रीवा @ सुभाष मिश्रा। वर्ष 2023 चुनावी साल है। मध्य प्रदेश के विधानसभा चुनाव काफी नजदीक है। मध्य प्रदेश में 230 विधानसभा सीटें हैं, ऐसे में आपको प्रदेश की एक-एक सीट के बारे में बारीकी से जानकारी उपलब्ध करा रहा है। आज हम आपको बताने जा रहे हैं वृंद के रीवा जिले में स्थित सिरमौर विधानसभा सीट के बारे में। इस सीट में पिछले दस सालों से भाजपा का कब्जा है। रीवा राजघराने के राजकुमार दिव्यराज सिंह पिछले दो बार से विधायक हैं। देखा जाए तो रीवा जिले की 8 विधानसभा सीट में विधायक जोगराज सिंह सबसे कम उम्र के चुने गए विधायक हैं, जिन्हें युवा विधायक के रूप में जाना जाता है।
जानिए सिरमौर विधानसभा सीट का समीकरण – आज हम आपको बताने जा रहे हैं रीवा जिले के सिरमौर विधानसभा सीट के बारे में। इस सीट की क्या खासियत है। इस क्षेत्र में पिछले कितने सालों से किस पार्टी का कब्जा है। सिरमौर विधानसभा सीट से 2018 के चुनाव में चुने गए वर्तमान विधायक क्षेत्र की जनता के हित में क्या कार्य कराए हैं। क्या क्षेत्रीय विधायक के द्वारा कराए गए कार्य सिरमौर की जनता संतुष्ट है या फिर नेता द्वारा किए गए वादे कागजों तक सीमित रह गए।
तराई अंचल के नाम से जाना जाता है यह समूचा सिरमौर विधानसभा क्षेत्र। वैसे तो धार्मिक और पर्यटन स्थल के रूप में जाना जाता है, यहां पर भगवान भोलेनाथ के 3 प्राचीन मंदिरों के अलावा एक तराई क्षेत्र वासियों की कुलदेवी माता शीतला का मंदिर है। इन चारों मंदिर के कई रोचक किस्से भी हैं। हर एक मंदिर अपनी अलग-अलग कहानियां बयां करता है। इसके अलावा जहां देश का 24 वा सबसे ऊंचा ड्यूटी और प्रदेश का दूसरा सबसे बड़ा चचाई जलप्रपात है, क्योंकि जलप्रपात से लगा एक 15 ईसवी पुराना किला है, जिसे देखने अवसर यहां पर्यटकों का जमावड़ा लगा रहता है। लेकिन 20 से 25 वर्ष पहले की अगर बात की जाए तो यहां समूचे तराई अंचल में कुख्यात डाकू ददुआ महेश और फौजी का खौफ फैला हुआ था।
जनता ने इस बार बनाया विकास को अपना मुद्दा – मध्यप्रदेश की 230 विधानसभा सीटों मैं होने वाले आगामी विधानसभा चुनाव को लेकर तैयारियां तेज हो गई हो जिसके लिए नेता भी चुनावी मैदान में उतर चुके हैं, वहीं अब जनता भी अपनी समस्याओं पर नेताओं से चर्चा करेंगे। विधानसभा चुनाव की नजदीकियों को देखते हुए रीवा जिले के सिरमौर विधानसभा क्षेत्र की जनता ने इस बार विकास को अपना मुद्दा बनाया है। यहां की जनता अब बदलाव की स्थिति में है, क्योंकि क्षेत्र मैं ज्यादातर विकास कार्य आधार पर लटके हुए है।
2008 में कांग्रेस के श्रीनिवास तिवारी हारे थे चुनाव बसपा को मिली जीत – दरअसल वर्ष 2003 में जिले की मनगवां विधानसभा सीट में मिली हार के बाद कांग्रेस पार्टी के कद्दावर नेता सफेद शेर कहे जाने वाले पंडित निवास तिवारी 2008 के चुनाव में सिरमौर सीट से चुनाव लड़ने के लिए चुनावी मैदान में उतरे, मगर यहां भी उन्हें हार का सामना करना पड़ा और बीएसपी कैंडिडेट राजकुमार रुमलिया इस विधानसभा सीट से जीत हासिल कर विधायक चुने गए।
2013 में श्रीनिवास तिवारी के नाती विवेक तिवारी बबला हारे चुनाव – 2013 में विधानसभा चुनाव में इस विधानसभा सीट से कांग्रेस पार्टी के श्रीनिवास तिवारी के नाती विवेक तिवारी बबला को चुनाव मैदान में उतारा, मगर भारतीय जनता पार्टी ने यहां पर युवा प्रत्याशी उतारकर जीत हासिल की। रीवा राजघराने के युवराज दिव्यराज सिंह पहली बार बीजेपी के टिकट से सिरमौर के विधायक चुने गए।
साल 2018 का विधानसभा चुनाव एक और जहां कांग्रेस के टिकट से पूर्व प्रत्याशी विवेक तिवारी की पत्नी आऊंगा तिवारी को चुनावी मैदान में उतारा गया तो भाजपा ने दोबारा दिव्यराज सिंह को चुनावी रण में खड़ा कर दिया, जिसके बाद शंखनाद हुआ और दिव्यराज सिंह चुनाव जीतकर दोबारा विधायक की कुर्सी पर विराजमान हो गए।