नियो राइस ब्रान तेल अवमानक पाए जाने पर विनिर्माता व नॉमिनी पर 16 लाख का जुर्माना अधिरोपित

गरियाबंद। नियो राइस ब्रान खाद्य तेल अवमानक पाए जाने पर तेल विनिर्माता एवं कंपनी के नॉमिनी पर कुल 16 लाख रुपए का जुर्माना लगाया गया है। विनिर्माता कंपनी पीबीएस ऑयल इंडस्ट्रीज प्राइवेट लिमिटेड अर्जुनी जिला धमतरी पर 8 लाख रुपए एवं कंपनी के नॉमिनी प्रभास अग्रवाल पर 8 लाख रुपए का जुर्माना लगाया गया है। जिला प्रशासन की ओर से लोगों से यह अपील की गई है कि जिले में खाद्य गुणवत्ता से संबंधित शिकायत के लिए खाद्य एवं औषधि प्रशासन के मोबाइल नंबर 9340597097 पर कॉल या व्हाट्सएप के माध्यम से सूचना दे सकते है।

खाद्य सुरक्षा अधिकारी गरियाबंद तरुण बिरला ने बताया कि खाद्य सुरक्षा के मद्देनजर गरियाबंद के श्याम किराना स्टोर्स पर बेचने के लिए भंडारित नियो राइस ब्रान तेल का सैंपल लिया गया था। संकलित नमूना को जांच के लिए राज्य खाद्य परीक्षण प्रयोगशाला भेजा गया था। प्रयोगशाला द्वारा परीक्षण उपरांत उत्पाद को अवमानक पाया गया। अवमानक पाए गए खाद्य तेल के प्रकरण में नियमानुसार जांच पूर्ण कर अपर कलेक्टर न्यायालय के समक्ष प्रकरण प्रस्तुत किया गया।

अपर कलेक्टर व न्याय निर्णयन अधिकारी अरविंद पाण्डेय द्वारा अपर कलेक्टर न्यायालय में प्रकरणों की सुनवाई करते हुए प्रकरण में आदेश पारित किए गए है। जिनमे कुल 16 लाख रुपये की शास्ती अधिरोपित की गई है। नियो राइस ब्रान तेल की प्रकृति एवं क्वालिटी की गारंटी विनिर्माता द्वारा श्याम किराना स्टोर्स को क्रय बिल के रूप में प्रदान की थी। जिस अवस्था में इस खाद्य को क्रय किया गया। उसी अवस्था में नमूना जांच हेतु विक्रय किया गया था। अतः इस प्रकरण में श्याम किराना स्टोर्स गरियाबंद को दोषमुक्त किया गया है।

खाद्य सुरक्षा अधिकारी ने बताया कि उपभोक्ता कोई भी उपभोग किये जा रहे खाद्य की क्वालिटी, संघटक, विनिर्माता का नाम पता, पोषण मूल्य, शाकाहारी, मांसाहारी आदि सही जानकारी प्राप्त करने का अधिकार रखते है। इसलिए विनिर्माण परिवहन, वितरण तथा विक्रय के सभी स्तरों पर खाद्य कारोबारकर्ताओं को यह सुनिश्चित करना चाहिए कि उनके द्वारा विनिर्माण, परिवहन, वितरण अथवा विक्रय किये जा रहे खाद्य का लेबल खाद्य सुरक्षा मानक लेबलिंग तथा प्रदर्शन विनियम 2020 के अनुपालन में हो। जिससे उपभोक्ताओं एवं ग्राहकों को खाद्य के संबंध में स्पष्ट, उचित तथा सही जानकारी प्राप्त हो। जिससे उपभोक्ताओं को स्वयं के स्वास्थ्य की परिस्थितियों के अनुसार खाद्य का चुनाव करने में सुगमता हो।

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