विद्यार्थी हमारे राष्ट्र की विभिन्न चुनौतियों पर कार्य करने के विकल्प पर विचार करें: राज्यपाल विश्वभूषण हरिचंदन

राज्यपाल और मुख्यमंत्री रायपुर के पंडित रविशंकर शुक्ल विश्वविद्यालय के 26वें दीक्षांत समारोह में हुए शामिल

रायपुर। पंडित रविशंकर शुक्ल विश्वविद्यालय के 26वें दीक्षांत समारोह का आयोजन पं. दीनदयाल उपाध्याय ऑडिटोरियम में राज्यपाल तथा कुलाधिपति विश्वभूषण हरिचंदन की अध्यक्षता में सम्पन्न हुआ। उन्होेंने सभी पदक एवं उपाधि प्राप्त विद्यार्थियों को उज्जवल भविष्य की शुभकामनाएं दी और कहा कि विद्यार्थी हमारे राष्ट्र की प्रमुख तकनीकी, सामाजिक, आर्थिक और पर्यावरणीय चुनौतियों पर कार्य करने के विकल्प पर विचार करें, साथ ही सभी विद्यार्थी, राष्ट्र की सेवा में तत्पर रहें।

इस अवसर पर राज्यपाल श्री हरिचंदन ने कहा कि देश को आज इस मुकाम तक पहुँचाने में हमारे स्वतंत्रता संग्राम सेनानियों ने असंख्य कुर्बानियां दी हैं। महात्मा गांधी, सुभाष चन्द्र बोस और अनेक सेनानियों ने अपने-अपने तरीकों से भारत को ब्रिटिश शासन से मुक्ति दिलाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई। गांधी जी के अहिंसात्मक तरीके से देश को आजाद कराने की कोशिश ने पूरे विश्व को आश्चर्य चकित कर दिया था। गांधी जी ने समाज के सभी वर्गाे, विशेष कर विद्यार्थियों को भी आजादी के आंदोलन में शामिल होने का आव्हान किया था। नेता जी सुभाष चंद्र बोस ने दिल्ली चलो का नारा देकर सभी लोगों से सशस्त्र संग्राम में शामिल होने की अपील की थी। हमें उन असंख्य सेनानियों के बलिदान को नहीं भूलना चाहिए। राज्यपाल ने कहा कि देश को आगे ले जाने में विद्यार्थियों की महत्वपूर्ण भूमिका होती है। स्वतंत्रता सेनानियों ने खुद को जिस तरह बलिदान कर देश को स्वतंत्र किया उसी तरह विद्यार्थियों को देश भक्ति की सोच लेकर देश की उन्नति एवं प्रगति में भागीदारी करने का आव्हान किया।

राज्यपाल ने पं. रविशंकर शुक्ल विश्वविद्यालय की प्रशंसा करते हुए कहा कि यह विश्वविद्यालय, राज्य और क्षेत्र के शैक्षिक परिदृश्य का, वट वृक्ष की तरह श्रीवृद्धि कर रहा है और यह छत्तीसगढ़ के अनेक विश्वविद्यालयों का उद्गाता है। उन्होंने विश्वविद्यालय में किये जा रहे अनुसंधानों तथा गुणवत्ता पूर्ण शिक्षा प्रदान करने के लिए निरन्तर किये जा रहे प्रयासों की सराहना की। हाल ही में इस विश्वविद्यालय को विशिष्ट शोध अनुदान से विश्वविद्यालय अनुसंधान और वैज्ञानिक उत्कृष्टता के लिए विज्ञान और प्रौद्योगिक विभाग से 10 करोड़ का अनुदान प्राप्त हुआ है। 21 वीं सदी की जरूरतों को ध्यान रखते हुए नये रोजगारनोन्मुख पाठयक्रम तैयार किये है। विश्वविद्यालय और उद्योगों के बीच मजबूत संबंध बनाने के लिए योजना तैयार की गयी है, जो कॉर्पाेरेट एवं सामाजिक उत्तरदायित्व पूर्ण गतिविधियों को बढ़ावा देगी। उन्होंने विश्वास व्यक्त किया कि उपाधि के साथ विद्यार्थियों ने जो ज्ञान और मूल्य आत्मसात किये है वे उनका मार्गदर्शन करने में सहायक होंगे। राज्यपाल ने कहा कि विश्वविद्यालय राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020 को लागू करने को तैयार है। यह नीति गुणवत्ता, पहुंच और जवाब देही के आधार स्तंभो पर ध्यान केंद्रित कर रही है। विश्वविद्यालय को वृहद स्तर पर समाज के लिए कार्य करने का प्रयास करना चाहिए।

मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने दीक्षांत समारोह को संबोधित करते हुए कहा कि आज दीक्षांत समारोह में 76 प्रतिशत बेटियां उपस्थित हैं। यह नारी सशक्तिकरण का प्रतीक है। महिलाएं अब अबला नहीं सबला बन रही हैं। उन्होंने कहा कि शिक्षा ही एकमात्र माध्यम है, जिसके जरिये हम विकास कर सकते हैं और अपने सपनों को साकार कर सकते हैं। देश और प्रदेश के विकास में प्रदेश के युवाओं की अधिक से अधिक भूमिका हो, इसी उद्देश्य से प्रदेश के आदिवासी बहुल सुदूर बस्तर और सरगुजा सहित ग्रामीण अंचलों में, जहां भी आवश्यकता हुई वहां नए महाविद्यालय प्रारंभ किए जा रहे हैं।

