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चोरहटा थाना प्रभारी को निलंबित करने पत्रकार महासंघ ने आईजी को सौंपा माँगपत्र

भारतीय राष्ट्रीय पत्रकार महासंघ ने दी आंदोलन की चेतावनी

रिपोर्टर : सुभाष मिश्रा

रीवा। मध्यप्रदेश सरकार भले ही पत्रकारों के प्रति संवेदनशील होने की बातें करती है और पत्रकारों की सुरक्षा व उनके अधिकारों की रक्षा करने का दावा करती है। साथ ही प्रशासन द्वारा इसके लिए आदेश निर्देश जारी हैं, किन्तु ये सारे दावे व आदेश उस समय दरकिनार हो जाते हैं। जब पुलिस के खिलाफ लिखी गई निगेटिव खबर की भड़ास निकालने पुलिसकर्मी मीडिया पर ही निशाना साध रहे हैं।

मध्यप्रदेश के रीवा जिले से एक ऐसा ही मामला सामने आया है, जिसमें राष्ट्रीय स्तर के एक दैनिक समाचार पत्र के युवा पत्रकार को पुलिस के भ्रष्टाचार व लूट खसोट की खबर लिखना इतना मंहगा पड़ गया की वह अपना दायित्व निभाने के चलते जेल की सलाखों के पीछे पहुंच गया। पिछले कई वर्षों से मीडिया में कार्य करने वाले ग्राम करहिया नंबर 2,थाना चोरहटा निवासी दैनिक समाचार पत्र में कार्यरत युवा पत्रकार रिषभ पाण्डेय प्रांशू के घर वालों का पिछले काफी समय से पारिवारिक जमीनी विवाद बड़े पिता से चल रहा है, जिसकी कई बार थाने में शिकायत हो चुकी है, लेकिन चोरहटा पुलिस कोई ठोस कार्रवाई करने की बजाय बड़ी घटना या बड़े षड्यंत्र का इंतजार कर रही थी।

जानकारी के मुताबिक पत्रकार के पिता रावेन्द्र पाण्डेय एवं बड़े पिता का बाड़ी हटाने को लेकर आपसी कहासुनी व धक्का मुक्की हुई और मामला थाने तक जा पहुंचा। दोनों पक्षों से शिकायत के बाद पुलिस ने पत्रकार के पूरे परिवार के ऊपर मारपीट का प्रकरण दर्ज कर लिया,जबकि पारिवारिक या जमीनी विवाद से पत्रकार या पत्रकारिता का कोई लेना देना ही नहीं है। इस मामले ने उस वक्त एक नया मोड़ ले लिया जब दो दिन बाद अचानक बड़े पिता के घर की एक महिला संजय गाँधी अस्पताल में एडमिट हुई और आरोप लगाया मारपीट के दौर पत्थरबाजी में उसका गर्भपात हो गया है।

पुलिस ने महिला की मेडिकल रिपोर्ट के आधार पर धारा बढ़ाते हुए तत्काल पत्रकार रिषभ पाण्डेय को गिरफ्तार कर जेल भेज दिया। जबकि इस मामले पर गंभीरता से गौर किया जाए तो मामले में मेडिकल आफीसर से एमएलसी की क्योरी नहीं कराई गई की आखिर किस कारण से गर्भपात हुआ है। जबकि पुलिस के आला अधिकारियों से पत्रकार ने यह फरियाद करता रहा।

भारतीय राष्ट्रीय पत्रकार महासंघ ने आईजी को सौंपा माँगपत्र :

चोरहटा पुलिस थाना प्रभारी द्वारा मामले की गंभीरता को दरकिनार करते हुए पत्रकार साथी पर द्वेषपूर्ण असंवैधानिक कार्यवाही की गई है, जबकि शासन के परिपत्र में पत्रकारों से संबंधित मामलों में स्पष्ट निर्देश हैं की किसी भी पत्रकार के विरुद्ध दर्ज मामले में रेन्ज स्तर के किसी पुलिस अधिकारी से जाँच कराए जाने के उपरांत ही आगे की कार्रवाई की जानी चाहिए। किंतु जल्दबाजी में बिना जांच पड़ताल के पत्रकार की गिरफ्तारी की गई।

हालांकि इस पूरे मामले में चोरहटा थाना प्रभारी श्रृंगेश सिंह राजपूत ने अपने आपसी द्वेष व दुर्भावना के चलते पत्रकार रिषभ पाण्डेय पर झूँठा व नियम विरुद्ध आपराधिक प्रकरण दर्ज कर जेल की सलाखों के पीछे पहुंचा दिया है। चोरहटा पुलिस द्वारा एक पत्रकार साथी पर की गई नियम विरुद्ध कार्रवाई को लेकर पत्रकारों में आक्रोश व्याप्त है। उक्त कार्यवाई को लेकर पत्रकार विकास परिषद,भारतीय राष्ट्रीय पत्रकार महासंघ व युवा पत्रकार संघ सहित जिले के पत्रकारों ने घटना की निंदा करते हुए पत्रकारों के प्रतिनिधि मंडल ने आईजी महेंद्र सिंह सिकरवार को एक मांग पत्र सौंपकर चोरहटा थाना प्रभारी श्रृंगेश सिंह राजपूत को अविलंब निलंबित कर युवा पत्रकार ऋषभ पाण्डेय के ऊपर लगाए गए मनगढंत आरोप की निष्पक्ष जांच कराए जाने की मांग की है। न्याय न मिलने की स्थिति में पत्रकार महासंघ आंदोलन के लिए बाध्य होगा।

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