राष्ट्रपति के दत्तक पुत्र जर्जर भवन में गढ़ रहे भविष्य
रिपोर्टर : देवीचरण ठाकुर
गरियाबंद। स्कूल जतन अभियान के लिए सरकार ने योजना तो बना दी लेकिन जिले में योजना का कितना भद्दा मजाक बनाया गया, इसकी तस्वीर जरा गौर से देखिए यह तस्वीर है। विशेष पिछड़ी जनजाति कमार जाति के बसाहट वाले गांव कोतराडोंगरी के प्राथमिक शाला भवन की जहा 22 बच्चे कमार जनजाति के पढ़ाई करते है। स्कूल भवन की स्थिति ऐसी है की कभी भी भरभरा कर धराशाई हो सकता है, बच्चे जान जोखिम में डालकर पढ़ाई करने को मजबूर है, लेकिन शिक्षा विभाग मैनपुर इसका सुध लेना भी मुनासिब नहीं समझ रहा है क्या कोई बड़ा हादसे का इंतजार कर रहा है यह समझ से परे है।
मैनपुर विकासखंड के ग्राम पंचायत खरीपथरा के आश्रित कोतराडोंगरी प्राथमिक शाला भवन को जरा गौर से देखिए स्कूल में कुल 30 दर्ज संख्या है, जिसमें 22 बच्चे विशेष पिछड़ी जनजाति कमार जाति से आते है, जिन्हें राष्ट्रपति का दत्तक पुत्र कहा जाता है, लेकिन विगत 5 वर्षों से जर्जर स्कूल भवन में डर के साए में भविष्य गढ़ने को मजबूर है। ऐसा नहीं है की इसकी जानकारी उच्च अधिकारी को नही है, जानकारी रहने के बाद भी विभाग अनजान बनने का ढोंग कर रहा है।
वही स्कूल में पढ़ाई करने वाले बच्चो ने बताया की उनकी मजबूरी है वे डर के साए में पढ़ाई करने को बाध्य है, चूंकि और कोई विकल्प ही नही है प्रधान पाठक गिरधारी नागेश ने बताया की जर्जर भवन के विषय में उच्च कार्यालय को अवगत करा दिया गया है, लेकिन समस्या जस की तस बनी हुई है हैरानी इस बात का भी है की वर्ष 2022 में कोतराडोंगरी स्कूल भवन के लिए 10 लाख रुपए स्वीकृति मिली थी, वह कहा गया अब तक पता नहीं तो वही ऐसे जर्जर स्कूल भवन के लिए स्कूल जतन अभियान में क्यों राशि जारी नही हुए यह सबसे बड़ा सवाल है।
गांव के पूर्व सरपंच पुनीत नागेश ने सरकार पर आरोप भी लगाया है की सरकार के फाइल में शायद कोतराडोंगरी स्कूल भवन का नाम नहीं होगा, जिस कारण जतन अभियान में भवन के लिए कोई राशि नही मिला। बहरहाल देखना होगा कब तक बच्चे जान की बाजी लगाकर पढ़ाई करेंगे या फिर प्रशासन किसी बड़े हादसे का इंतजार कर रहा है।