नईगढ़ी माइक्रो इरिगेशन के 50 हजार हैक्टेयर के 855 करोड़ के प्रोजेक्ट पर भ्रष्टाचार का काला साया

रिपोर्टर : सुभाष मिश्रा

रीवा। मप्र में नईगढ़ी माइक्रो इरिगेशन के 50 हजार हैक्टेयर के 855 करोड़ के प्रोजेक्ट पर भ्रष्टाचार का काला साया छा गया है। इस मामले को एक अरसे से उठाया गया था। जिस कार्य को वर्ष 2017-18 में पूरा किया जाना था उसे आजतक अर्थात 2024 तक पूरा नहीं किया जा सका।

इस मामले को हमारे द्वारा पहले भी उठाया गया था तब पिछले वर्ष ही जेपी कंपनी को ब्लैक लिस्ट किया गया था लेकिन समयावधि में कार्य पूर्ण न किए जाने और गुणवत्ता विहीन कार्य के लिए इसे टर्मिनेट नहीं किया गया था।

आज गंगेव के गढ़ थाना क्षेत्र में गढ़ तेंदुआ के पास इसके वर्कशॉप में जाकर देखा तो पाइपें डंप लगी हुई हैं। जिस बहुती नहर से इसमें एक्सेस पानी छोड़ा जाकर माइक्रो इरिगेशन की परिकल्पना की गई थी वह आज तक साकार नहीं हो पाई है क्योंकि जब बहुती में ही बाणसागर परियोजना का पानी नही पहुंच पाया तो भला माइक्रो इरिगेशन में कहां पहुंचेगा क्योंकि माइक्रो की तो अब तक पाइपें भी खेतों में नहीं बिछ पाई हैं।

हालांकि जानकारी के मुताबिक जेपी कम्पनी को पूरा पेमेंट जरूर कर दिया गया है। इसके लिए जेपी को विशेष व्यवस्था के तहत बिछाई गई कुछ पाइपों में पानी सप्लाई किया जाना दिखाया गया और फोटो खींचकर यह दिखा दिया गया की पानी पहुंच चुका है। जिससे सब ok हो गया और किए गए काम से अधिक भुगतान को justify कर दिया गया।

यह मामला रीवा के नईगढ़ी में माइक्रो इरिगेशन का है जो मात्र एक उदाहरण के तौर पर है। यही हाल पूरे मप्र में चल रहा है। या यूं कहें कि पूरे भारत में। बहरहाल किसानों के खेतों में पानी कम से कम दो तीन जेनरेशन तक तो नही आएगा बाकी आगे इसे देखने के लिए कौन बचेगा यह भगवान जाने।

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