रायपुर। राज्य सरकार ने पूर्व नक्सलियों और नक्सल प्रभावित परिवारों के पुनर्वास के लिए 15,000 मकान बनाने की योजना बनाई है। इस प्रस्ताव को ग्रामीण विकास मंत्रालय से मंजूरी मिल गई है।
सभी को पसंद की जगह पर प्रधानमंत्री आवास योजना के तहत आवास(टू-बीएचके) का विकल्प दिया जाएगा। केंद्र ने सरकार को निर्देश दिया है कि पांच दिसंबर 2024 तक पात्र लाभार्थियों का विवरण और मकान बनाने का प्रस्ताव जमा करें।
मार्च 2024 की स्थिति में करीब आठ हजार परिवार नक्सल हिंसा के शिकार हुए हैं। वहीं 2019 से अब तक 1290 नक्सलियों ने आत्मसमर्पण किया है। इनमें 733 इसी वर्ष के हैं।
वर्तमान में पंचायत एवं ग्रामीण विकास विभाग ने नक्सल प्रभावित जिलों में नक्सल हिंसा के शिकार हुए परिवारों का नए सिरे से सर्वे करना शुरू कर दिया है। भविष्य में जो नक्सली आत्मसमर्पण करेंगे, उन्हें भी इस योजना का लाभ मिलेगा।
गृह मंत्री ने मांगा था सुझाव तो मिला था ऐसा फीडबैक
मई 2024 में राज्य के उप मुख्यमंत्री व गृह मंत्री विजय शर्मा ने आत्मसमर्पित नक्सलियों के पुनर्वास नीति के लिए ऑनलाइन क्यूआर कोड, गूगल फार्म और मेल आइडी niyadnellabastar @ gmail.com जारी करके सुझाव मांगे थे।
कुछ नक्सलियों ने आत्मसमर्पण के बदले सुरक्षित जगह पर आवास की सुविधा देने की मांग की थी। इसके बाद आत्मसमर्पित और नक्सल पीड़ित दोनों के लिए आवास देने के लिए विशेष योजना बनाई है।
गृह मंत्री विजय शर्मा ने बताया कि केंद्र सरकार ने इस विशेष योजना के लिए मकान बनाने की स्वीकृति दी है। ये योजना नक्सलवाद के खात्मे के लिए वरदान साबित होगी। जो युवा गलत रास्ते में भटककर नक्सलियों के साथ हैं, वे मुख्य धारा में लौटेंगे।
प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी, केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह, मुख्यमंत्री विष्णु देव साय के निर्देश पर नक्सलियों के खिलाफ लगातार मुहिम जारी है।
गौरतलब है कि विष्णु देव साय सरकार के 11 महीने की सरकार में नक्सलियों के खिलाफ जारी अभियान के तहत जवानों ने 197 नक्सलियों को मार गिराया है, जो कि अब तक के इतिहास में एक वर्ष में सबसे अधिक आंकड़ा है।
पहुंचविहीन जगहों पर पहले सड़क फिर बनेगा घर
आवास की विशेष योजना को सफल बनाने के लिए पंचायत एवं ग्रामीण विकास विभाग की प्रमुख सचिव निहारिका बारिक लगातार मानिटरिंग कर रही हैं।
आवास की स्वीकृति मिलते ही उन्होंने बस्तर में दौरा किया है। उन्होंने अबूझमाड़ के पहुंचविहीन क्षेत्रों का दौरा कर इन क्षेत्रों में सड़क और आवास बनाने के लिए जगह की भी तलाश में जुटी हैं।
उनके साथ प्रधानमंत्री आवास योजना के संचालक एवं महात्मा गांधी नरेगा योजना के आयुक्त रजत बंसल और उपायुक्त अशोक चौबे भी मौजूद रहे। टीम नारायणपुर के ईरकभट्टी, मसपुर, सोनपुर, ढोंडरीबेड़ा सहित अन्य गांवों में लोगों से सुविधाओं की जानकारी ली।
सरकारी आंकड़ों में 15 जिले नक्सल प्रभावित
केंद्रीय गृह मंत्रालय के सरकारी आंकड़ों के मुताबिक प्रदेश के 15 जिले नक्सल प्रभावित हैं। इनमें बीजापुर, बस्तर, दंतेवाडा, धमतरी, गरियाबंद, कांकेर, कोंडागांव, महासमुंद और नारायणपुर अधिक प्रभावित क्षेत्र हैं।
इसके अलावा राजनांदगांव, मोहल्ला-मानपुर-अंबागढ़ चौकी, खैरागढ़-छुईखदान- गंडई, सुकमा, कबीरधाम और मुंगेली भी नक्सल प्रभावित क्षेत्र में आता है। वर्ष 2015 में देशभर के 11 राज्यों में से 106 जिले नक्सल प्रभावित थे। अभी नौ राज्यों में से 38 जिले में नक्सलियों का प्रभाव है।