छत्तीसगढ़

एकता और भाईचारे का बंधन भौगोलिक सीमाओं को पार कर सद्भाव के वातावरण को बढ़ावा देता है – राज्यपाल विश्वभूषण हरिचंदन

राजभवन में हर्षोल्लास के साथ मनाया गया ओडिशा, हिमाचल प्रदेश और सिक्किम राज्यों का स्थापना दिवस

रायपुर। राजभवन में आज ओडिशा, हिमाचल प्रदेश और सिक्किम राज्यों का स्थापना दिवस हर्षोल्लास के साथ मनाया गया। राज्यपाल विश्वभूषण हरिचंदन ने इस अवसर पर कहा कि हमारे बीच एकता और भाईचारे का बंधन भौगोलिक सीमाओं को पार कर सद्भाव के वातावरण को बढ़ावा देता है। विभिन्न राज्यों के लोगों की उपस्थिति ने छत्तीसगढ़ के आर्थिक और सामाजिक परिदृश्य में नये विचारों, दृष्टिकोण और कौशल का संचार किया है।

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की पहल पर शुरू की गई केन्द्र सरकार के “एक भारत-श्रेष्ठ भारत” कार्यक्रम के तहत विविधता में एकता की भावना को बढ़ावा देने के लिए सभी राज्य एक-दूसरे राज्यों का स्थापना दिवस मना रहे हैं। इसी कड़ी में राजभवन में यह कार्यक्रम आयोजित किया गया था। जिसमें छत्तीसगढ़ में निवास करने वाले ओडिशा, हिमाचल प्रदेश और सिक्किम राज्य के लोगों ने उत्साह के साथ भाग लिया। राज्यपाल ने स्थापना दिवस के अवसर पर सभी को बधाई दी।

कार्यक्रम में राज्यपाल श्री विश्वभूषण हरिचंदन ने कहा कि छत्तीसगढ़ को अपना घर कहने वाले इन राज्यों के लोगों के अपार योगदान के लिए उनके सामने खड़े होकर आभार व्यक्त करना परम सौभाग्य की बात है। हमें गर्व है कि हमारे बीच ओडिशा, हिमाचल प्रदेश और सिक्किम के लोग हैं, जो हमारे जीवन को समृद्ध बना रहे हैं और छत्तीसगढ़ के उत्थान और विकास में योगदान दे रहे हैं। उन्होंने यहां की सांस्कृतिक विरासत को समृद्ध किया है और इसकी प्रगति को गति दी है।


उन्होंने कहा कि ओडिशा के लोगों के कृषि ज्ञान और कौशल ने छत्तीसगढ़ में कृषि पद्धतियों की उन्नति में योगदान दिया है, जबकि खनन में उनके अनुभव ने राज्य में खनन उद्योग के विकास में मदद की है। इसके अलावा, ओडिशा के नागरिकों ने अपने अनूठे त्योहारों, नृत्य रूपों और हस्तशिल्प के साथ छत्तीसगढ़ की सांस्कृतिक विविधता को समृद्ध किया है।

राज्यपाल ने कहा कि छत्तीसगढ़ में पर्यटन, बागवानी और शिक्षा जैसे क्षेत्रों के विकास में हिमाचल के नागरिकों की भी महत्वपूर्ण भूमिका रही है। स्थायी पर्यटन को बढ़ावा देने में उनकी विशेषज्ञता से राज्य में पर्यटन उद्योग का विकास हुआ है। इसके अलावा, बागवानी में उनके ज्ञान ने कृषि विधियों में मदद की, जबकि शिक्षा के क्षेत्र में उनके योगदान ने छत्तीसगढ़ के युवाओं को सशक्त बनाया है।

श्री हरिचंदन ने कहा कि सिक्किम राज्य के नागरिकों ने अपनी परंपराओं को साझा किया है, जिसमें उनके विशिष्ट कला रूप, संगीत और व्यंजन शामिल हैं। जिसने छत्तीसगढ़ की सांस्कृतिक विरासत को जीवंत स्पर्श किया है। उन्होंने न केवल राज्य की अर्थव्यवस्था में योगदान दिया है बल्कि सामाजिक एकीकरण और सांस्कृतिक आदान-प्रदान को भी बढ़ावा दिया है।

कार्यक्रम में उपस्थित तीनों राज्यों के बच्चों एवं युवाओं ने अपने राज्य की संस्कृति एवं लोक परंपरा आधारित संास्कृतिक कार्यक्रमों की प्रस्तुति दी। ओडिशा राज्य के ओडिशी नृत्य, हिमाचल के नाटी नृत्य, सिक्किम के मारूनी नृत्य, वंदे उत्कल जननी नृत्य ने अपनी पारंपरिक छटा बिखेर दी।

तीनों राज्यों के प्रतिनिधियों श्री पुरंदर मिश्रा, श्री विवेक आचार्य, और श्रीमती संगीता मदान ने राज्यपाल को अपने राज्य की ओर से सम्मानित किया। राज्यपाल द्वारा भी विशिष्ट कार्य करने वाले इन राज्यों के व्यक्तियों एवं मेधावी विद्यार्थियों को सम्मानित किया।

पद्मश्री भारती बंधु, भारतीय प्रशासनिक सेवा के सेवानिवृत्त अधिकारी श्री एम.के. रावत, श्री पी. सी. दलेई, श्री एस. के. मिश्रा, सेवानिवृत्त लेफ्टीनेंट कर्नल श्री डी. के. वर्मा, साहित्यकार डाॅ. चितरंजन कर, समाजसेवी श्री अरूण पण्डा सहित अन्य विशिष्ट जनों को सम्मानित किया गया। कार्यक्रम में अतिरिक्त मुख्य सचिव श्री सुब्रत साहू, राज्यपाल के सचिव श्री अमृत खलखो, उपसचिव श्री दीपक अग्रवाल तीनों राज्यों के छत्तीसगढ़ में निवासरत, बच्चे, युवा, महिलाए एवं गणमान्य नागरिक बड़ी संख्या में उपस्थित रहे।

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