खूबचंद बघेल स्वास्थ्य सहायता योजना का मिला लाभ, अनिमा मंडल के उम्मीदों के आगे बौना साबित हुआ ऑटोइम्यून बीमारी
सुकमा। सुकमा स्थित कुम्हाररास निवासी अनिमा मंडल पति आशुतोष मंडल ने जिला अस्पताल सुकमा में स्वास्थ्य सुविधाओं का लाभ लेकर ऑटो इम्यून थम्ब्रोसेतेपिमिया नामक बीमारी को अपने उम्मीदों के आगे बौना साबित किया है। खुबचंद बघेल स्वास्थ्य सहायता योजना का लाभ लेकर ऑटो इम्यून बीमारी से मुक्त अनिमा अपने परिवार के साथ सुखद जीवन जी रही है। इसके लिए उन्होंने चिकित्सकों के साथ ही शासन-प्रशासन का आभार जताया है।
पिछले 7 वर्षों से ऑटो इम्यून थम्ब्रोसेतेपिमिया नामक बीमारी से ग्रसित अनिमा ने इसका इलाज सीमावर्ती राज्यों में भी कराया लेकिन किसी प्रकार का स्वास्थ्य लाभ नहीं मिला। दिन बीतने के साथ ही शारीरिक और मानसिक परेशानियों में भी इजाफा होने लगा। समय व धन की खपत के बाद भी सेहत में सुधार नजर नहीं आई। घर की जिम्मेदारियों के साथ ही कई परेशानियां सामने उठ खड़ी हुई। उन्हें पड़ोसी महिला ने भरोसा दिलाते हुए बताया कि जिला अस्पताल सुकमा में बेहतर स्वास्थ्य सुविधाएं मुहैया कराई जा रही है। उन्होंने जिला अस्पताल पहुंचकर स्त्रीरोग विशेषज्ञ डॉ. भाग्यलक्ष्मी चिकित्सक की सलाह पर बेहतर उपचार कराया।
क्या है ऑटो इम्यून थम्ब्रोसेतेपिमिया ?
शरीर का इम्यून सिस्टम स्वस्थ कोशिकाओं पर हमला कर देता है तो इसे ऑटोइम्यून डिजीज कहा जाता है। किसी भी बाहरी (वायरस, बैक्टीरिया) हमले से शरीर को बचाने के लिए इम्यून सिस्टम एंटीबॉडी बनाता है, लेकिन कई बार इसमें गड़बड़ी के चलते यह स्वस्थ कोशिकाओं को बाहरी तत्व समझकर उन पर भी हमला कर देता है। इस स्थिति को ऑटोइम्यून डिजीज कहा जाता है। हालांकि जब किसी व्यक्ति को ऑटोइम्यून बीमारियां होती हैं तो उनका शरीर ऑटो एंटीबॉडी बनाना शुरू कर देता है जो अपने ही टिश्यू के खिलाफ सुरक्षा प्रदान करती हैं।
ऑटोइम्यून बीमारी शरीर के किसी भी उत्तक पर हमला कर सकती है, फिर चाहे वह खून (ल्यूपस), त्वचा (सोरायसिस), मासपेशियां (मायोसाइटिस), जोड़ (रूमेटॉइड आर्थराइटिस), थायरॉइड जैसी एंडोक्राइन ग्लैंड (ऑटोइम्यून थायरॉइड) और पैंक्रियाज (डायबिटीज टाइप 1) ही क्यों ना हों। इससे अंग क्षतिग्रस्त हो सकते हैं, उनके कामकाज में परिवर्तन हो सकता है और किसी अंग में असमान्य रूप से वृद्धि भी हो सकती है।