बरबाहली के महिला सरपंच को रिश्तेदारों को आर्थिक लाभ पहुंचाना पड़ गया महंगा, एसडीएम ने किया बर्खास्त
पति ,ससुर और मामा ससुर को आर्थिक लाभ दिया,बेटा पंचायत की राशन दुकान में था सेल्समैन
देवभोग @ देवीचरण ठाकुर। बरबाहली पंचायत की महिला सरपंच सुमित्रा सिन्हा को एसडीएम अर्पिता पाठक ने पंचायती राज अधिनियम 1993 की धारा 40 (1) ग के उल्लंघन का आरोपी पाये जाने पर बर्खास्त कर दिया है। आदेश के मुताबिक सुमित्रा सिन्हा आगामी 6 साल तक किसी भी निर्वाचन के लिए पात्रता नहीं रखेगी।
बेटे को बना दिया था सेल्समैन: बरबाहली के जागरूक युवक करन सिंह पाथर ,फूलसिंह पाथर, शोभाराम मांझी,हीरालाल मांझी,कंवल मांझी, देवकुमार प्रधान,सीताराम पाथर,जुगेश्वर यादव ने पंचायत में लगातार हो रहे आर्थिक अनियमितता के खिलाफ मोर्चा खोल दिया। युवकों ने 22 मार्च 2023 को एसडीएम से लिखित शिकायत कर बताया कि,सरपंच सुमित्रा द्वारा परिवार के सदस्यों के नाम पर बिल बाउचर बनाकर पंचायत विकास मद की राशि का बंदरबांट किया जा रहा है।ऑनलाइन डेटा के आधार पर शिकायत कर्ताओं ने बताया कि,14 वे वित्त मद से ससुर हिराधर सिन्हा को ट्री गार्ड व बांस कार्य के नाम पर 17 हजार का भुगतान किया गया,पति पुनित सिन्हा के फर्म पुनित कृषि फार्म व मैटेरियल सप्लायर के नाम पर पैरा ढुलाई,मूरमीकरण सफाई के नाम पर अलग अलग 4 बार में 2 लाख 500 ,मामा ससुर भोजराज सिन्हा के नाम पर 19000 का भुगतान किया गया था। शिकायतकर्ताओं ने इस भुगतान में ज्यादातर को बोगस कार्य भी बताया था।इसके अलावा बेटा दुष्यंत सिन्हा को पंचायत द्वारा संचालित राशन दुकान का सेल्समैन नियुक्त कर मृत लोगों के नाम पर राशन निकालने की भी शिकायत की गई थी।
कोरोना काल को आधारहीन दलील भी काम न आया –शिकायत के बाद एसडीएम ने जनपद सीईओ प्रतीक प्रधान के नेतृत्व में दल गठित कर जांच निर्देश दिया। मामले की जांच हुई तो अनियमितता की पुष्टि हो गई। 5 माह की लंबी सुनवाई के बीच सरपंच को जब पक्ष रखने का मौका दिया तो उसने कोरोना काल में दूसरा विकल्प नहीं होने की दलील दिया, जो काम नहीं आया। और फिर एसडीएम ने 25 अगस्त को आदेश पारित कर सरपंच को बर्खास्त कर दिया।कार्यवाही के बाद आज इसके पालन के लिए पत्र जनपद सीईओ को भी भेजा गया है।