पं रविशंकर शुक्ल विश्वविद्यालय, रायपुर का 26 वाॅं दीक्षांत समारोह सम्पन्न – एक दृष्टि बाधित ने अटल बिहारी पर और हेमचंद्र ने पिता रेशमलाल जांगड़े पर किया शोध, साथ ही पायी पी.एच.डी डिग्री
स्टेट हेड – पंकज विश्वकर्मा
रायपुर। आज 24 मई को पं रविशंकर शुक्ल विश्वविद्यालय रायपुर का 26 वाॅं दीक्षांत समारोह सम्पन्न हुआ है। समारोह में मुख्यमंत्री भूपेश बघेल, राज्यपाल विश्वभूषण हरिचंदन, सुप्रसिद्ध अंतरिक्ष वैज्ञानिक पद्मश्री प्रो. वाई. एस. राजन, पंडित रविशंकर विश्वविद्यालय के कुलपति प्रो. सच्चिदानंद शुक्ल उपस्थित रहे. जहां 500 से अधिक छात्रों को गोल्ड मेडल और पीएचडी की उपाधि दी गई वहीं तहलका न्यूज को दो विशेष पी एच डी डिग्री प्राप्त विश्वविद्यालय के पूर्ववर्ती मिले जो अपने आप में अनुकरणीय है।
जहां देवश्री भोयर रायपुर निवासी जन्म से ही दृष्टि बाधित है इन्होंने अपना ग्रेजुएशन और पोस्ट ग्रेजुएशन डिग्री गर्ल्स कॉलेज रायपुर में किया था और अपना शोध का विषय चुना था ” भारतीय राजनीति में अटल बिहारी बाजपेई का योगदान”। जहां इनकी आठवीं कक्षा तक की शिक्षा ब्रेल लिपि के माध्यम से हुई उसके बाद आगे की शिक्षा उन्होंने सिर्फ सुन कर और याद कर प्राप्त की है। देवश्री की माता और पिता दोनों ने उनकी पुस्तकें पढ़ कर सुनते थे और देवश्री उन्हें सिर्फ सुन कर याद करती थी और पी एच डी डिग्री तक प्राप्त कर लिया है। वो स्वयं आज एक शिक्षिका है। इनका मूल विषय हमेशा राजनीति शास्त्र रहा है और दुर्गा महाविद्यालय के डा सुभाष चन्द्राकार बतौर मार्गदर्शक देवश्री को इस डिग्री को प्राप्त करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है।
वहीं हेमचंद्र जांगड़े जो स्व. रेशमलाल जांगड़े के पुत्र हैं इन्होंने ” छत्तीसगढ़ के विकास में स्व. रेशमलाल जांगड़े का योगदान” विषय में शोध किया है और पी एच डी डिग्री प्राप्त की है। स्व रेशमलाल जांगड़े 1947 में आजादी के बाद बनी अंतरिम संसद के सदस्य के साथ संविधान निर्मात्री सभा के सदस्य भी थे। 1952 के पहले आम चुनाव में वे बिलासपुर लोकसभा क्षेत्र से सांसद निर्वाचित हुए थे। वे तीन बार सांसद और चार बार विधायक चुने गए। वो छत्तीसगढ़ माटी से जुड़े राजनेता थे या यूं कहें वो जननेता थे। अब आप कह सकते है डॉ देवश्री भोयर और डॉ हेमचंद्र जांगड़े दोनों ही ना सिर्फ शिक्षा के क्षेत्र में बल्कि सामाजिक मूल्यों और संघर्ष में भी अनुकरणीय है।