रिपोर्टर : लोकेश्वर सिन्हा
गरियाबंद। गरियाबंद जिला मुख्यालय के आसपास में इलाज के नाम पर जानलेवा लापरवाही का सिलसिला थमने का नाम नही ले रहा है। ताजा मामला जिला मुख्यालय से महज 1 किमी दूरी पर बसे ग्राम पारागांव का है, जहां ग्रामीण सुकलाल की बुखार से पीड़ित 13 साल की बेटी सकुंतला का उपचार गांव में ही रहने वाले एक झोलाछाप डॉक्टर से करा लिया, बगैर किसी जांच के झोलाछाप ने पीड़िता मरीज को एक इंजेक्शन लगा दिया, जिसके बाद पीड़िता की हालात और बिगड़ गई, पीड़िता के पूरे शरीर में इन्फेक्शन के कारण फफोले पड़ गए, चेहरा भी बुरी तरह झुलसा हुआ नजर आया।
मामले की पोल न खुल जाए इसलिए झोलाछाप ने सरकारी अस्पताल के बजाए अपने संपर्क के नवापारा स्थित एक निजी अस्पताल में इलाज के लिए भेज दिया। पीड़ित परिवार दो दिनो मे 20 हजार खर्च किए पर हालात में सुधार नहीं आया। इसके बाद अब गरियाबंद के एक निजी अस्पताल में पीड़िता का इलाज किया जा रहा है। निजी अस्पताल के चिकित्सक ने अब पीड़िता के हालात में सुधार होने का दावा किया है। लेकिन सवाल अब भी उठ रहा है की जिले में इस तरह जानलेवा लापरवाही करने वालो के खिलाफ आखिर ठोस कार्यवाही क्यों नही हो रहा।