मध्यप्रदेश के प्रत्येक ज़िले में नये एडॉप्शन एजेंसी खोली जाएगी

उन्होंने बताया कि मध्य प्रदेश एडॉप्शन प्रक्रिया को सरल करने के 12 सुझाव दिए थे इसमें से सुझाव भारत सरकार ने मान्य किए है। इससे प्रक्रिया में काफ़ी सुधार हुआ है। अभी भी लगभग 20 हज़ार से ज़्यादा पेरेंट्स एडॉप्शन के लिए तैयार हैं परंतु केवल 4 हज़ार 500 बच्चे ही गोद दिए जाने के लिए तैयार हैं। विभाग द्वारा परित्यक्त बच्चों को विशेषज्ञ दत्तक ग्रहण अभिकरणों तक सुरक्षित ढंग से पहुँचाने के लिए अस्पतालों ,दत्तक ग्रहण एजेंसी के बाहर और ऐसे हॉटस्पॉट जहां नवजात शिशु को छोड़ जाने की संभावना होती है,265 पालना स्थापित कराए हैं। ज़िलों में और नए पालना स्थापित करने के संबंध में भी निर्देश दिए गए हैं। इससे बच्चों को झाड़ियों में फेंके जाने की घटना में आश्चर्यजनक रूप में कमी आई है। हमे इस बात की ख़ुशी है कि मध्य प्रदेश ने इस दिशा में अच्छी पहल की है जिसकी देश भर में सराहना हो रही है। मंत्री सुश्री  भूरिया ने कहा कि भारत सरकार के निर्देशों के अनुरूप प्रत्येक ज़िले में नए एडॉप्शन एजेंसी खोली जाएगी। नए सत्र से प्रदेश के हर ज़िले में शिशुगृह स्थापित होंगे।

कार्यशाला में भोपाल रीजनल कॉलेज की सहायक प्राध्यापक सुश्री शिवाली सरकार ने एक बच्ची को अडॉप्ट करने के अपने अनुभव को साझा किया। उन्होंने विभागीय मंत्री और कारा का आभार मानते हुए दत्तक ग्रहण की प्रक्रिया को थोड़ा और सरल करने का अनुरोध किया। किलकारी एजेंसी के माध्यम से एक बच्ची को गोद लेने वाले स्पेन की दंपत्ति ने भी अपना अनुभव साझा किया।

इस अवसर पर आयुक्त महिला बाल विकास श्रीमती सूफ़िया फ़ारूक़ी वलीकारा के विशेषज्ञ श्री विर्भु आर्यविभिन्न संस्थाओं के प्रतिनिधिबच्चे गोद लेने वाले अभिभावक और विभागीय अधिकारी उपस्थित थे।

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