शिवभक्त बाबाधाम के लिए हुए रवाना, सावन मास के पहले सोमवार को गंगाजल चढ़ाने झारखंड के बैजनाथ के लिए निकले
गरियाबंद। श्रावण मास के शुरूआत होते ही शहर सहित रेलवे स्टेशन भगवामय हो गया है। गरियाबंद सहित आसपास के दर्जनों कांवडिय़ों का जत्था रायपुर रेलवे स्टेशन पहुंचा और साउथ बिहार एक्सप्रेस से देवघर के लिए रवाना हुआ। इस दौरान पूरे स्टेशन में बोल-बम-बोल बम के नारे से गूंजायमन रहा। शिव भक्तों ने कहा कि श्रावण मास के पहले दिन सोमवार को शाम को सुल्तानगंज से गंगाजल उठाएंगे और बैजनाथ धाम में भोलेनाथ को जल अपर्ण करेंगे।
गौरतलब हो कि श्रावण मास में भगवान शिव की पूजन का विशेष महत्व होता है। श्रद्धालु भोलेनाथ को गंगा जल से जलाभिषेक कर मनचाहा मनोकामना मांगते हैं, जो भोलेनाथ पूरा भी करते हैं। इसी के चलते भगवान शिव को प्रसन्न करने के लिए जिला मुख्यालय से दर्जनों शिव भक्त भोलेनाथ को गंगा जल से जलाअभिषेक करने के लिए रायगढ़ से देवघर के लिए रवाना हुए। ये सभी कांवडिए नाचते-गाते भगवान शिव की अराधना में लीन होकर मिलो दूर तक पैदल चलकर भगवान शिव को जल चढ़ाकर अपनी मनोकामनाएं को पूरा करेंगे।
इस दौरान शिव भक्तों ने बताया कि कई भक्त ऐसे भी हैं, जिनकी मनोकामनाएं पूरी हो गई है तो वो दोबारा गंगा जल से जलाअभिषेक करने के लिए जा रहे हैं। वहीं कांवडिय़ों के जत्था ने बताया कि हर साल ये श्रावण के पहले ही दिन जल चढ़ाते हैं, इस कारण पहले से ही धाम के लिए रवाना हुए हैं, ताकि सोमवार को सुल्तानगंज से गंगा जल ले कर पैदल चलकर बैजनाथ धाम पहुंचकर भोलेनाथ को गंगाजल चढाएंगे। इस दौरान रायपुर रेल्वे स्टेशन में जब तक साउथ बिहार एक्सप्रेस नहीं आई तब तक बोल बम के नारे गुंजते रहे।
यह है मान्यता :
विश्व प्रसिद्ध मंदिर बाबा बैद्यनाथ जो झारखंड के देवघर में है यहां श्रद्धालु सुल्तानगंज से गंगा जल लेकर आते हैं। इसके अलावा कुछ कावंडिये राऊरकेला के पास स्थित पानपोस के प्रसिद्ध मंदिर में भी जल चढ़ाते हैं। देवघर में पवित्र शिव लिंग है, इसकी मान्यता है कि त्रेता युग में भगवान श्रीरामचंद्र ने अयोध्या के राजा बनने के बाद सुल्तानगंज से गंगाजल भरकर कांवड़ सहित वैद्यनाथ धाम मंदिर में गंगा जल से जलाभिषेक करने पहुंचे थे। इसके बाद यहीं से कांवड़ सहित जलाभिषेक करने की परंपरा शुरू हुई। साथ ही लंका के राजा रावण भी कांवड़ लेकर मंदिर गए और शिव की पूजा आराधना की। तभी से यह मान्यता चली आ रही है, जिससे हर साल पूरे देश से हजारों लोग पहुंच कर भोलेनाथ को गंगा जल चढ़ाते हैं।
बहुत कठीन है मार्ग :
गरियाबंद से रवाना होने वाले कांवडिय़ों सीनियर दबंग भाजपा नेता आशीष शर्मा वरिष्ठ सामाजिक व राजनैतिक नेता पारस देवांगन अधिवक्ता प्रशांत मानिकपुरी पत्रकार गोरेलाल सिन्हा, जीवन एस साहू, अभिषेक डडसेना, लोकेश्वर सिन्हा, रितेश यादव, अतुल गुप्ता, सुमित पारख, लोकेश सिन्हा, धीरज सोनी ने बताया कि सुल्तानगंज से बैजनाथ धाम का रास्ता बहुत कठीन है, इसकी लंबाई करीब 105 किलोमीटर है। कांवड़ यात्रा के दौरान पूरे रास्ते में मेले जैसा नजारा रहता है। इस दौरार बोल बम का भी जत्था रवाना होता है, इस दौरान कांवडिय़ों को सरकारी और स्थानीय लोगों की मदद से रास्ते में तमाम सुविधाएं मुहैया करायी जाती है। जिससे शिव भक्त आसानी से भोलेनाथ के धाम तक पहुंचते हैं।
ट्रेनों में बढ़ी भीड़ :
श्रावण मास की शुरूआत होते ही ट्रेनों में भीड़ बढ़ गई है। शनिवार को रायपुर स्टेशन में अन्य दिनों की अपेक्षा काफी गहमा-गहमी का महौल रहा। इस दौरान यहां अन्य यात्रियों से अधिक कावंडिय़ा ही नजर आ रहे थे। जिसमें महिला, पुरुष व बच्चे भी शामिल थे। इस दौरान कांवडिय़ों के जत्था में शामिल लोगों में अलग ही उत्साह देखने को मिला। इस संबंध में जब इनसे बात की गई तो उनका कहना था कि गंगा जल उठाने के बाद जब चलना शुरू करते हैं तो करीबन 105 किमी का रास्ता कैसे कट जाता है, पता ही नहीं चलता, साथ ही इनका कहना था कि भोलेनाथ का नाम लेते ही सूई, पहाड जैसे कठीन मार्ग आसान हो जाता है, इस कारण यहां महिला-पुरुष व बुजुर्ग भी आसानी से भोलेनाथ के दर्शन कर लेते हैं।