्र सरकार, राज्य सरकार , कारपोरेट सेक्टर सहित अन्य जगहों से जिसमें नगरीय निकाय विकास के अलावा भी कई महत्वपूर्ण मंत्रालय है से पैसा आता है और सभी कार्य के लिए नोडल एजेंसी नगर निगम को बनाया जाता है। इसलिए हजारों करोड़ रुपए के बजट में बंदरबांट के लिए मलाईदार पदों पर अपने लोगों को बैठाया जाता है। इसलिए इंजीनियर सुधीर भट्ट को जोन क्रमांक 6 में पदस्थ किया गया और करोड़ रुपए के भ्रष्टाचार को अंजाम दिया गया। भ्रष्टाचार में निगम के नेता, कुछ अधिकारी एवं कुछ ठेकेदार संलग्न हैं।

पूरा मामला रावतपुरा फेस-2 कॉलोनी चंद्रशेखर वार्ड का पार्ट है। वर्ष 2021-22 में यहां 13 विकास कार्यों के लिए नगर निगम से 4 करोड़ 19 लाख 61 हजार की राशि स्वीकृत हुई।वित्तीय वर्ष 2021 में इसी कॉलोनी में 14 वें वित्त आयोग से 16 काम स्वीकृत हुए जिसके लिए स्वीकृत राशि 1 करोड़ 99 लाख 36 हजार रुपये थी। तब 16 कार्यों के लिए टेंडर प्रक्रिया को टूकड़े-टूकड़े में बांटा गया था, ताकि जोन स्तर पर मैनुअल निविदा निकाली जा सके। वित्तीय वर्ष 2022 में फिर इसी कॉलोनी के लिए अनटाईड फंड से 8 काम स्वीकृत हुए। इसमें स्वीकृत राशि 1 करोड़ 43 लाख 36 हजार थी। अनटाईड फंड वह फंड होता है जिसमें महापौर अपनी स्वेच्छा से आकस्मिक एवं अनिवार्य कार्य को करवा सकते हैं। एक कॉलोनी जिसे प्राइवेट बिल्डर ने डेवलप किया है, जहां 14 वें वित्त आयोग एवं अन्य मद से करोड़ों का कार्य हुआ और वहां महापौर ने अनटाईड फंड से कार्यों की वित्तीय स्वीकृति दे दी। चहेते ठेकेदारों को उपकृत करने के लिए टूकड़े-टूकड़े में टेंडर किया गया। रावतपुरा फेस-2 में अन्य मद से भी 56 लाख 48 हजार की लागत से 3 काम हो चुका है। विकास शुल्क की राशि से स्वीकृत फाईलों में आश्चर्यजनक तरीके से कार्यादेश के पूर्व ही ढलाई की टेस्ट रिपोर्ट दे दी गई।

रावतपुरा फेस-2 में सड़क और नाली निर्माण के लिए निविदा दिनांक 16 नवम्बर 2021 को निकाली गयी जिसमें ठेकेदार को कार्यादेश 27 नवम्बर 2021 को प्रदान किया गया। इसी कार्य में दस्तावेजों में कास्टिंग 9 नवम्बर 2021 दिया गया है। मतलब कार्यादेश के पूर्व ही उपरोक्त स्थल पर रोड की ढलाई हो चुकी थी। स्पष्ट है कि कार्य टेण्डर निकालने के पूर्व ही करवा लिया गया था। जब भी कोई कार्य स्वीकृत होता है उसकी निविदा दो प्रमुख समाचार पत्रों में प्रकाशित होती है। विकास कार्यों की फाइल में दो प्रतिष्ठित अखबारों की कटिंग नस्ती की गई थी। सच्चाई यह है कि दोनों अखबारों में कोई विज्ञापन ही नहीं दिया गया था। दोनों अखबारों में किसी खास जगह को एडिट कर वह फर्जी विज्ञापन चस्पा कर दिया गया और उसकी प्रिंट निकालकर फाइल में लगा दिया गया। इस तरह इन भ्रष्टाचारियों ने मीडिया तक को नहीं छोड़ा।

इसके बाद जांच के नाम पर शुरू हुआ लीपापोती का खेल इंजीनियर सुधीर भट्ट पर शासकीय दस्तावेजों में कूटरचना कर फर्जी दस्तावेज तैयार करने और आर्थिक अनियमितता के आरोप में दिनांक 09/01/2023 को निलंबित कर दिया गया। उच्च अधिकारियों की टीम ने पूरे मामले की जांच की और सभी आरोपों को सही पाया। इसके बाद नगर निगम रायपुर के आयुक्त मंयक चतुर्वेदी, आईएएस ने 24/05/2023 को अपने आदेश में इंजीनियर सुधीर भट्ट को टर्मिनेट कर दिया। मतलब इंजीनियर सुधीर भट्ट को शासकीय सेवा से पूर्णतया अलग कर दिया गया। पंरतु फिर अचानक उन्हें निगम के जोन क्रमांक – 4 में पदस्थ कर जल विभाग जैसा महत्वपूर्ण कार्य के लिए पदस्थापना दी गई। जबकि तहलका के पास इंजीनियर सुधीर भट्ट के भ्रष्टाचार से जुड़े कुछ और मामलों की फाइल है जिसमें उन्होंने बगैर विकास कार्य कराए लाखों रुपए का बिल ठेकेदारों के नाम पर काट कर, शासकीय खजाने से राशि निकाल ली। इसके बावजूद इंजीनियर सुधीर भट्ट नगर निगम रायपुर में कार्यरत हैं और अपने भ्रष्टाचार के खेल को खेल रहे हैं और अपने आकाओं सहित खुद के लिए भी करोड़ों रुपए बना रहे हैं।

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