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जनजाति संस्कृति एवं कला को संरक्षित रखने कलाकारों का योगदान महत्वपूर्ण : राष्ट्रपति मुर्मु

राष्ट्रपति श्रीमती मुर्मु ने शिल्पकारों से चर्चा के दौरान कहा कि हमारी पुरानी संस्कृति एवं परम्परा को संजो कर संरक्षित रखने की जरूरत है। यहाँ के शिल्पकार इसमें अच्छा योगदान दे रहे हैं। इन्हें प्रोत्साहन देने की जरूरत है, जिससे इन्हें रोजगार के अवसर मिल सकें। राष्ट्रपति श्रीमती मुर्मु ने शिल्पकारों के आग्रह पर उनके साथ तस्वीर भी खिंचवाई। 

राष्ट्रपति श्रीमती मुर्मु ने धार जिले के कारीगर श्री मुबारिक खत्री से चर्चा के दौरान उनकी कला बाग प्रिन्ट के बारे में जानकारी ली और पूछा कि वे कब से यह काम कर रहे हैं। कारीगर मुबारिक खत्री ने बताया कि उनकी 11 पीढ़ियों से बाग प्रिंट का कार्य किया जा रहा है। वे अपनी इस कला को आने वाली पीढ़ियों को भी सिखा रहे हैं। उन्होंने कॉटन के कपड़े पर बाग प्रिंट कैसे किया जा सकता है, यह करके भी दिखाया। उन्होंने बताया कि अब बांस एवं सिल्क की साड़ियों पर भी बाग प्रिंट किया जाता है।

राष्ट्रपति श्रीमती मुर्मु को खरगोन जिले के महेश्वर के बुनकर श्री अलाउद्दीन अंसारी ने राष्ट्रीय पुरस्कार प्राप्त हथकरघा साड़ी के बारे में अवगत कराया। उन्होंने बताया कि नर्मदा नदी में दोपहर के समय सूर्य की जो किरणें पड़ती हैं और उनसे नदी में जो लहरें चमकती हैं, उन्हीं लहरों का प्रिंट हथकरघा साड़ियों की बॉर्डर पर उतारा जाता है। राष्ट्रपति श्रीमती मुर्मु इस कलाकारी से बहुत प्रभावित हुई और उन्होंने पूछा कि वे यह काम कब से कर रहे हैं। श्री अंसारी ने बताया कि उनका परिवार पीढ़ी दर पीढ़ी यह कार्य कर रहा है। वर्तमान समय में वे अपने इस कार्य से 300 से अधिक लोगों को रोजगार दे रहे हैं, जिसमें 70 महिलाएं शामिल हैं।

वर्तमान में भोपाल निवासी एवं मूलत: डिंडोरी की निवासी गोंड भित्तिचित्र की कलाकार पदमश्री श्रीमती दुर्गाबाई श्याम की कला को देखकर राष्ट्रपति श्रीमती मुर्मु बहुत प्रभावित हुई और सराहना की। उन्होंने कहा दुर्गाबाई संस्कृति एवं कला को जीवित रखने और उसे आगे बढ़ाने के लिये कार्य कर रही हैं। पद्मश्री दुर्गा बाई ने बताया कि वे बच्चों को इस कला को सीखा रही है और एक संस्था के माध्यम से अन्य लोगों को भी नि:शुल्क इस कला का प्रशिक्षण दे रही है।

राष्ट्रपति श्रीमती मुर्मु ने झाबुआ जिले के कलाकार दंपत्ति पदमश्री श्री रमेश एवं श्रीमती शांति परमार द्वारा निर्मित “झाबुआ डॉल्स” को देखकर पूछा कि क्या यह गुड़िया मिट्टी से बनाई गई है। कलाकारों ने बताया कि उनके द्वारा कपास एवं कपड़े से आकर्षक गुड़ियों का निर्माण किया जाता है। वे अपनी इस कला को जीवित रखने के लिये अन्य लोगों को भी नि:शुल्क प्रशिक्षण देते हैं। उन्होंने बताया कि बाजार और मेलों में वे जितनी गुड़िया लेकर जाते हैं, वे सभी बिक जाती हैं।

राष्ट्रपति ने खरीदी साड़ी और यूपीआई से किया डिजिटल पेमेंट

राष्ट्रपति श्रीमती मुर्मु ने मृगनयनी एंपोरियम में हथकरघा पर निर्मित साड़ियों को देखा और उनकी कलाकारी देखकर प्रसन्न हुई। वहां कार्यरत महिला कर्मचारियों से उन्होंने साड़ियों के नाम एवं पैटर्न की जानकारी ली। इस पर उन्हें चंदेरी, महेश्वरी, कॉटन एवं सिल्क की साड़ियां दिखायी गई और उनके बारे में विस्तार से बताया गया। राष्ट्रपति श्रीमती मुर्मु ने वहां की महिला कर्मचारियों से अपनी पसंद की हल्के रंग की एक साड़ी उनके लिये चुनने का अनुरोध किया। इस पर सरिता गव्हाड़े ने राष्ट्रपति के लिए हल्के पिंक रंग की महेश्वरी साड़ी पसंद कर दी। राष्ट्रपति श्रीमती मुर्मु ने इस साड़ी का काउंटर पर जाकर यूपीआई से डिजिटल भुगतान भी किया। काउंटर के कर्मचारी कविता भिलवारे एवं विपुल सिंह द्वारा डिजिटल पेमेंट जमा कराया गया। राष्ट्रपति श्रीमती मुर्मु को महिला कर्मचारी अरूणा रापोतू, साधना शुक्ला, संगीता शुक्ला, मीना चौरसिया एवं वंदना कोठारी द्वारा साड़ियां एवं सिल्क के कपड़े दिखाये गये।

राष्ट्रपति श्रीमती मुर्मु को मुख्यमंत्री डॉ. यादव ने भेंट की चंदेरी साड़ी

 राष्ट्रपति श्रीमती द्रोपदी मुर्मु के मृगनयनी एम्पोरियम इंदौर में हस्तशिल्प कलाकारों से संवाद एवं उनकी कला के अवलोकन अवसर पर मुख्यमंत्री डॉ. यादव ने भी प्रदेश की ओर से राष्ट्रपति को चंदेरी साड़ी भेंट की।

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