कांकेर @ धनंजय चंद। कांकेर जिले के दुर्गुकोंदल ब्लाक में शिक्षा के मंदिर को सहेजने में भी कोताही बरती जा रही है। इसका उदाहरण शासकीय प्राथमिक शाला पचांगी एवं शासकीय पूर्व माध्यमिक शाला पचांगी है। टूटी फर्स व दरवाजे, जर्जर शौचालय से पठन-पाठन प्रभावित है। बच्चे जहां अपने को असहज महसूस कर रहे वहीं शिक्षकों को खुद की सुरक्षा सता रही है। हालत यह है कि इस स्कूल में दो वर्षो से शौचालय का मरम्मत अभी तक नहीं हो सका है।
दोनों विद्यालयों में 170 छात्र छात्राएं पंजीकृत हैं। जिसमे लड़कियों की संख्या अधिक है | यहां तैनात शिक्षक व छात्र तमाम दुश्वारियां झेल रहे हैं। हालत यह है कि इस विद्यालय का विद्युतीकरण तो हो गया लेकिन प्रधान द्वारा अभी तक विद्युत कनेक्शन ही नहीं हुआ है। इस संबंध में शिक्षकों द्वारा कई बार प्रधान व ग्राम पंचायत अधिकारी से कह चुके हैं लेकिन, ध्यान ही नहीं दिया जा रहा है। स्कूल में छात्र व छात्राओं के लिए शौचालय मरम्मत का कार्य तीन वर्ष पहले शुरू हुआ लेकिन, अभी तक पूरा नहीं हो सका। शासकीय विद्यालयों की मरम्मत कार्य व देख रेख के लिए विभागीय रूप से प्रति वर्ष फण्ड आबंठित होती तो है लेकिन परिस्थिति को देखने से लग रहा है कि मरम्मत के नाम पर भ्रष्टाचार की भेंट चढ़ चूका होगा | शौचालय का मरम्मत कार्य अधूरा ही छोड़ दिया गया है और मौजूदा समय में इसका खामियाजा विद्यार्थियों और शिक्षकों को उठाना पड़ रहा है।
स्वच्छ भारत मिशन को ठेंगा देखता यह विद्यालय, आखिरकार जिम्मेदार कौन ?
महात्मा गांधी ने अपने आसपास के लोगों को स्वच्छता बनाए रखने संबंधी शिक्षा प्रदान कर राष्ट्र को एक उत्कृष्ट संदेश दिया था। उन्होंने “स्वच्छ भारत” का सपना देखा था जिसके लिए वह चाहते थे कि भारत के सभी नागरिक एक साथ मिलकर देश को स्वच्छ बनाने के लिए कार्य करें। महात्मा गांधी के स्वच्छ भारत के स्वप्न को पूरा करने के लिए, प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी जी ने 2 अक्टूबर 2014 को स्वच्छ भारत अभियान शुरू किया और इसके सफल कार्यान्वयन हेतु भारत के सभी नागरिकों से इस अभियान से जुड़ने की अपील की। इस अभियान का उद्देश्य अगले पांच वर्ष में स्वच्छ भारत का लक्ष्य प्राप्त करना है ताकि बापू की 150वीं जयंती को इस लक्ष्य की प्राप्ति के रूप में मनाया जा सके।
लेकिन इस विद्यालय के समस्या को देखने से यह प्रतीत हो रहा है कि यह विद्यालय स्वच्छ भारत मिशन को ठेंगा दिखाने में कोई कसर नही छोड़ रहा | शाला के शिक्षक ने बताया कि विद्यालय की दशा सुधारने के लिए कई बार उच्चाधिकारी व स्थानीय जनप्रतिनिधि को शिकायती पत्र भी भेजा गया लेकिन, अभी तक कोई स्थिति में कोई सुधार नहीं हुआ। अब जनता के सामने सवाल यह खड़ा हो रहा है कि आखिकार विद्यालय के मौजूदा समस्या का जिम्मेदार कौन है अधिकारी या जनप्रतिनिधि।