Raipur: “धूमिल नहीं है लक्ष्य मेरा,अंबर समान यह साफ है,उम्र नहीं है बाधा मेरी, मेरे रक्त में अब भी ताप है” नंदकुमार साय

भविष्य के गर्भ में क्या है ये तो ईश्वर या प्रकृति ही जानते हैं, पंरतु नंद कुमार साय के भाजपा छोड़ कांग्रेस में शामिल होने से इसी सोशल मीडिया में एक चर्चा जोरों पर है जैसे प्याले में तूफान हो
जहां प्रवेश पर स्वागत है ,
वहीं इस्तीफे पर तंज़ है
वहीं दोनों दलों के कार्यकर्ताओं का दिल का गुबार भी है, बहरहाल सत्ता की चाबी तो रहतीं हैं जनता के पास, इसलिए तो “जनता को जनार्दन” कहा जाता है

स्टेट हेड – पंकज विश्वकर्मा
रायपुर।
भाजपा के पूर्व सांसद और वरिष्ठ आदिवासी नेता नंदकुमार साय ने रविवार को पार्टी से इस्तीफा दे दिया था। जिसके बाद कल उन्होंने मुख्यमंत्री भूपेश बघेल के समक्ष कांग्रेस की प्राथमिक सदस्यता भी ग्रहण कर ली है। साथ ही उन्होंने अपने फेसबुक में स्टेटस भी बदला है और ट्विटर पर भी ट्वीट कर एक शेर शायराना अंदाज में लिखा है कि
धूमिल नहीं है लक्ष्य मेरा ,
अंबर सामान यह साफ है ,
उम्र नहीं है बाधा मेरी,
मेरे रक्त में अब भी ताप है,
सहस्त्र पाप मेरे नाम हो जाए,
चाहे बिसरे मेरे काम हो जाए,
तेरे तन-मन का हर एक कण,
इस माटी को समर्पित है,
मेरे जीवन का हर एक क्षण,
जन सेवा में अर्पित है।
आदिवासी समाज का हित सर्वोपरि
दरअसल भारतीय जनता पार्टी में रहते हुए साय आदिवासी मुख्यमंत्री की मांग हमेशा उठाते रहे हैं जिससे पार्टी असहज महसूस किया करती रही थी ये तो वक्त तय करेगा कि ऊंट किस करवट बैठेगा, क्या चालीसा साल के राजनीतिक कैरियर में एक स्थापित विचारधारा जिस पर वह लगातार चल रहे थे और हमेशा कांग्रेस और कांग्रेसियों की नीतियों और विचारधारा का विरोध करते आए हैं क्या अब वह इसी विरोधी दल में अपने आप को सहज महसूस कर पाएंगे और 40 साल तक जिन साथियों के साथ अपने इस सफर को लेकर आगे बढ़े थे,अपने उन्हीं साथियों का विरोध कर पाएंगे क्योंकि राजनीति बहुत निर्मम होती है राजनीति का मुख्य उद्देश्य सत्ता प्राप्ति ही है राजनीति के मुख्य अस्त्र-शस्त्र आज भी उतने ही प्रासंगिक है जितना आचार्य चाणक्य के समय “साम – दाम – दंड – भेद” खैर आने वाले समय ही तय करेगा कि उनका यह निर्णय कितना उचित या अनुचित था। या महज कुछ समय बाद पुनः घर वापसी हो जायेगी क्योंकि एक स्थापित राजनेता को हटा कर आदिवासी एक्सप्रेस चला पाना तो यहां मुमकिन नहीं है। यहां जो कभी नंबर 2 पर थे वो खुद कहते हैं कि मैं तो हाशिए पर खड़ा हूं। फिर वही बात ” भविष्य के गर्भ में क्या है ये तो ईश्वर या प्रकृति ही जानते हैं। “

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