सावन सोमवार : रीवा के महामृत्युंजय मंदिर में भगवान शिव के दर्शन के लिए उमड़े श्रद्धालु
रीवा @ सुभाष मिश्रा। सावन मास में सोमवार का विशेष महत्व होता है, सोमवार का दिन भगवान शिव का प्रिय दिन माना गया है। इसीलिए सावन के सोमवार को विशेष माना गया है। इस दिन भगवान शिव की विशेष पूजा की जाती है शिव भक्त इस दिन व्रत रखकर भगवान शिव की उपासना करते हैं। ऐसी मान्यता है कि इस दिन भगवान शिव को उनकी प्रिय चीजों का भोग लगाना चाहिए और अभिषेक कराना चाहिए ऐसा करने से सभी प्रकार की मनोकामनाएं पूर्ण होती हैं। रीवा के महामृत्युंजय मंदिर में सुबह से ही लोगों की लंबी कतार लग गई इस मंदिर के प्रति लोगों की काफी आस्था है और इसका अपना इतिहास है।
सुबह से ही शिव मंदिरों में जयकारो की गूँज सुनाई देने लगी भोर से ही पूजा अर्चना का दौर शुरू हो गया। किला स्थित महामृत्युंजय मंदिर में भी सुबह से ही लोगों की लम्बी कतारे भगवान् के दर्शन के लिए उमड़ पड़ी यह मंदिर शिव आस्था का सबसे बड़ा केंद्र है। कहा जाता है कि महामृत्युजंय मंत्र के जाप से अकाल मृत्यु को टाला जा सकता है और अल्प आयु दीर्घ आयु मे बदल जाती है। महामृत्युंजय मंत्र के जाप से सुख सम्पत्ति और धन-धान्य की प्राप्ति होती है। भगवान महामृत्युंजय का दुनिया का इकलौता मंदिर मध्यप्रदेश के रीवा जिले में अनादिकाल से मौजूद है। ऐसा माना जाता है की रीवा रियासत के इकलौते महामृत्युंजय मंदिर में 1001 छिद्र वाला शिवलिंग है जो दुनिया में और कंही नहीं है जिसकी पूजा अर्चना और यंहा अभिषेक कई गुना फलदायी होता है इसलिए यंहा पर सावन में दूर दूर से श्रृद्धालु यंहा पहुँचते है।
शिव के अनेक रूप हैं उन्हीं रूपों में से एक महामृत्युंजय भी है कहते हैं कि इस रुप की पूजा और मंत्र के जाप से आने वाली हर विपत्ति टल जाती है। भगवान भोलेनाथ का यह रुप रीवा रियासत के किले में विराजमान है। मध्यप्रदेश के रीवा किला परिषर में मौजूद है दुनिया का इकलौता महामृत्युंजय मंदिर यह मंदिर लगभग 400 वर्ष से भी पुराना है जिसमे स्वयंभू महामृत्युंजय विराजते है। इनके वरदान से असाध्य रोगो से छुटकारा मिलता है भय से निजाद मिलती है। ऐसा कहा जाता है कि महामृत्युजंय मंत्र के जाप से अकाल मृत्यु टल जाती है और अल्प आयु दीर्घ आयु मे बदल जाती है। इस मंदिर की विषेषता यह है कि यहां अन्य शिवलिंगों की बनावट से बिल्कुल भिन्न 1001 छिद्र वाला शिवलिंग है। इस तरह का शिवलिंग विश्व के अन्यत्र किसी भी मंदिर में देखने को नही मिलेगा। इस मंदिर मे भगवान शिव के रूप में महामृत्युंजय भगवान की अलौकिक शक्ति वाली शिवलिंग मौजूद है।
मंदिर के निर्माण और मूर्ति स्थापना का कोई लिखित इतिहास नही है लेकिन महामृत्युंजय मंत्र का कई ग्रंथ और पुराणों में वर्णन मिलता है। महामृत्युजंय मंदिर में अलौकिक शक्ति वाली शिवलिंग की प्रतिमा मौजूद है यह शिवलिंग अपने आप में खास हैं। सेंड स्टोन का बना ऐसा शिवलिंग दुनिया में और कही देखने को नही मिलेगा। ऐसा माना जाता है कि बघेल रियासत के महाराज ने यहां पर महामृत्युजंय की अलौकिक शक्ति को भाप लिया था और फिर यहां पर मंदिर की स्थापना के साथ ही रियासत के किले की स्थापना करवाई।मंदिर की स्थापना को लेकर कहा जाता है कि बांधवगढ़ से राजा शिकार के लिए आए थे शिकार के दौरान राजा ने देखा कि एक शेर चीतल को दौड़ा रहा है जब वह मंदिर के समीप आया तो शेर चीतल का शिकार किए बिना लौट गया राजा यह देखकर हैरत में पड़ गए। जिसके बाद राजा ने खुदाई कराई तो गर्भ गृह से महामृत्युंजय भगवान का सफेद शिवलिंग निकला। उस दौरान यह मंदिर चबूतरे में था जिसे आगे चलकर महाराजा भाव सिंह ने भव्य मंदिर का स्वरुप दिया।महामृत्युजंय के जाप से सर्व मनोकामना पूरी होती है इसी मान्यता के चलते श्रद्धालु दूर-दूर से महामृत्युंजय के दर्शन के लिए दौड़े चले आते है।
सावन के साथ ही महाशिवरात्रि और बंसत पंचमी को यहां पर भक्तों का सैलाब उमड़ता है। मंदिर में सुबह से ही भक्तों की भीड़ लगी होती है, लोग दर्शन के लिए घंटों लाइन में लगे रहते है। दिनभर भक्त महामृत्युंजय के दर्शन के साथ ही जलाअभिषेक, जाप और हवन करते है। ऐसा कहां जाता है महामृत्युंजय की कृपा से भक्तों की अकाल मृत्यु टल जाती है, मृत्युभय नही रहता और बिगड़े काम बन जाते है। इसके कई उदाहरण यहां देखने को मिलते है कोई लम्बी बीमारी से छुटकारा पाने के लिए महामृत्युजंय की चौखट मे आता है तो कोई मृत्युभय से महामृत्युंजय का नाम भले ही 12 ज्योर्तिलिंगो में नही है लेकिन इनका स्थान और शक्ति को कम नही आंका जा सकता।