रेत घाट बंद : दाम प्रति ट्रैक्टर1500 रुपये तक बढ़ा

कोरबा। मानसून आगमन को देखते हुए नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल (एनजीटी) के आदेश के बाद रेत घाट बंद हो गए हैं और अब वे सीधे अक्टूबर में ही खुलेंगे। इस अवसर का लाभ उठाने के लिए अवैध संग्रहण में रेत माफियाओ की सक्रियता बढ़ गई है। वर्तमान प्रधानमंत्री आवास सहित अन्य निर्माण कार्य लंबित हैं। ऐसे में सर्वाधिक जरूरत और मांग के बीच रेत की किल्लत में अवैध कारोबारी लाभ कमाने में जुट गए हैं। जिले में अधिकृत रूप से 12 लोगों को ही खनिज विभाग ने भंडारण का लाइसेंस जारी किया है।

इनमें आधे के पास रेत का स्टाक ही नहीं है, जिसका फायदा उठाकर रेत तस्करों में रेत का रेट बढ़ा दिया है। नदी-नालों से चोरी कर अवैध भंडारण के साथ तस्करों ने पिछले सात दिन में ही रेत का दाम प्रति ट्रैक्टर 1500 रुपये तक बढ़ा दिया है। एनजीटी के आदेश के साथ जिले में रेत घाट बंद हो गए हैं। इस वजह से रेत का अवैध उत्खनन, परिवहन और भंडारण एक बार फिर से जोर पकड़ने लगा है। एनजीटी के आदेश के बाद 10 जून से रेत घाट बंद हो गए हैं। जिले में 24 में से 16 घाट ही चल रहे थे। राज्य शासन ने अब रेत घाटों को ग्राम पंचायतों और निकायों को दे दिया है।

पर कई घाट अब भी आपसी सहमति से ठेकेदार ही चला रहे हैं। दूसरी ओर रेत ठेकेदारों ने पहले से ही भंडारण करने लाइसेंस लिया है। इनमें से छह के पास लाइसेंस भी नहीं है। भंडारण की आड़ में रेत चोरी हो रही है। जिला खनिज अधिकारी प्रमोद कुमार नायक का कहना है कि एनजीटी के आदेश के अनुसार रेत घाट बंद है। अब अक्टूबर में ही खुलेंगे। जहां तक रेत भंडारण का सवाल है उसका सत्यापन कराया जा रहा है। अधिक मात्रा पाए जाने पर कार्रवाई होगी। अवैध भंडारण के खिलाफ भी कार्रवाई करने कहा गया है। भंडारण के लाइसेंस का सत्यापन नहीं नदी-नालों में अवैध खनन पर भी जिम्मेदार विभाग रोक लगा नहीं पा रहे हैं।

हसदेव नदी पर बांगो से लेकर फरसवानी, चिचोली तक अलग-अलग रेत घाट है। बांगो में रेत घाट से चोरी हो रही है। यहां पर भंडारण का लाइसेंस मिला है, जहां रेत की रोजाना मात्रा बढ़ रही है। इसके बाद भी खनिज विभाग सत्यापन नहीं करता है। इसका तस्कर फायदा उठा रहे हैं। इसके अलावा अहिरन नदी, सोन नदी, खोलार नदी, लीलगर नदी के साथ ही कई बड़े नाले हैं, जहां से रेत चोरी हो रही है। सप्ताहभर पहले तक प्रति ट्रैक्टर 1500 रुपये घर पहुंचाकर देते थे, वह अब तीन हजार तक हो गया है। इन दिनो शहर में 24 घंटे मिनी ट्रक दौड़ते देखे जा सकते हैं, लेकिन उन पर भी अंकुश नहीं लगाया जा रहा है।

शहर के भीतर पहले ट्रैक्टर में ही रेत का परिवहन हो रहा था। कुछ दिनों से छह छक्का मिनी ट्रक से रेत परिवहन किया जा रहा है। उस पर भी रोक नहीं लग पा रही है। तेज रफ्तार वाहन होने के बाद भी दुर्घटना की आशंका बनी रहती है। यही नहीं कई बार तो रेत निकालने के लिए एनीकट का पानी भी छुड़वा देते हैं। इस पर भी कार्रवाई नहीं होती। 

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