मनीष कुंजाम से आबकारी मंत्री कवासी लखमा मांगे माफी नहीं तो विरोध प्रदर्शन करेंगे
सुकमा @ बालक राम यादव। छत्तीसगढ़ के आबकारी मंत्री कवासी लखमा के द्वारा एक टीवी चैनल पर दिए साक्षात्कार में भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी के राज्य सचिव कामरेड मनीष कुंजाम को कई प्रकार के अपशब्दों का उपयोग कर उनको अपमानित किया गया, एक ऐसे नेता जो जल,जंगल और जमीन की बात करते है। रोटी, कपड़ा, मकान, शिक्षा, चिकित्सा, सम्मान की बात करते है।आदिवासियों पर हो रहे अत्याचार के खिलाफ हमेशा खड़े रहते हैं, बस्तर में इन्ही कवासी लखमा जैसे लोग बीजेपी के साथ मिलकर “सलवा जुडूम” जैसे नरसंहार आंदोलन चलाया गया जिसमें सिर्फ आदिवासीयो को आदिवासियों के साथ लड़ाया गया। हर जगह लाशों का ढेर रहता है।
आज कामरेड मनीष कुंजाम के नेतृत्व में सलवा जुडूम के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर किया गया। लेकिन कोर्ट के द्वारा इसे गलत कहकर सक्त मनाकर दिया, नहीं तो आज बस्तर नहीं रहता।और एसपीओ जवानों को आरक्षक का लाभ मिला।पेसा कानून लागू होने से आदिवासियों को अपना अधिकार मिलेगा, वर्तमान में पेशा कानून तो बनाया है लेकिन तोड़ मरोड़ कर बनाया गया। आदिवासी महासभा और लाल झंडा के बैनर तले बस्तर से टाटा को भगाया।इसके खिलाफ लडने से कामरेड मनीष कुंजाम को जेल तक जानी पड़ी। क्योंकि वहां के लोगों के साथ और उनकी जमीन छिनने का काम कर रहे थे लेकिन लाल झंडा का जीत हुआ।
कामरेड कुंजाम हमेशा आम लोगों के बीच में रहकर उनके हक अधिकार की बात करते आए है, आबकारी मंत्री कवासी लखमा जी के द्वारा दलाल शब्द का उपयोग करके अपमानित किया गया है,हम कड़ी निन्दा करते हैं। हम कवासी लखमा जी से पूछते हैं उन्होंने दलाली की है तो क्या की है सार्वजनिक करें और आप में हिम्मत है तो इसका जवाब दें। लेकिन मंत्री के द्वारा इस क्षेत्र के खदानों को बेचने का काम किया गया है जिसमें अपने चहेते को किकिरपाल खदानों को सौंपने का काम किया गया। ग्रामीणों के द्वारा विरोध करने पर पुलिस के द्वारा डराया धमकाया गया ।ये सब किसके इशारे पर चल रहा है आज सुकमा के अंदरूनी क्षेत्रों में आदिवासी भाई आज भी अपने हक अधिकारी की लड़ाई लड रहे हैं। सिलगेर,एड़समेटा,सिंगाराम,गोडेरास पर मंत्री जी का क्या कहना है आज तक उनके पास गए क्या या निर्दोष लोगों को मारने के बाद मुआवजा देने का काम किय क्या। सिलगेर, एड़समेटा में जांच आने के बाद सार्वजनिक क्यों नहीं कर रहे हैं और आरोपी के खिलाफ कार्रवाई क्यों नहीं कर रहे हैं। बड़ा सवाल तो ये है कि कांग्रेस सरकार आने के बाद झीरम मामले में क्यों सुनवाई नहीं हो रही है झीरम के पीड़ित परिवार को आखिर कब न्याय मिलेगा। इसका जवाब दो…..? ताड़मेटला पर खामोश क्यों हो राइस मिल,दर्जी, टेक्ट्रर किराना दुकान का मालिक को बेवजह मार डाला इसका जवाब दो……?