जानें कैसी है ये फिल्म
जब रिव्यू करने के लिए मैं फिल्म देखती हूं तब अक्सर मोबाइल पर नोटपैड खुला रहता है. फिल्म में क्या इंटरेस्टिंग है, कौनसा दिलचस्प डायलॉग बोला गया है? ये मैं अक्सर इस नोटपैड में लिख लेती हूं. लेकिन अल्लू अर्जुन की ‘पुष्पा’ एक ऐसी फिल्म है, जिसे देखते हुए मैं पूरी तरह से भूल गई कि मुझे नोटपैड पर इससे जुड़ी बातें लिखनी होगी. 3 घंटे 20 मिनट की ये फिल्म पूरी तरह से शुरुआत से लेकर अंत तक आपको कनेक्ट करके रखती है. एक पल के लिए भी आपको ये महसूस नहीं होता कि आप बोर हो रहे हैं और इस बात का श्रेय फिल्म के निर्देशक सुकुमार को जाता है.
कहानी और निर्देशन
जिस तरह से पुष्पा में अल्लू अर्जुन और रश्मिका मंदाना के बीच एक बहुत ही खूबसूरत केमिस्ट्री नजर आती हैं, उससे भी बेहतरीन केमिस्ट्री अल्लू अर्जुन और सुकुमार के बीच में हैं. फर्क सिर्फ इतना है कि इसे हम देख तो नहीं सकते. लेकिन फिर भी फिल्म देखते हुए हम इसे महसूस कर सकते हैं. इस फिल्म के हर फ्रेम में एक नई सोच दिखाई देती है और ये नई सोच ‘पुष्पा 2’ के हर सीन को खास बना देती है. उदहारण के तौर पर बात की जाए तो फिल्म में एक सीन है, जहां पुष्पा के 200 से ज्यादा साथियों को शेखावत पकड़ लेता है. अब हम उम्मीद करते हैं कि ‘सिंघम अगेन’ में जिस तरह से अर्जुन कपूर पुलिस थाने में आए थे और उन्होंने सभी पुलिस वालों को मार गिराकर अपने साथियों को छुड़ाया था, ठीक वैसे ही पुष्पा भी करेगा. लेकिन वो जो करता है वो आपने कभी सोचा ही नहीं होगा. कैमरा के पीछे बैठा हुआ निर्देशक और उसके सामने परफॉर्म करने वाला एक्टर इन दोनों के बीच ये कमाल की केमिस्ट्री बनाने का आधा श्रेय हमें अल्लू अर्जुन को भी देना होगा.