सिरपुर विशेष क्षेत्र विकास प्राधिकरण का लोगो और वेबसाइट का लोकार्पण

महासमुंद। महासमुंद जिले में स्थित पुरातात्विक और ऐतिहासिक नगरीय सिरपुर के पुरावैभव को आम लोगों तक पहुंचाने वेबसाइट का निर्माण किया गया है। महासमुंद सांसद श्रीमती रुपकुमारी चौधरी ने गुरुवार को दिशा समिति की बैठक के पश्चात सिरपुर विशेष क्षेत्र विकास प्राधिकरण के लोगो और वेबसाइट का लोकार्पण किया। इस ऐतिहासिक अवसर पर सिरपुर ने डिजिटल युग में कदम रखते हुए वैश्विक जुड़ाव का एक नया अध्याय शुरू किया।

इस पहल के तहत सिरपुर की ऐतिहासिक, सांस्कृतिक और पुरातात्विक विरासत को सोशल मीडिया और वेबसाइट के माध्यम से विश्व पटल पर प्रस्तुत किया जाएगा। इसके माध्यम से इतिहासकार, वैज्ञानिक, वास्तुविद, पुरातत्वशास्त्री और अन्य शोधकर्ता सिरपुर की विलक्षणताओं और विशेषताओं से परिचित हो सकेंगे। इसमें आम नागरिक घर बैठे सिरपुर के वैभव और ऐतिहासिक धरोहरों के बारे में जान सकेंगे। वेबसाइट https://sirpursada.com/home  पर अवलोकन किया जा सकता है। इसमें सिरपुर के विशेष दार्शनिक और प्राचीन स्थल जैसे सुरंग टीला, लक्ष्मण मंदिर, बौद्ध स्तूप, गंधेश्वर महादेव मंदिर, बौद्ध स्वास्तिक विहार को देखा जा सकता है। इसमें सिरपुर में होने वाले कार्यक्रमों की जानकारी भी संलग्न की जाएगी। जिससे दूर-दराज से आने वाले पर्यटकों को सहुलियत होगी। इस अवसर पर जिला पंचायत अध्यक्ष श्रीमती उषा पटेल, कलेक्टर विनय कुमार लंगेह, अपर कलेक्टर रवि कुमार साहू सहित जिला स्तरीय अधिकारी उपस्थित थे।

लोकार्पण कार्यक्रम में सिरपुर की धरोहर को संरक्षित करने और उसे वैश्विक स्तर पर प्रचारित करने के प्रति प्रतिबद्धता व्यक्त की गई। यह प्रयास सिरपुर को पर्यटन और अनुसंधान का एक महत्वपूर्ण केंद्र बनाने की दिशा में मील का पत्थर साबित होगा। इस डिजिटल प्लेटफ़ॉर्म के माध्यम से सिरपुर की समृद्ध संस्कृति, मंदिर वास्तुकला और ऐतिहासिक धरोहरों को एक नई पहचान मिलेगी। लोकार्पण के इस आयोजन ने सिरपुर को विश्व मानचित्र पर स्थापित करने की दिशा में एक नई राह प्रशस्त की है।

उल्लेखनीय है कि प्राकृतिक सौंदर्य, सांस्कृतिक समृद्धि, ऐतिहासिक महत्व और पुरातात्विक धरोहरों से ओत-प्रोत छत्तीसगढ़ के जिले महासमुन्द को एक प्रसिद्ध धार्मिक पर्यटन स्थल है सिरपुर। महानदी के तट पर स्थित यह ग्राम पांचवी शताब्दी में शरभपुरिया राजा प्रवरदेव के व्दारा बसाया गया था। यह नगर पाँचवी से बारहवीं शताब्दी तक दक्षिण कोसल राज्य की राजधानी रहा और इसका नाम उस समय श्रीपुर था, जिसका अर्थ घन ऐश्वर्य और वैभवों का नगर होता है। श्रीपुर में अब तक हुए उत्खननों में 12 बौद्ध विहार, 14 शिव मंदिर, 05 विष्णु मंदिर, 03 जैन विहार एक बड़ा बाजार और अन्यान्य आवासीय रचनाएँ यहाँ मिली है। साथ ही अनके स्वर्ण, अष्टधातु, कांसा और पाषाण प्रतिमाएँ, बर्तन, औजार ताम्र लिपियों और शिलालेख मिले हैं जो उस काल की जीवन शैली, समृद्धि और धार्मिक सहिष्णुता को परिलक्षित करते हैं।

वर्तमान राजधानी से 78 कि.मी. की दूरी पर विमानाश्रय से 74 कि मी और महासमुंद रेलवे स्टेशन से 38 किमी की दूरी पर राष्ट्रीय राजमार्ग 53 से 19 किमी की दूरी पर रायपुर-कसडोल मार्ग पर सिरपुर स्थित है। सघन आरक्षित वनों से आच्छादित महानदी के तट पर स्थित इस क्षेत्र के 34 ग्रामों को शामिल कर इस क्षेत्र को विश्व विरासत स्थल के रूप में विकसित करने के उद्देश्य से 2015 में छ.ग. शासन ने सिरपुर विशेष क्षेत्र विकास प्राधिकरण का गठन किया है।

Exit mobile version