बस्तर रत्न वीर गुंडाधूर की विरासत को संभालना आदिवासी समाज का कर्तव्य
रिपोर्टर : किशोर कुमार रामटेके
जगदलपुर। आदिवासी कार्यकर्ता एवं किसान नेता संजय पंत ने प्रेस नोट जारी कर वर्तमान सामाजिक परिस्थितियों में गुंडाधूर की प्रासंगिकताओं को स्पष्ट करते हुए कहा है कि हमारे पूर्वजों के द्वारा दिया गया मार्गदर्शन ही हमारी असली पूंजी एवं विरासत है।
अंग्रेजों के छक्के छुड़ा देने वाले बस्तर रत्न वीर गुंडा दूर,आयतु माहरा, रोडा पेदा,धानु धाकड़, नागुल दोरला, बुधसन भतरा, हरचंद हल्बा, बुधु मांझी,मुंदी कलार व समस्त क्रांतिकारी वीर शहीद महापुरुषों ने सर्व मूल आदिवासी समाजों को अपने हक एवं अधिकार के लिए लड़ना सिखाया था। जल, जंगल और जमीन की लड़ाई के लिए अपना सर्वस्व न्यौछावर करने वाले बस्तर के सपूत वीर गुंडाधूर को कोटि-कोटि नमन। सारी दुनिया पर अपना शासन स्थापित करने वाली अंग्रेज सरकार अंत तक वीर गुंडाधूर को जीत नहीं सकी। क्योंकि गुंडाधूर का अंतिम लक्ष्य समाज का हित था। वीर गुंडाधूर का समाज के प्रति असीम प्रेम एवं समर्पण वर्तमान के मंत्रियों, नेताओं, जन प्रतिनिधियों एवं अधिकारियों के लिए एक मिसाल है।
वीर गुंडाधूर द्वारा अंग्रेज सरकार के प्रति बिगुल फूकने व अंग्रेजों के दांत खट्टे करने के कालखंड को याद करने के लिए प्रतिवर्ष 10 फरवरी को भूमकाल दिवस मनाया जाता है। इस वर्ष भी वीर गुंडाधूर की वीरता के स्मरण के लिए क्षेत्र में जगह-जगह भूमकाल दिवस का आयोजन किया जाएगा।
गुंडाधूर स्मृति व भूमकाल दिवस के अवसर पर 7 फरवरी को गीदम टाउन (जिला दंतेवाड़ा) के हारम चौक पर वीर गुंडाधूर की आदमकद प्रतिमा स्थापित की जाएगी। प्रतिमा अनावरण का कार्यक्रम पूर्ण रूप से गैर-राजनीतिक होगा एवं यह कार्यक्रम समाज तथा बुद्धिजीवियों द्वारा संचालित होगा। क्षेत्र की जनता से यह निवेदन किया जाता है कि 7 फरवरी को गीदम पहुंचकर वीर गुंडाधूर की प्रतिमा के अनावरण के अवसर पर अपनी उपस्थिति अवश्य दर्ज करायें। प्रतिमा अनावरण के साथ ही आदिवासी समाज की वर्तमान समस्याओं को लेकर आयोजन भी किया गया है, जिसमें वीर गुंडाधूर की बहादुरी की गाथा के साथ ही आदिवासी समाज की वर्तमान समस्याओं पर सामूहिक चर्चा की जाएगी। समाज के सभी वर्गों से यह निवेदन है कि समाज को एक नई दिशा देने वाले महापुरुष के प्रतिमा के अनावरण के अवसर पर ज्यादा से ज्यादा संख्या में उपस्थित होकर कार्यक्रम को सफल बनाएं।