गरियाबंद जिला चिकित्सालय में फर्जीवाड़ा, सर्टिफिकेट बनवाने लाखों का गबन

रिपोर्टर : लोकेश्वर सिन्हा

गरियाबंद। गरियाबंद जिला चिकित्सालय में सिविल सर्जन और बाबू में मिलकर पिछले डेढ़ साल में 12 से 15 लाख रुपए से अधिक की राशि का गबन कर लिया है। इस बात की पृष्टि जिला चिकित्सालय के डॉक्टरों ने भी की है। माह के हर बुधवार को मेडिकल बोर्ड द्वारा सर्टिफिकेट बनवाने के लिए जिले भर से लोग जिला चिकित्सालय आते है, इसके लिए शासन ने प्रति सर्टिफिकेट 216 रुपये की राशि निर्धारित की है। इस राशि मे से आधी राशि यानी 108 रुपए जीवन दीप समिति के खाते में जमा किया जाता है और बाकी राशि मेडिकल बोर्ड के 10 सदस्य याने स्पेस्लिस्ट डॉक्टरों को मानदेय के तौर पर मिलता है।

मगर पिछले डेढ़ साल से सिविल सर्जन बी के नाग और बाबू अजय दुबे ने न ही जीवन दीप समिति के खाते में कोई राशि डाली है और न ही डॉक्टरों को मानदेय के तौर पर कोई राशि दी है। डॉक्टरों की माने तो हर महीने लगभग 4 से 5 सौ लोग सर्टिफिकेट बनवा लेते है। पिछले डेढ़ साल में लगभग 7 हजार से अधिक लोग सर्टिफिकेट बनवा चुके है। मगर सिविल सर्जन और बाबू ने इसका कोई रिकार्ड नही रखा है। इस बात की शिकायत वरिष्ठ अधिकरियों से की गई है, लेकिन कोई हल अब तक नही निकला है। मगर कुछ दिनों से बाबू के द्वारा लोगो को रसीद देना शुरू कर दिया गया है।

वही सूत्रों की माने तो प्रयास और नवोदय स्कूल के बच्चो के अलावा विकलांग बच्चो को निशुल्क सर्टिफिकेट बनाकर देना है, मगर उनसे भी 5-5 सौ रुपए की राशि वसूली की गई है। इस बारे में जब बाबू से बात करनी चाही तो उसने कहा कि जो करना है कर लो…

और इस दौरान वह नशे में था और सिविल सर्जन ने किसी तरह की कोई बात कैमरे में कहने से मना कर दिया। हालांकि पूरे मामले को लेकर मुख्य चिकित्सा एवं स्वास्थ्य अधिकारी के.सी.उरांव ने जांच दल गठित कर दोषी के ऊपर कार्यवाही की बात कही हैं।

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