रीपा ने दिया उद्यमी बनने का मौका, महिलाएं तैयार कर रहीं बोरा

हाथों में काम और कमाई का जरिया मिला तो जागा आत्मविश्वास, गौठानों में वर्मी खाद की पैकेजिंग के लिए बैग की सप्लाई के साथ ही समूह की कमाई भी शुरू

रायपुर। मुख्यमंत्री भूपेश बघेल के नेतृत्व में राज्य शासन द्वारा महात्मा गांधी रूरल इंडस्ट्रियल पार्क की स्थापना की मंशा यही है कि स्थानीय स्तर पर ही उत्पादों को तैयार करना, उनकी मार्केटिंग के लिए जगह बनाना, उत्पादों की आपूर्ति सुनिश्चित करना जिससे स्थानीय लोगों को काम मिले, वे आर्थिक रूप से मजबूत बने और इसी क्रम में ग्रामीण अर्थव्यवस्था मजबूत हो।

अर्थव्यवस्था का एक सतत चक्र जिसमें उत्पादन, प्रसंस्करण एवं उत्पादों के विपणन की व्यवस्था सुनिश्चित करते हुए सुदृढ़ लघु उद्यम स्थापित हो। ग्राम कुंवरपुर में स्थित रीपा से जुड़कर प्रगति महिला समूह ने एक कदम आगे बढ़कर बोरा निर्माण का उद्यम शुरू करने की मंशा जाहिर की। इस समूह में कुल 12 सदस्य है। समूह की अध्यक्ष श्रीमती अनीता और सचिव इंद्रा बाई हैं। आने वाले समय में जिले के सभी 354 ग्रामीण क्षेत्र के गौठानों में बनाए जाने वाले वर्मी खाद की पैकेजिंग इसी रीपा से तैयार बोरे में की जानी है। इससे गांव में ही बोरा निर्माण का उद्यम स्थापित होगा और महिला उद्यमियों की आय के नए रास्ते खुलेंगे।

वर्ष 2023 में शासन द्वारा ग्रामीण क्षेत्रों में ग्रामीण औद्योगिक पार्क की शुरुआत की गयी जिसका उद्देश्य ग्रामीण क्षेत्रों में लघु उद्योगों के माध्यम से महिलाओं और युवाओं को रोजगार से जोड़ना है, इसके साथ ही स्थानीय स्तर पर उत्पादन, प्रसंस्करण एवं उत्पादों के विपणन की व्यवस्था करना है जिससे ग्रामीण क्षेत्र अर्थव्यवस्था के केंद्र बिंदु बने। इसी कड़ी में जिले में हर विकासखंड में दो-दो रीपा यानी रूरल इंडस्ट्रियल पार्क की स्थापना की गई है।

वर्ष 2020 में शासन की महत्वाकांक्षी योजना गोधन न्याय योजना की शुरुआत हुई जिसमें ग्राम पंचायत कुंवरपुर में गौठान से पशुपालकों, किसानों और गोबर विक्रेताओं से गोबर खरीदी शुरू की गई। गोबर खरीदी का उद्देश्य जैविक कृषि को बढ़ावा देने जैविक खाद के उपयोग को प्रोत्साहित करना था। महिला समूहों को आजीविका से जोड़ने वर्मी खाद बनाने का प्रशिक्षण दिया गया और फिर महिलाओं ने वर्मी खाद गौठान में बनाना शुरू किया। वर्मी खाद को किसानों तक पहुंचाने सहकारी समितियों के माध्यम से खाद का विक्रय शुरू हुआ और खाद के विक्रय से खाद निर्माण से जुड़ी समूह की महिलाओं को आय का जरिया मिला। खाद निर्माण के साथ ही महिलाओं ने बाड़ी विकास का भी काम किया जिससे उनकी आमदनी बढ़ने लगी। हाथों में काम और कमाई मिली तो नया आत्मविश्वास जागा।

रीपा में सम्मानपूर्वक आजीविका का साधन मिला-समूह की सदस्य गीता सिंह

प्रगति स्व-सहायता समूह की सदस्य श्रीमती गीता सिंह बताती हैं कि पहले काम के लिए बहुत घूमना पड़ता था, मेहनत भी ज्यादा होती थी पर आय कम थी। पर अब सीधे रीपा जाते हैं। घर परिवार का भी पूरा सहयोग मिलता है। रीपा में बोरा निर्माण का काम कर रहे हैं। रीपा में काम करते हुए सम्मानपूर्वक आजीविका का साधन मिला है। बेहद खुश है कि शासन की महत्वपूर्ण योजना के ज़रिए एक उद्यमी की तरह व्यवसाय की बारीकियां सीखने को मिल रही हैं और अपने गांव घर की आर्थिक मजबूती का हिस्सा बन पा रहे हैं।

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