सुंदर बस्तर की कल्पना को साकार कर रही छत्तीसगढ़ सरकार : मुख्यमंत्री भूपेश बघेल
मुख्यमंत्री विश्व आदिवासी दिवस के अवसर पर जगदलपुर में आयोजित कार्यक्रम में हुए शामिल
रायपुर। बस्तर जो शांति का टापू है, शस्य श्यामला है, प्राकृतिक सुंदरता से भरा हुआ है। बस्तर में साफ दिल के लोग हैं, भोले-भाले लोग हैं, मेहनतकश और ईमानदार लोग हैं। पिछले कुछ वर्षों से जो भय का माहौल बना था, आज वह भय से उन्मुक्त होते जा रहे हैं। आज हिंसक घटनाओं में बहुत कमी आई है और उसका लाभ जनता उठा पा रही है। लोग आसानी से व्यापार-व्यवसाय कर रहे हैं, शिक्षा से, रोजगार से जुड़ रहे है और अपनी संस्कृति से जुड़कर संरक्षित एवं संवर्धित कर रहे हैं।
जिस सुंदर बस्तर की कल्पना हमारे पुरखों ने की थी, आज उसे साकार करने के लिए छत्तीसगढ़ सरकार दिन रात मेहनत कर रही है। मुख्यमंत्री श्री भूपेश बघेल आज विश्व आदिवासी दिवस के अवसर जगदलपुर के काकतीय कॉलेज ग्राउंड में आयोजित कार्यक्रम को सम्बोधित कर रहे थे। इस दौरान मुख्यमंत्री श्री बघेल ने बस्तर जिलेे को 637 करोड़ रूपए के विकास कार्यों की सौगात दी। जिसमें 150 करोड़ रूपए के विकास कार्यों का लोकार्पण और 487 करोड़ रूपए के विकास कार्यों के भूमिपूजन शामिल है।
मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने अपने संबोधन की शुरूआत मां दंतेश्वरी के जयकारे के साथ की। उन्होंने जनजातीय समुदाय के देवी-देवताओं को प्रणाम करते हुए सभी को विश्व आदिवासी की शुभकामनाएं दी। श्री बघेल ने कहा कि आज का दिन आदिवासियों के लिए समर्पित है। पूरे विश्व में आदिवासी भाई बहन बहुत उल्लास के साथ अपना दिवस मना रहे हैं।
मुझे यह बताते हुए गर्व की अनुभूति हो रही है कि हमारी सरकार ने सबसे पहले विश्व आदिवासी दिवस के अवसर पर शासकीय अवकाश देने की शुरुआत की है। इसके साथ ही आज 5633 ग्राम पंचायतों को आदिवासी परब सम्मान निधि की दूसरी किश्त के रूप में 281.65 लाख रूपए की राशि जारी की गई है। यह पहली बार हुआ है कि आदिवासियों के जो त्यौहार परब है उसके लिए सम्मान निधि 10 हजार रुपये सालाना देने का निर्णय लिया गया है, ताकि हमारे आदिवासी भाई बहन उल्लास के साथ अपने त्यौहार मना सकें।
मुख्यमंत्री श्री बघेल ने कहा कि आदिवासियों की आर्थिक स्थिति में सुधार लाने का काम हमने किया है। हजारों साल से जंगल से आदिवासियों का नाता रहा है। जो जंगल आज बचा है, वह आदिवासी भाइयों के कारण बचा है, वही उनके साथ जीवन-यापन करते हैं, उसे सुरक्षित रखते हैं। यही कारण हैं कि हम लोगों ने पूरे देश में सर्वाधिक वन अधिकार पट्टा देने का काम किया है। हमने लोगों को सामुदायिक दावा अधिमान्यता पत्र और वन संसाधन अधिकार भी दिए है। नारायणपुर जिले में पहली बार सर्वे कर अबुझमाड़ में मसाहती पट्टा देने का काम किया जा रहा है। अब तो व्यक्तिगत वन अधिकार पत्र में ऋण पुस्तिका भी बनने लगा है, उसमें लोन भी मिल रहा है और धान सहित फसल बेचने का अधिकार भी लोगों को मिला है।