किसानों ने लगभग 10 एकड़ रकबा में ली है मक्का की पैदावार
कोण्डागांव। जल स्रोतों के संरक्षण एवं संवर्धन के लिए संचालित नरवा विकास योजना के जरिये वनों से निकलने वाले नालों को उपचारित करने के फलस्वरूप अब इन नालों को नया जीवन मिलने सहित किसानों को सिंचाई एवं निस्तारी सुविधा उपलब्ध हो रही है। इस दिशा में दक्षिण कोंडागांव वनमंडल के अंतर्गत कैम्पा मद के तहत किये गये नरवा विकास कार्याे से विलुप्त हो रहे नालों के पुनर्जीवन की कोशिशें अब रंग ला रही हैं।
दक्षिण कोंडागांव वनमंडल के अमरावती परिक्षेत्र के अंतर्गत कावरा नाला का उपचार किया गया है,जिसके परिणामस्वरूप नवम्बर तक बहने वाले कावरा नाला में अब मार्च -अप्रैल के महीने में भी भरपूर पानी नजर आ रहा है। कैम्पा मद के वार्षिक कार्ययोजना के माध्यम से किये गये भूजल संवर्धन कार्यों से बिगड़े वनों के सुधार, मिट्टी में नमी बनाये रखने, नाले के किनारे मिट्टी कटाव रोकने सहित चेकडैम में पानी की सुलभता होने के फलस्वरूप खेती- किसानी को बढ़ावा मिला है।
अमरावती परिक्षेत्र के वन प्रबंधन समिति करंडी और ग्राम पंचायत की सार्थक पहल से 97 लाख 79 हजार रुपये की लागत से नरवा उपचार के कार्यों ने इस नाले को पुनर्जीवित कर दिया है। वन प्रबन्धन समिति के सदस्यों तथा ग्रामीणों की जल स्रोतों के संरक्षण एवं जल संग्रहण की सकारात्मक सोच के साथ इस ओर व्यापक सहभागिता निभाने के फलस्वरूप अब किसान नाले में उपलब्ध पर्याप्त पानी का उपयोग सिंचाई के लिए कर रहे हैं जिससे इस क्षेत्र में किसानों द्वारा 10 एकड़ रकबा में मक्का की फसल ली गयी है।
डीएफओ दक्षिण कोण्डागांव वनमण्डल आरके जांगड़े ने बताया कि अमरावती रेंज के कावरा नाला भाग-2 का कुल जलग्रहण क्षेत्र यथा कैचमेन्ट एरिया 11974 हेक्टेयर है। वन क्षेत्र में इसकी लम्बाई करीब 19 किलोमीटर और जलग्रहण क्षेत्र 3000 हेक्टेयर है। नरवा के संरक्षण और संवर्धन के लिए वर्ष 2020-21 में स्वीकृत भूजल संवर्धन एवं जल संग्रहण के 73 कार्यों में से सभी 73 पूर्ण हो चुके हैं। जिसमें गेबियन स्ट्रक्चर सहित बोल्डर चेकडैम, चेकडैम तथा डबरी निर्माण एवं तालाब गहरीकरण सम्मिलित हैं। सघन वन क्षेत्र में डबरी निर्माण एवं तालाब गहरीकरण से वन्य प्राणियों और पालतू पशुओं को पीने के लिए पानी सुलभ हो रहा है।
कावरा नाला विकास कार्य के सम्बंध में उप वन क्षेत्रपाल करण्डी श्री एलआर मरापी बताते हैं कि करंडी परिसर में कावरा 7 मीटर लम्बी और डेढ़ मीटर ऊंची निर्मित चेकडैम से ईलाके के 15 किसानों को सीधा फायदा मिल रहा है। चेकडैम के पीछे लगभग 400 मीटर लम्बाई में लगभग 520 क्यूबिक मीटर पानी का संग्रहण किया गया है।
कावरा नाला उपचार कार्य से जुड़े वन प्रबन्धन समिति के अध्यक्ष धनसाय बघेल ने बताया कि चेकडैम के बनाने से पहले किसान मक्का की खेती कर रहे थे लेकिन रबी सीजन में पानी की कमी के कारण फसल को नुकसान होता था और फसल समय में पक नहीं पाता था। चेकडैम के निर्माण से अब सभी किसान रबी फसल के लिए पर्याप्त पानी उपलब्ध होने के लिए आश्वस्त हो गये हैं और धीरे-धीरे अब अपने रबी फसल के रकबा में भी वृद्धि कर रहे हैं। कावरा नरवा उपचार के बाद वहां ठहरे पानी से वन प्रबंधन समिति करंडी के सदस्य किसान बालचन्द,कुसरो,सुरजो,फगनू के साथ-साथ लगभग 15 किसान 10 एकड़ में रबी फसल के अंतर्गत मक्का की पैदावार लिये हैं।