गौरेला-पेंड्रा-मरवाही @ सूरज यादव । देवकीनंदन ठाकुर महाराज के सानिध्य में स्टेडियम ग्राउंड, हाईस्कूल परिसर, गोकुल धाम के पास कटघोरा में 16 से 22 सितंबर तक श्रीमद भागवत कथा का आयोजन किया जा रहा है। श्रीमद भागवत कथा के पंचम दिवस की शुरुआत विश्व शांति के लिए प्रार्थना के साथ की गई। जिसके बाद पूज्य महाराज ने भक्तों को ‘मेरी लगी श्याम संग प्रीत, ये दुनिया क्या जाने भजन का श्रवण कराया।
गुरु मनुष्य को संसार से बचा कर भगवान में लगाते हैं।जितना हो सके मनुष्य को उतना समय भगवान को देना चाहिए क्यूंकि हमारे भविष्य में भगवान ही काम आते हैं।धर्म-अधर्म ,सत्य-असत्य , अच्छा -बुरा इन सब का ज्ञान मनुष्य को ऋषियों के द्वारा प्राप्त हुआ है।श्राद्ध करते समय अगर मनुष्य के मन में श्रद्धा नहीं है तो वो श्राद्ध स्वीकार नहीं होगा एवं श्राद्ध हमेशा श्रद्धा से ही लगते हैं। क्यूंकि पितरों के प्रसन्न होने से मनुष्य के सारे काम बन जाते हैं।कोई भी व्यक्ति अगर ऋषि पंचमी ‘का व्रत करता है तो उसे नर्क नहीं जाना पड़ता है एवं अनजाने में मनुष्य द्वारा किए हुए पाप ऋषि पंचमी का व्रत करने से नष्ट हो जाता हैं,मनुष्य की दुर्गति भी नहीं होती है।
मनुष्य को मृत्यु से पहले ही अच्छे काम कर के जाने चाहिए तांकि अगले जन्म में भगवान भी मनुष्य से प्रसन्न रहें।जितना भी मनुष्य के पास है वो सब अनिच्छित है और केवल मृत्यु ही निश्चित है।जो मित्र अपने मित्र के दुःख में दुखी न हो वो सच्चा मित्र नहीं होता है एवं जो अपना दुःख भूलकर अपने मित्र की ख़ुशी में खुश होता है,सच्चा मित्र वही होता है।श्रीकृष्ण अपने भक्तों पर संकट आने से पहले ही टाल देते हैं एवं उस मनुष्य का जन्म धन्य होता है जिनका भगवान के साथ संबंध जुड़ा होता है।राधे राधे बोलना पड़ेगा।