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परियोजना अधिकारी की लापरवाही : 426 आंगनवाड़ी केंद्रों पर संकट, बच्चों के विकास में बाधा

रिपोर्टर : धनंजय चंद

पखांजूर। कोयलीबेड़ा के रेंगावाही सेक्टर के पाकुरकल आंगनवाड़ी में 16 मासूम बच्चों और 8 गर्भवती महिलाओं का भविष्य खतरे में डाल दिया है। आंगनबाड़ी केंद्र, जो बच्चों के पोषण, स्वास्थ्य देखभाल और शिक्षा का मुख्य स्रोत होना चाहिए, समय से पहले बंद पाया गया। मंगलवार को एक प्रतिनिधि ने ग्रामीणों की शिकायत पर जब दोपहर 2 बजे आंगनबाड़ी केंद्र का दौरा किया, तो केंद्र बंद मिला, जबकि इसे 3 बजे तक खुला रहना चाहिए था। यह स्थिति स्थानीय प्रशासन और परियोजना अधिकारियों की गंभीर लापरवाही को उजागर करती है।

आंगनबाड़ी केंद्रों का मुख्य उद्देश्य बच्चों को पौष्टिक आहार, स्वास्थ्य देखभाल और शैक्षिक सुविधाएं उपलब्ध कराना है। लेकिन यहां पर हो रही अनियमितताओं के कारण बच्चे और गर्भवती महिलाएं आवश्यक सेवाओं से वंचित रह रहे हैं। इसका परिणाम यह हो रहा है कि बच्चों को समय पर भोजन नहीं मिल रहा और गर्भवती महिलाओं को जरूरी स्वास्थ्य सेवाएं नहीं मिल पा रही हैं, जिससे उनकी सेहत पर नकारात्मक प्रभाव पड़ रहा है। समय से पहले केंद्र बंद होने और सुपरवाइजर की निगरानी न होने से मासूम बच्चों को परेशानियों का सामना करना पड़ रहा है। आंगनवाड़ी केंद्र, जो बच्चों के पोषण और शिक्षा का मुख्य साधन है, समय से पहले बंद कर दिया जाता है, जिससे बच्चे बुनियादी सेवाओं से वंचित हो रहे है । इस गंभीर स्थिति के लिए परियोजना अधिकारी को जिम्मेदार ठहराया जा रहा है, जो कि मुख्यालय में न रहते हुए पखांजूर में सप्ताह में केवल दो दिन ही निरीक्षण करने आती हैं।

परलकोट क्षेत्र में 426 आंगनवाड़ी केंद्र हैं, जिनकी सही निगरानी और संचालन के लिए अधिकारी की लगातार उपस्थिति जरूरी है। परंतु अधिकारी की अनुपस्थिति और सुपरवाइजर द्वारा नियमित मॉनिटरिंग न होने के कारण आंगनवाड़ी केंद्रों का संचालन असामयिक ढंग से हो रहा है। इससे बच्चों को ना केवल पोषण से वंचित होना पड़ रहा है, बल्कि उनकी शिक्षा और स्वास्थ्य पर भी नकारात्मक प्रभाव पड़ रहा है।आंगनवाड़ी केंद्र बच्चों के प्रारंभिक विकास में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं। अगर ये केंद्र समय से पहले बंद हो जाते हैं या इनकी उचित निगरानी नहीं होती है, तो इससे बच्चों के मानसिक और शारीरिक विकास में रुकावट आ सकती है।

परियोजना अधिकारी की पखांजूर में लगातार उपस्थिति न होने के कारण, बच्चों के साथ इस तरह का खिलवाड़ हो रहा है। उनके पास 426 केंद्रों की जिम्मेदारी है, जिसमें हर केंद्र का संचालन सुनिश्चित करना उनकी प्राथमिक जिम्मेदारी होनी चाहिए।इस लापरवाही को देखते हुए प्रशासन को तत्काल कार्रवाई करनी चाहिए। यह सुनिश्चित करना जरूरी है कि परियोजना अधिकारी और सुपरवाइजर नियमित रूप से आंगनवाड़ी केंद्रों का निरीक्षण करें और बच्चों को जरूरी सेवाएं प्राप्त हों। इसके लिए आंगनवाड़ी केंद्रों का सुचारू संचालन आवश्यकता है।

इस लापरवाही को गंभीरता से लिया जाना चाहिए और संबंधित अधिकारियों को जवाबदेह ठहराया जाना चाहिए। बच्चों और गर्भवती महिलाओं का पोषण और स्वास्थ्य किसी भी प्रशासनिक गलती या लापरवाही का शिकार नहीं होना चाहिए। सरकार और प्रशासन को यह सुनिश्चित करना चाहिए कि आंगनबाड़ी केंद्र नियमित रूप से कार्य करें और कोई भी बच्चा या गर्भवती महिला जरूरी सेवाओं से वंचित न रह सके।यह लापरवाही बच्चों के विकास और गर्भवती महिलाओं के स्वास्थ्य के साथ खिलवाड़ है, जो कि भविष्य में गंभीर परिणाम ला सकता है। प्रशासन को इस पर तुरंत कार्रवाई कर बच्चों और गर्भवती महिलाओं का भविष्य सुरक्षित करना चाहिए।

आंगनबाड़ी बन्द करने का समय 3 बजे है । और मैं इस विषय मे कुछ नहीं बोलूंगी। मेरे उच्च अधिकारी से बात कर लीजिए। (धनेश्वरी जोशी सुपरवाइजर रेंगावाही सेक्टर)

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