रीवा @ सुभाष मिश्रा। मुख्य चिकित्सा एवं स्वास्थ्य अधिकारी डॉ बी एल मिश्रा की अध्यक्षता में राष्ट्रीय जलवायु परिवर्तन कार्यक्रम के अंतर्गत जिला कार्यालय में बान्डेड मेडिकल आफीसर एवं डाटा एंट्री ऑपरेटर का एक दिवसीय प्रशिक्षण का आयोजन किया गया, जिसमें सभी को जलवायु परिवर्तन कार्यक्रम के उद्देश्यो के बारे में अवगत कराया गया, एवं कार्यक्रम के बारे में सभी को विस्तृत जानकारी दी गई। समस्त मेडिकल आफीसर को उनकी जिम्मेदारियों के बारे में बताया गया जैसे कि वाटर हार्वेस्टिंग, पावर कंजप्शन, ग्रीन एनर्जी एवं सोलर एनर्जी का ज्यादा उपयोग करें। बैठक के दौरान जलवायु परिवर्तन से होने वाली बीमारियों के बारे में बताया गया जैसे जलजनित बीमारियां हैजा , पेचिस, टाइफाइड, कॉलरा, वेक्टर बोर्न बीमारियां जैसे डेंगू, मलेरिया, चिकुनगुनिया जैसी बीमारियों के होने पर उनके रोकथाम एवं फैलने पर नियंत्रण के उपाय बताए गए। प्राथमिक स्वस्थ्य केंद्र एवं सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्रों को जलवायु सहनशील सुविधाओं में विकसित करने के बारे में चर्चा की गई। CMHO डॉ बी एल मिश्रा द्वारा बताया गया कि जलवायु परिवर्तन से होने वाली किसी भी बीमारी महामारी एवं आपदा से निपटने हेतु सभी अधिकारियों को निर्देश दिए गए।
डॉ बी एल मिश्रा मुख्य चिकित्सा एवं स्वास्थ्य अधिकारी जिला रीवा ने जिले में मातृ मृत्यु दर व शिशु मृत्यु दर कम करने के लिए किशोरियों को एल्बेंडाजोल की गोली चबाकर समक्ष में खिलवाये जाने, एनीमिया पीड़ित किशोरी को आयरन फोलिक एसिड गोली खिलाने, साथ ही संतुलित आहार सेवन की जानकारी प्रदान करने के निर्देश दिए गए। परिवार नियोजना कार्यक्रम को सफल बनाने हेतु बैठक आयोजित कर नियमित रूप से महिला नसंबदी करने और सुरक्षित एम.टी.पी. कराने, दो बच्चों के जन्म में अन्तर रखने हेतु कापर-टी, इंजेक्शन अंतरा, छाया गोली, एवं जन्म के तुरन्त बाद सभी महिलाओं को पीपीआईसीयूडी लगाने के निर्देश प्रदान किए गए। दस्तक अभियान सभी गर्भवती महिलाओं की देखभाल एवं उन्हे आयरन सुक्रोज इंजेक्शन लगवाए जाने एवं समस्त एवं डाटा एंट्री ऑपरेटर के पास बैठकर अनमोल पोर्टल में आवश्यक रूप से एंट्री कराने हेतु आदेशित किया गया। कन्डोम बाक्स लगाने एवं निरोध की सतत् उपलब्धता बनाने के निर्देश दिए गए।
डॉ0 मिश्रा बताया कि ओरलपिल्स, कापर-टी, आयरन सुक्रोज इंजेक्शन समस्त गर्भवती महिलाओं को गर्भावस्था के दौरान 03 बार लगाये जाने हेतु स्वास्थ्य स्टाफ को निर्देशित किया गया। गंभीर एनीमिया से पीड़ित प्रत्येक महिला की आडिट की जावेगी। एसएनसीयू एवं एनआरसी में उपस्थित समस्त महिलाओं को परिवार नियोजन का साधन अपनाने, शिशु के जन्म के तुरंत बाद स्तन पान कराने एवं एनीमिया से बचने हेतु समूह चर्चा कर महिलाओं को साधन अपनाने हेतु प्रेरित करने के निर्देश दिये गये। कार्य में रूचि न लेने वाले व दोशी पाये जाने वाले स्वास्थ्य अधिकारी/कर्मचारी के विरूद्ध अनुशासनात्मक कार्यवाही करने के निर्देश दिये गये है।
कार्यक्रम में जिला नोडल अधिकारी डॉ अतुल तिवारी, डॉ देवेंद्र वर्मा एपीडियमोलाजिस्ट, एम एंड ई अनुराग श्रीवास्तव, द्वारा डाटा एंट्री ऑपरेटर को समस्त ऑनलाइन रिपोर्टिंग का कार्य समय सीमा में करने के निर्देश प्रदान किए गए। बान्डेड चिकित्सकों को मुख्यालय बनाकर उपस्थित रहने के निर्देश मुख्य चिकित्सा एवं स्वास्थ्य अधिकारी द्वारा प्रदान किए गए। साथ ही मीटिंग में अनुपस्थित बान्डेड चिकित्सा अधिकारियों को कारण बताओ नोटिस जारी करने के निर्देश प्रदान किए गए।