मुख्यमंत्री ने कहा कि छत्तीसगढ़ में शिक्षा के क्षेत्र में अभूतपूर्व कार्य हुए। मध्यप्रदेश के समय में पंडित रविशंकर शुक्ल विश्वविद्यालय छत्तीसगढ़ का एक मात्र विश्वविद्यालय था। यह राज्य का सबसे पुराना तथा सबसे बड़ा विश्वविद्यालय है। इस विश्वविद्यालय ने अनेक गौरवपूर्ण उपलब्धियां हासिल की हैं। छत्तीसगढ़ बनने के बाद अनेक विश्वविद्यालय खुले। बस्तर, सरगुजा, बिलासपुर में विश्वविद्यालय प्रारंभ हुए, केंद्रीय विद्यालय भी खुला। हमने शहीद नंदकुमार पटेल विश्वविद्यालय रायगढ़ और राष्ट्रपिता महात्मा गांधी की 150वीं जयंती पर दुर्ग जिले के पाटन विकासखंड के सांकरा में महात्मा गांधी उद्यानिकी एवं वानिकी विश्वविद्यालय प्रारंभ किया। इंदिरा गांधी कृषि विश्वविद्यालय हमारे लिए धरोहर जैसा है, जिसने कृषि के क्षेत्र में महत्वपूर्ण योगदान दिया है।

मुख्यमंत्री ने कहा कि छत्तीसगढ़ बनने के समय प्रदेश में एक मात्र मेडिकल कॉलेज पंडित जवाहर लाल नेहरू स्मृति चिकित्सा महाविद्यालय था। इसके बाद बिलासपुर में सिम्स, बस्तर, सरगुजा, राजनांदगांव, रायगढ़ में मेडिकल कॉलेज प्रारंभ हुए। पिछले चार वर्षों में कोरबा, कांकेर, महासमुंद में नए मेडिकल कॉलेज खुले, दुर्ग के निजी मेडिकल कॉलेज में अधिग्रहण किया गया और इस वर्ष के बजट में चार मेडिकल कॉलेज प्रारंभ करने के लिए प्रावधान किया गया है। मुख्यमंत्री ने दीक्षांत समारोह के मुख्य वक्ता प्रो. वाई.एस. राजन का छत्तीसगढ़ में स्वागत करते हुए कहा कि यह हमारा सौभाग्य है कि भारतरत्न डॉ. ए.पी.जे. अब्दुल कलाम जी के निकटतम सहयोगी रह चुके प्रसिद्ध अन्तरिक्ष वैज्ञानिक पद्म श्री प्रो. वाई. एस. राजन आज के दीक्षांत समारोह में हमारे बीच हैं। श्री बघेल ने भारत रत्न पूर्व राष्ट्रपति डॉ. ए.पी.जे. अब्दुल कलाम को याद करते हुए कहा कि उनका छत्तीसगढ़ से विशेष लगाव रहा है।

पंडित रविशंकर विश्वविद्यालय के 26 वें दीक्षांत समारोह में राज्यपाल विश्वभूषण हरिचंदन ने राज्य गौसेवा आयोग के अध्यक्ष महंत रामसुंदर दास को संस्कृत विषय में डी. लिट की उपाधि प्रदान की। दीक्षांत समारोह में 127 विद्यार्थियों को 272 स्वर्ण पदक, 294 विद्यार्थियों को पीएच.डी., 1 लाख 17 हजार 31 विद्यार्थियों को स्नातक एवं 44 हजार 704 विद्यार्थियों को स्नातकोत्तर की डिग्री प्रदान की गयी।

सुप्रसिद्ध अंतरिक्ष वैज्ञानिक दीक्षांत समारोेह के मुख्य वक्ता प्रोफेसर वाई.एस. राजन ने समारोह को संबोधित करते हुए कहा कि जीवन से सतत् रूप से सीखते रहने की जरूरत है। विद्यार्थी अपने अकादमिक विषय में महारत हासिल करें और अन्य विषयों से भी सीखें। सभी विषय एक-दूसरे से जुड़े हुए हैं। आप सभी उच्च शिक्षा प्राप्त करके भारत के सामाजिक व आर्थिक क्षेत्र में अपना योगदान दें। रोजगार की आवश्यकताओं के अनुरूप भी स्वयं को ढाले। व्यावहारिक जगत आपकी शैक्षणिक उपलब्धियों के साथ-साथ आपसे कुछ और भी अपेक्षाएं रखता है। इन अपेक्षाओं को समझकर स्वयं को योग्य बनाना ही सफलता की कुंजी है। आप देश के उन सौभाग्यशाली युवाओं में शामिल है, जिन्हें उच्च स्तरीय शिक्षा प्राप्त हुई है। अपने जीवन, तन और मन का विशेष ध्यान रखें। यदि आप अपने मन-मस्तिष्क को खुला रखेंगे तो आपके सामने अवसर ही अवसर होंगे।

पंडित रविशंकर शुक्ल विश्वविद्यालय के कुलपति प्रोफेसर सच्चिदानंद शुक्ल ने स्वागत भाषण में विश्वविद्यालय की गतिविधियों और उपलब्धियों पर प्रकाश डाला। समारोह में कार्यपरिषद एवं विद्यापरिषद के सदस्य, प्राध्यापकगण, शोधार्थी, विश्वविद्यालय के अधिकारी, विद्यार्थी एवं उनके अभिभावकगण उपस्थित थे।

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