तेंदूपत्ता का 600 रुपए सैकड़ा नहीं होने तक तेंदुपत्ता तोड़ई रहेगी बंद, कोयलीबेड़ा ब्लॉक के 17 समितियां होगी प्रभावित

कांकेर @ धनंजय चंद। 600 रुपए सैकड़ा नहीं होने पर कोयलीबेड़ा ब्लॉक के 17 समितियों के अंतर्गत आने वाले ग्रामीण तेंदूपत्ता नहीं तोड़ेंगे । कुछ दिनों पहले 13 सूत्रीय मांग को लेकर सर्व आदिवासी समाज का एक दिवसीय धरना प्रदर्शन किया था। जिसमें सैकड़ो की संख्या में ग्रामीणों ने संगम और छोटेबैठिया में प्रदर्शन कर राज्यपाल के नाम प्रशासन को ज्ञापन सौपा था ।

तेंदूपत्ता तोड़ाई बन्द होने से करोड़ों का हो सकता है नुकसान

हरा सोना के नाम से जाना जाने वाला तेंदूपत्ता की तोड़ाई अब संकट में पड़ गई है।पखांजूर  इलाके के सत्रह समिति ने तेंदूपत्ता नही तोड़ने का फैसला  लिया है।रविवार को कंदाड़ी ग्राम पंचायत में हुई बैठक में यह निर्णय हुआ है।जिसमें सत्रह समितियों के तमाम पदाधिकारी,ग्रामीण मौजूद थे।ग्रामीणों ने तेंदूपत्ता का मानक बोरा चार हजार से बढ़ाकर छह हजार करने और नगद भुगतान करने की मांग ठेकेदार और विभाग के अफसरों से की,बावजूद मांग पूरी नही होने पर सत्रह समिति ने सर्व समिति से तेंदूपत्ता नही तोड़ने का निर्णय लिया। 
 
पहले भी ग्रामीणों द्वारा हो चुका है प्रदर्शन

कंदाड़ी,माचपल्ली,बेलगाल,छोटेबैठिया,पानावर,रेंगावाही,कामटेड़ा,मरोड़ा,बाराकोट,घोड़ागांव,सीतराम,संगम,कन्हारगांव,पाडेंगा,सावेर से पहुंचे,नवलु ध्रुवा,मंगल पददा,अनिल पवार,सूरज देहारी,कुमा तिमा,राजू मंडावी,चैतू राम,पांडु उसेंडी,दुर्गु ध्रुवा,आयतु पोटाई,नरेश देहारी,मेहरा किरंगा,मधु मटामी,गाधू पददा,ताबु तोप्पा,मैनी कचलामी,मैनु किरंगा गज्जू पददा ने बताया कि तेंदूपत्ता तोड़ाई का सीजन पहुंचने से पहले ही छोटेबैठिया और संगम में सैकड़ों ग्रामीणों ने रैली प्रदर्शन कर तेंदूपत्ता का मानक बोरा छह हजार और नगद भुगतान करने की मांग को लेकर राज्यपाल के नाम ज्ञापन सौंपा था। ताकि तेंदूपत्ता तोड़ाई का समय आते तक ग्रामीणों की मांगों पर मुहर लग जाये। परन्तु ग्रामीणों की मांगों को गंभीरता से नही लिया गया। जिसके चलते सर्वसम्मति से बैठक कर यह फैसला लिया गया है। दिनों दिन प्रत्येक चीजो की दरें बढ़ रही है। इस कारण से तेंदूपत्ता की दर भी बढ़नी चाहिए। जब तक तेंदूपत्ता की दर 600 रूपये प्रति सैकड़ा नहीं होती तब तक तेंदुपत्ता तोड़ई बंद रहेगी। देखने वाली बात यह है कि शासन प्रशासन द्वारा इस प्रकार के सर्व आदिवासी समाज द्वारा चेतावनी देने के बाद शासन प्रशासन की क्या प्रतिक्रिया होंगी।

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