रिपोर्टर : रूपेंद्र कोर्राम
केशकाल। सगीर खान ने कहा कि, छत्तीसगढ़ प्रदेश में आगामी नगरीय निकाय चुनाव को लेकर वार्ड परिसीमन किया जा रहा है, जबकि जनगणना वर्ष 2011 के अनुसार 2014 में परिसीमन किया गया, किन्तु विसंगतियां होने के कारण न्यायालय के आदेश पर 2011 के जनगणना के आधार पर 2019 में पुनः वार्ड परिसीमन हुआ, अब चूंकि 2011 के बाद आम जनगणना हुआ ही नहीं है तो 2024 में वार्ड परिसीमन का कोई आधार ही नहीं है। फिर भी राज्य शासन के आदेश पर वार्ड परिसीमन करवाया जा रहा है।
इसी तारतम्य में नगर पंचायत केशकाल के भी वार्डो परिसीमन का प्रस्तावित परिसीमन व नियम 6 के उपनियम 2 के अनुसार जानकारी में आंकड़े प्रकाशित किए गए, जिसमें वार्ड परिसीमन नगरपालिका अधिनियम,1961 की धारा 29(3) का खुला उल्लघंन किया गया एवं नियम 6 के उपनियम 2 के अनुसार जानकारी में निराधार व भ्रामक आंकड़े प्रकाशित किए गए है। जैसे वार्ड क्रमांक 01 की जनसंख्या जनगणना वर्ष 2011 व परिसीमन वर्ष 2019 के अनुसार 860 थी, इस वार्ड में वार्ड क्रमांक 15 के एक बड़े भाग को जोड़ा गया है तो स्वाभाविक रुप से वार्ड की जनसंख्या बढ़ जाएगी, लेकिन परिसीमन 2024 में नियम 6 के उपनियम 2 के अनुसार जानकारी में जनसंख्या 741 बताई गई है, वार्ड क्रमांक 04 की जनसंख्या जनगणना वर्ष 2011 व परिसीमन वर्ष 2019 के अनुसार 688 थी, इस वार्ड के एक बड़े भाग को वार्ड क्रमांक 05 में शामिल किया गया है तो स्वाभाविक रुप से वार्ड क्रमांक 04 की जनसंख्या पूर्व से कम हो जाएगी, लेकिन परिसीमन 2024 में नियम 6 के उपनियम 2 के अनुसार जानकारी प्रकाशन में जनसंख्या 741 बताई गई है जो संभव ही नहीं क्योंकि वार्ड क्रमांक 04 के एक भाग को वार्ड क्रमांक 05 में शामिल किया गया है तो वार्ड क्रमांक 04 की जनसंख्या कम होगी न की बढ़ेगी।
वार्ड क्रमांक 05 की जनसंख्या जनगणना वर्ष 2011 एवं परिसीमन वर्ष 2019 के अनुसार 795 थी, इस वार्ड में वार्ड क्रमांक 04 के एक भाग को शामिल करने के पश्चात परिसीमन 2024 में नियम 6 के उपनियम 2 के अनुसार जानकारी प्रकाशन में 750 बताई गई है। आश्चर्यजनक रुप से वार्ड क्रमांक 05 की जनसंख्या पहले से कम हो गई, जबकि ज्यादा होनी चाहिए,वार्ड क्रमांक 06 की जनसंख्या जनगणना वर्ष 2011 एवं परिसीमन वर्ष 2019 के अनुसार 755 थी, अब इस वार्ड में वार्ड क्रमांक 13 के एक बड़े भाग को शामिल करने के पश्चात नियम 6 के उपनियम 2 के अनुसार जानकारी प्रकाशन में जनसंख्या 730 बताई गई है। आश्चर्य की बात है जब वार्ड क्रमांक 06 में वार्ड क्रमांक 13 के एक घनी आबादी को शामिल किए जाने के बाद भी जनसंख्या पहले से कम हो गई, आश्चर्य किंतु सत्य। वार्ड क्रमांक 11 की जनसंख्या जनगणना वर्ष 2011 एवं परिसीमन वर्ष 2019 के अनुसार 752 थी, इस वार्ड में वार्ड क्रमांक 10 के एक घनी आबादी को शामिल करने के बाद परिसीमन 2024 के नियम 6 उपनियम 2 के अनुसार जानकारी प्रकाशन में जनसंख्या 743 बताई गई है जो पूरी तरह निराधार व भ्रामक है, क्योंकि वार्ड क्रमांक 11 की जनसंख्या में वृद्धि होगी न की पूर्व से भी कम हो जाएगी।
वार्ड क्रमांक 12 की जनसंख्या जनगणना वर्ष 2011 एवं परिसीमन वर्ष 2019 के अनुसार 587 थी इसे यथावत रखा गया है, लेकिन इस वार्ड की जनसंख्या परिसीमन 2024 के नियम 6 के उपनियम 3 के अनुसार जानकारी प्रकाशन में 732 हो बताई गई है। जब इस वार्ड में किसी अन्य वार्ड के भाग को शामिल ही नहीं किया गया है तो जनसंख्या में वृद्धि कैसे हो गई। इसी तरह वार्ड क्रमांक 13 की जनसंख्या जनगणना वर्ष 2011 एवं परिसीमन वर्ष 2019 के अनुसार 710 थी इस वार्ड के एक घनी आबादी वाले भाग को वार्ड क्रमांक 06 में शामिल करने के पश्चात भी परिसीमन 2024 में नियम 6 उपनियम 2 के अनुसार जानकारी प्रकाशन में जनसंख्या 741 बताई गई है जबकि वार्ड क्रमांक 13 की जनसंख्या कमी होगी न की वृद्धि।
ज्ञात हो कि वार्ड परिसीमन 2024 में नियम 6 उपनियम 2 के अनुसार जानकारी प्रकाशन में अनुसूचित जनजाति आंकड़ों को मनमाने तरीके से फेरफार किया गया है, जिससे आदिवासी बाहुल्य वार्ड क्रमांक 13 बरपारा के स्थान पर आगामी आरक्षण में वार्ड क्रमांक 09 अनुसूचित जनजाति के लिए आरक्षित हो जाएगा जबकि वार्ड क्रमांक 09 में अनुसूचित जनजाति की जनसंख्या अपेक्षाकृत कम है।
इस तरह से वार्ड परिसीमन 2024 में अनेक प्रश्नचिन्ह लग जाते है, क्योंकि नगरपालिका अधिनियम,1961 की धारा 29(3) में निहित प्रावधानों का खुला उल्लघंन किया गया है जो ये कहता है, कि प्रत्येक वार्ड की जनसंख्या पूरे निकाय क्षेत्र में यथासाध्य एक जैसी होगी तथा वार्ड सम्मिलित क्षेत्र संहृत क्षेत्र हो लेकिन इस अवधारणा के विपरीत परिसीमन 2024 में प्रत्येक वार्ड की जनसंख्या एक जैसी नहीं है और वार्डों में सम्मिलित क्षेत्र को संहृत करने बजाय बिखराव किया गया है। वार्ड परिसीमन 2024 की विसंगतियों को दावा आपत्ति में सुधार नहीं किया गया तो मामला उच्च न्यायालय में भी जा सकता है।