हमर प्रदेश/राजनीति

शिक्षा में रचनात्मकता को बढ़ावा दिया जाये – राज्यपाल विश्वभूषण हरिचंदन

रायपुर। रचनात्मकता शिक्षा की वास्ताविक क्षमता को उजागर करने की कुंजी है। शिक्षा में रचनात्मकता की शक्ति का उपयोग करने के लिए, हमें ऐसे वातावरण को बढ़ावा देना चाहिए जो प्रयोग और जोखिम लेने को प्रोत्साहित करे। शिक्षकों को रचनात्मक शिक्षण विधि से पढ़ाने के लिए सशक्त बनाया जाना चाहिए।

राज्यपाल श्री विश्वभूषण हरिचंदन ने भोपाल में चल रहे अंतर्राष्ट्रीय साहित्य उत्सव में आयोजित परिचर्चा में उक्त विचार व्यक्त किया। संस्कृति मंत्रालय भारत सरकार एवं साहित्य अकादमी द्वारा रवींद्र भवन भोपाल में आयोजित अंतर्राष्ट्रीय साहित्य उत्सव ‘‘उन्मेष‘‘ के अंतर्गत शुक्रवार को रचनात्मकता बढ़ाने वाली शिक्षा विषय पर परिचर्चा आयोजित की गई थी। जिसमें राज्यपाल श्री हरिचंदन बतौर मुख्य अतिथि शामिल हुये।

परिचर्चा में राज्यपाल ने श्री हरिचंदन ने अपने विचार व्यक्त करते हुए कहा कि रचनात्मकता अकादमिक विषयों की गहरी समझ को बढ़ावा देती है। जब छात्रों को रचनात्मक रूप से सोचने के लिए प्रोत्साहित किया जाता है, तो वे रटने तक ही सीमित नहीं रहते हैं, बल्कि वे विभिन्न दृष्टिकोणों का पता लगाते हैं और विभिन्न समाधानों के साथ प्रयोग करते हैं। यह प्रक्रिया उनके महत्वपूर्ण सोच कौशल को बढ़ाती है और उन्हें जटिल अवधारणाओं को अधिक आसानी से समझने में सक्षम बनाती है। इसके अलावा, रचनात्मकता जिज्ञासा पैदा करती है। यह विद्यार्थियों को अपने आसपास की दुनिया पर सवाल उठाने और पाठ्यपुस्तकों की सीमाओं से परे उत्तर खोजने के लिए मजबूर करता है। उनकी सहज जिज्ञासा को पोषित करने से शिक्षा एक कठिन कार्य के बजाय मनोरंजक बन जाती है। जिज्ञासु दिमाग सीखने के लिए अधिक व्यस्त और प्रेरित होते हैं, जिससे शैक्षिक अनुभव अधिक सार्थक और स्थायी हो जाता है।

राज्यपाल ने आगे कहा कि जब विद्यार्थियों को लीक से हटकर सोचने के लिए प्रोत्साहित किया जाता है, तो वे असफलताओं को सफलता की सीढ़ी के रूप में स्वीकार करना सीखते हैं। वे समझते हैं कि गलतियाँ डरने की चीज नहीं हैं बल्कि मूल्यवान सबक हैं जिनका उपयोग उनके विचारों और दृष्टिकोणों को परिष्कृत करने के लिए किया जा सकता है। यह लचीलापन एक आवश्यक जीवन कौशल है जो कक्षा से परे जाकर उन्हें अपने व्यक्तिगत और व्यावसायिक जीवन में चुनौतियों का सामना करने के लिए तैयार करता है।

जब कला, लेखन या किसी अन्य रचनात्मक माध्यम के माध्यम से खुद को अभिव्यक्त करने के लिए प्रोत्साहित किया जाता है, तो उनमें अपनी भावनाओं और दूसरों की भावनाओं की गहरी समझ विकसित होती है। यह सहानुभूति एक अधिक दयालु समाज की मजबूत नींव बनाती है। श्री हरिचंदन ने शिक्षको, माता-पिता और समाज से अपील करते हुए कहा कि शिक्षा में रचनात्मकता को बढ़ावा देने के लिए सभी साथ मिलकर काम करें और हमारे बच्चों के जीवन और उनके द्वारा आकार दी जाने वाली दुनिया पर इसके परिवर्तनकारी प्रभाव को देखें। परिचर्चा कार्यक्रम की अध्यक्षता रमेश पोखरियाल ‘निशंक‘ ने की। अन्य वक्ताओं के रूप में चक्रधर त्रिपाठी, गिरीश्वर मिश्र, गोविंद प्रसाद शर्मा, शांतिश्री धुलिपुड़ी पंडित और वी. कामकोटि उपस्थित रहे।

itehelka

Tehelka Ind, the leading news channel in India, is dedicated to delivering the latest and most accurate news to its viewers. With a team of experienced journalists and reporters, Tehelka Ind covers all aspects of news, from politics and business to entertainment and sports. Our commitment to impartiality and accuracy has made us a trusted source of news for millions of viewers across the country.

Related Articles

Back to top button