मुख्य चिकित्सा एवं स्वास्थ्य अधिकारी डॉ बी एल मिश्रा ने बताया कि वर्षा ऋतु में मुख्य रूप से दूषित जल के उपयोग के कारण होने वाली बीमारियां देखी जाती हैं। दूषित जल के सेवन से टाइफाईड पीलिया, डायरिया, पेचिस एवं हैजा जैसी बीमारियां भी फैलती हैं। अतः भोजन बनाने के लिये एवं पेयजल के रूप में शुद्ध उबला हुआ जल का उपयोग करें। कुछ भी खाने के पहले व शौच के पश्चात साबुन से अवश्य हाथ धोयें। शुद्ध पेयजल की कमी के कारण देश में जलजनित रोगों से सबसे अधिक यानि लगभग 80 प्रतिशत मौतें होती हैं। बारिश में यह समस्या बढ़ जाती है। पानी और अस्वच्छ आदतों से फैलने वाली बीमारियों में मोटे तौर पर दस्त/कृमि संक्रमण/त्वचा और आंखों के रोग/मच्छरों एवं मक्खियों से फैलने वाले रोग सम्मिलित हैं। दस्त के कारण मुख्य रूप से बच्चों में यह अधिक गंभीर रूप धारण कर सकता है। यह रोग इसलिये भी गंभीर है क्योंकि शरीर में से पानी निकल जाने से बच्चे की मृत्यु भी हो सकती है। दस्त रोग की रोकथाम हेतु प्रायः शुद्ध पेयजल एवं शुद्ध भोजन का उपयोग करें। सड़े-गले फल एवं खाद्य पदार्थो का उपयोग न करें। खाना खाने से पहले एवं शौच के बाद साबुन से अवश्य हाथ धोयें। खुले में शौच न करें एवं शौचालय का उपयोग करें। घर के आसपास साफ-सफाई रखें, दस्त लग जाने पर ओ.आर.एस. एवं जिंक सल्फेट गोली का उपयोग चिकित्सक की सलाह अनुसार करें। खाने-पीने की वस्तुओं को ढंककर रखें, मक्खियों से बचाव करें। हरी सब्जी एवं फलों को उपयोग करने के पहले साफ पानी से धोकर ही उपयोग करें।
मानसून के दौरान बहुत से लोगों को आंखो के रोग हो जाते हैं। आंखों में खुजली एवं आखें लाल हो जाती हैं, आंखे चिपचिपी हो जाती हैं, सफेद और पीले रंग का पदार्थ जमा हो जाता है। इस रोग को आई-फ्लू, कंजक्टिवाईटिस या आखें आना के रूप में जाना जाता है। कंजेक्टिवाइटिस का संक्रमण आपसी संपर्क के कारण फैलता है। इस रोग का वायरस संक्रमित मरीज के उपयोग की किसी भी वस्तु जैसे, रूमाल, तौलिया, टॉयलेट की टोंटी, दरवाजे का हैंडल, टेलीफोन के रिसीवर से दूसरों तक पहुंचता है। आंखे आने पर बार-बार अपने हाथ एवं चेहरे को ठंडे पानी से धोयें, परिवार के सभी सदस्य अलग-अलग तौलिये एवं रूमाल का उपयोग करें, स्वच्छ पानी का उपयोग करें, बार-बार आंखों को हाथ न लगायें, धूप के चश्मे का प्रयोग करें, चिकित्सक को दिखायें। डॉ मिश्रा ने बताया कि
बरसात में मलेरिया/डेगू रोग भी फैलता है जिसमें मरीज को ठण्ड लगकर बुखार आता है। प्रायः खेत, तालाब, गड्डे, खाई, घर के आसपास रखे हुए टूटे-फूटे डब्बे, पुराने टायर, पशु के पानी पीने का नाद इत्यादि में बरसात के दिनो में जल जमा हो जाता है। इस प्रकार के भरे हुए पानी में मच्छर के लार्वा पैदा होते हैं जो बाद में मच्छर बनकर रोग फैलाते हैं। मलेरिया से बचाव हेतु घर के आसपास जल जमा न होने दें, रूके हुए पानी में मिट्टी का तेल या जला हुआ ऑईल डालें। कूलर, फूलदान, फ्रिज ट्रे आदि को सप्ताह में एक बार अवश्य साफ करें। सोते समय मच्छरदानी का उपयोग करें। कीटनाशक का छिडकाव करवायें, मलेरिया रोग हो जाने पर खून की जांच अवश्य करायें एवं चिकित्सक की सलाह से पूर्ण उपचार लें।
डॉ बी एल मिश्रा मुख्य चिकित्सा एवं स्वास्थ्य अधिकारी ने समस्त आम जनता, समाजसेवी एवं जनप्रतिनिधियों से अपील की है कि वर्षा ऋतु में बीमारी से बचने के लिए सावधानी ही बचाव है, इसके बारे में ज्यादा से ज्यादा जागरूकता फैलाई जाए।