पूर्व में गठित पांच सदस्यीय जांच दल की अनुसंसा का कोई नही प्रभाव।
रिपोर्टर : सुभाष मिश्रा
रीवा मप्र। मौत की घाटी के नाम से कुख्यात सोहागी पहाड़ एक बार फिर दुर्घटनाओं के इंतजार में बैठा हुआ है। हालत बड़े खराब हैं। सोहागी पहाड़ की इस कुख्यात सड़क का पुराना इतिहास काफी भयावह रहा है।
आरटीआई से प्राप्त जानकारी अनुसार यहां अब तक हजारों दुर्घटनाएं हो चुकी हैं, जिसमे सैकड़ों मासूमों की जानें जा चुकी हैं और हजारों घायल हो चुके हैं। मानसून का सीजन है और एमपीआरडीसी द्वारा बनाई गई इस नेशनल हाईवे सड़क पर एक बार फिर नालीनुमा आकृतियां और खतरनाक गड्ढे बन गए हैं, जिससे वाहन अनियंत्रित होकर घाटियों से टकरा जाते हैं अथवा एक दूसरे से भिड़ जाते हैं, जिससे आए दिन सोहागी घाटी में दुर्घटनाएं होती रहती हैं। सोहागी पहाड़ में दुर्घटनाओं का इतिहास दशकों पुराना है पर जब से यह नई एमपीआरडीसी सड़क बनाई गई है, तब से विशेष तौर से अधिक दुर्घटनाएं देखने को मिल रही हैं। तकनीकी तौर पर देखा जाय तो सड़क की सही डिजाइन और ज्योमेट्री न बनाए जाने के कारण यह ज्यादातर दुर्घटनाएं हो रही हैं।
इस मामले को पहले भी सामाजिक कार्यकर्ता शिवानंद द्विवेदी ने उठाया था और इस पर कई आरटीआई भी दायर की थीं, जिसके बाद काफी सनसनीखेज खुलासे हुए थे। मामले पर इंजीनियरिंग कॉलेज रीवा के प्रोफेसर की अध्यक्षता में जांच टीम भी गठित हुई थी। उनकी जांच रिपोर्ट में सड़क निर्माण संबंधी कई खामियां भी प्रकाश में आईं, लेकिन सब ठंडे बस्ते में डाल दी गई। तत्कालीन एडीएम शैलेंद्र सिंह की अगुआई में मामले की मजिस्ट्रियल जांच भी गठित की गई लेकिन कहां दफन हो गई किसी को कोई पता नहीं।
इन सबके बाबजूद भी मामला शांत नही हुआ और समय समय पर होती रही दुर्घटनाओं के बीच सोहागी पहाड़ में बंसल कंपनी के कारनामों के चर्चे भी होते रहे। जहां टोल वसूली में बंसल कंपनी कोई कसर नहीं छोड़ती वहीं सड़क सुरक्षा और दुर्घटनाओं पर चुप्पी साधे रहती है। बड़ा सवाल यह है की बंसल पर कार्यवाही करेगा कौन? कार्यवाही करने वाले शासन प्रशासन पर बैठे अधिकारी तो पहले ही बिक चुके हैं।
अब चूंकि एक बार फिर बरसात का मौसम आ चुका है और ऐसे में दुर्घटनाओं की संभावनाएं बढ़ जाती हैं ऐसे में बंसल द्वारा बनाई गई सोहागी पहाड़ की एमपीआरडीसी की एनएचएआई सड़क एक बार फिर चर्चा में है।