अधिकारियों की लापरवाही से शासकीय भूमि में अतिक्रमण को मिली कानूनी मान्यता, पार्षद की मिली भगत से अब कब्जाई जा रही जमीन
रिपोर्टर : सुभाष मिश्रा
रीवा। शहर के मध्य स्थित यूनियन बैंक के बगल में लगी बाणसागर तलैया की सवा एकड़ सरकारी जमीन का पट्टा हासिल करने के बाद अब उस जमीन के बाकी बचे हिस्से पर कब्जा करने का प्रयास किया जा रहा है। दूसरी तरफ कलेक्टर के आदेश के बाद भी लोक निर्माण विभाग के एसडीओ हाईकोर्ट में इस मामले को लेकर अपील करने नहीं गए हैं। पिछले दो दिनों से उक्त जमीन को पाटकर समतल करने का काम शुरू कर दिया गया है। तकरीबन 10 करोड़ की कीमत की यह जमीन लोक निर्माण विभाग की लापरवाही और तत्कालीन एसडीएम रीवा द्वारा शासन का पक्ष मजबूती से नहीं रखने के कारण अधूरी पैरवी के चलते निजी पट्टे में चली गई है।
मिली जानकारी के मुताबिक बाणसागर तलैया प्रशासन की लापरवाही की भेंट चढ़ गई है। प्रशासन की ओर से कोर्ट में अपना पक्ष मजबूती से नहीं रखे जाने के कारण फैसला अतिक्रमणकारी के पक्ष में हो गया । सरकारी जमीन खसरे में निजी विश्वनाथ सिंह के नाम दर्ज हो गई। इस मामले में लोक निर्माण विभाग के अधिकारियों द्वारा भारी लापरवाही बरती गई है। तहसीलदार द्वारा लोक निर्माण विभाग को अपना पक्ष प्रस्तुत करने के लिए पर्याप्त समय दिया गया लेकिन अधिकारियों ने इस मामले में लापरवाही बरतते हुए जमीन को बचाने के लिए कोई भी दिलचस्पी नहीं दिखाई। इसी वजह से कोर्ट द्वारा मामले में एक तरफा फैसला किया जाकर जमीन विश्वनाथ सिंह के नाम दर्ज करने का आदेश दिया गया।
उक्त जमीन पर विश्वनाथ सिंह द्वारा पहले तो घर बनाकर अतिक्रमण किया गया। इसके बाद उक्त जमीन को हथियाने के लिए उनके द्वारा प्रकरण कोर्ट में ले जाया गया जहां उन्हें तहसील से रेवेन्यू कोर्ट तक लगातार हार का सामना करना पड़ा। किसी भी अदालत द्वारा उक्त अतितक्रमणकारी को कोई राहत प्रदान नहीं की गई। शहर के पटवारी हल्का सामान अंतर्गत आराजी क्रमांक 631/1 में दर्ज सरकारी भूमि को अपने नाम करने के लिए रेवेन्यू कोर्ट में असफल होने के बाद उनके द्वारा मामला हाईकोर्ट ले जाया गया। जहां हाई कोर्ट द्वारा तत्कालीन एसडीएम को ओआईसी बनाया गया। उस समय रीवा के एसडीएम लल्लू लाल यादव थे, जिनके द्वारा कोर्ट में शासन का पक्ष मजबूती के साथ नहीं रखा गया। जिसका परिणाम यह रहा कि कोर्ट द्वारा सन 2022 में फैसला विश्वनाथ सिंह के हक में कर दिया गया।
प्रशासन की आंखें तब खुली जब विश्वनाथ सिंह द्वारा उक्त जमीन को अपने नाम करने का आवेदन दिया गया। कोर्ट के आदेश के कारण सरकारी जमीन पर बंटाक नंबर डालते हुए खसरा क्रमांक 631/2 विश्वनाथ सिंह के नाम सवा एकड़ रकवा दर्ज कर दिया गया। इस मामले के सामने आने के बाद कलेक्टर प्रतिभा पाल द्वारा उक्त जमीन को पुनः प्राप्त करने के लिए हाईकोर्ट में अपील तैयार करने के निर्देश लोक निर्माण विभाग के अधिकारियों को दिए गए। लेकिन अभी हाई कोर्ट में अपील दायर नहीं की जा सकी है। लिहाजा अब उक्त जमीन को पाटकर समतल किया जा रहा है। वर्तमान में इस जमीन का बाजार मूल्य लगभग 10 करोड रुपए है और यह जमीन बाणसागर कॉलोनी में रोड के किनारे बाणसागर कार्यालय के पीछे स्थित है। इस जमीन को लेकर स्थानीय लोगों द्वारा भी आक्रोश जताया जा रहा है। सरकारी जमीन होने के कारण अभी तक यह अन्य लोगों के भी निस्तार के काम आती थी लेकिन अब यह जमीन पर अन्य लोगों को भी निस्तार करने से रोका जाने लगा है।