नई दिल्ली। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी राज्यसभा में राष्ट्रपति के अभिभाषण पर लाए गए धन्यवाद प्रस्ताव पर बुधवार को चर्चा का जवाब दे रहे थे। पीएम के संबोधन के दौरान राज्यसभा में जोरदार हंगामा हुआ। विपक्ष नारेबाजी करने लगा और हंगामा करते हुए वाकआउट कर दिया। इसपर सभापति ने उन्हें जमकर फटकार लगाई।
अपने संबोधन में प्रधानमंत्री ने कहा, ‘हमारे देश की अर्थव्यवस्था को आगे बढ़ाने में सफलता प्राप्त की। हम देश की अर्थव्यवस्था को दुनिया की टॉप तीन में पहुंचा देंगे। मैं जानता हूं कि यहां कई बुद्धिमान लोग हैं, जो मानते हैं कि ऐसा तो आगे ही होगा। इन लोगों को कुछ करने धरने में विश्वास नहीं है। हमने पिछले 10 वर्षों में जो किया है उसकी गति और विस्तार भी बढ़ाएंगे। हम इस संकल्प को आगे बढ़ाएंगे।’
इसके बाद संबोधन के बीच में विपक्ष की नारेबाजी जारी रही। विपक्ष के सदस्य नारेबाजी और हंगामे के बाद सदन से बाहर जाने लगे। इस पर पीएम मोदी ने कहा कि इनके नसीब में मैदान छोड़ना ही है।
सभापति जगदीप धनखड़ ने कहा कि विपक्ष ने हमें पीठ नहीं दिखाई है। उन्होंने भारत के संविधान का अपमान किया है। वे सदन नहीं मर्यादा छोड़कर गए हैं। देश के 140 करोड़ लोग आहत होंगे। जब आपने अपनी पूरी बात कही तो अब सत्ता पक्ष की बात भी सुनिए। राज्यसभा स्पीकर ने आगे फटकार लगाते हुए कहा, ‘मैं आशा करता हूं कि यह लोग अपने मन को टटोलेंगे और कर्तव्य पर वापस आएंगे।’
पीएम मोदी ने दोबार संबोधन शुरू करते हुए कहा, ‘यह लोग सच्चाई नहीं पचा पा रहे हैं। इसलिए मैदान छोड़कर भाग गए हैं। मैं तो कर्तव्य से जुड़ा हुआ हूं। मैं देशवासियों से जुड़ा हूं। देशवासियों को पल पल का हिसाब देना मेरा कर्तव्य हैं।’
कांग्रेस पर साधा निशाना
पीएम मोदी ने आगे कहा, ‘इस चुनाव नतीजों से कैपिटल मार्केट में तो उछाल नजर आ रहा है, लेकिन देश में भी उमंग का माहौल है। मगर इस बीच कांग्रेस के लोग भी खुशी के जश्न में मग्न हैं। मगर मैं समझ नहीं पाता हूं कि यह खुशी क्या हार की हैट्रिक की है या क्या यह खुशी एक और असफल लॉन्च की है। मैं देख रहा था कि खरगे भी बड़े उत्साहित नजर आ रहे थे। उनकी पार्टी ने उनकी बहुत सेवा की है। इस हार का ठीकरा जिन पर फूटना था उन्हें बचाकर वह खुद आगे खड़े हो गए।’
उन्होंने आगे कहा, ‘उन्हें पता था कि वह हारने वाले हैं, तो उन्होंने दलित को आगे कर दिया। कांग्रेस की एससी, एसटी और ओबीसी विरोधी मानसिकता है। इसी मानसिकता के कारण राष्ट्रपति मुर्मू को अपमान करने का मौका नहीं छोड़ा।’