हमर प्रदेश/राजनीति

सांप्रदायिक सोच और वैचारिक दीवालियापन है गीता प्रेस पर कांग्रेस का विरोध : भाजपा

एक तरफ गीता प्रेस जैसी संस्था की विनम्रता है जो सम्मान का आदर करते हैं लेकिन सम्मान राशि नहीं लेते, दूसरी तरफ कांग्रेस इकोसिस्टम के लोग हैं, जो सम्मान वापसी का पाखंड भले रचते हों लेकिन राशि कभी वापस नहीं करते, यही अंतर है : साव।

रायपुर। भारतीय जनता पार्टी के प्रदेश अध्यक्ष अरुण साव ने गीता प्रेस (गोरखपुर) को महात्मा गांधी शांति पुरस्कार दिए जाने के खिलाफ कांग्रेस के विरोध को साम्प्रदायिक सोच और वैचारिक दीवालिएपन कहा है। श्री साव ने कहा कि हिन्दुत्व और सनातन धर्म से नफरत का प्रदर्शन वह पार्टी कर रही है, जो कथित मोहब्बत की दुकान के नाम पर सियासी राग अलाप रही है।

भाजपा प्रदेश अध्यक्ष श्री साव ने कहा कि गीता प्रेस देश की अत्यंत प्रतिष्ठित संस्था है, जो एक सौ साल से देश की सांस्कृतिक चेतना की ध्वजवाहक है। गीता प्रेस द्वारा प्रकाशित रामायण, रामचरित मानस, श्रीमद्भगवगद्गीता समेत अन्य धार्मिक-पौराणिक ग्रंथ व पत्रिकाएँ भारतीय समाज जीवन में धर्म-संस्कृति की अलख जगा रही हैं। श्री साव ने कहा कि गीता प्रेस द्वारा प्रकाशित श्रीमद्भगवद्गीता का महात्मा गांधी ने भी अध्ययन कर भारतीय समाज को प्रेरणा देने का कार्य किया। भारत के घर-घर में गीता प्रेस द्वारा प्रकाशित धर्मग्रंथों, पुस्तकों व टीकाओं का सहज सुलभ होना इस बात का प्रत्यक्ष प्रमाण है कि गीता प्रेस भारत की आध्यात्मिक चेतना का बड़ा प्रामाणिक केन्द्र है। सभी भारतीय अध्यात्म व संस्कृति के इस केन्द्र का सम्मान करते हैं।

श्री साव ने कहा कि पूरी प्रक्रिया का पालन करते हुए गीता प्रेस को महात्मा गांधी पुरस्कार दिया गया है, तो कांग्रेस के नेता जयराम रमेश ने इसका विरोध करके हिन्दुत्व और भारतीय आध्यात्मिक व सांस्कृतिक अवधारणा के प्रति अपने दुराग्रह और सियासी ओछेपन का परिचय दिया है।

भाजपा प्रदेश अध्यक्ष श्री साव ने सवाल किया कि गीता प्रेस को पुरस्कार देने के कांग्रेस के विरोध का क्या मतलब है? क्या कांग्रेस देश के सारे आध्यात्मिक व सनातन संस्कृति के प्रतीकों के खिलाफ सवाल उठाएगी? श्री साव ने कांग्रेस नेत्री सोनिया गांधी से सवाल किया कि क्या वह कांग्रेस के मीडिया सलाहकार जयराम रमेश की टिप्पणी का समर्थन करती हैं? छत्तीसगढ़ में रामनाम की सियासी माला जप रहे मुख्यमंत्री बघेल को भी यह स्पष्ट करना चाहिए कि क्या वह जयराम रमेश की टिप्पणी से सहमत हैं? जयराम रमेश द्वारा गीता प्रेस जैसी पावन संस्था पर किया गया हमला भारत की आध्यात्मिक परम्परा, संस्कृति, संस्कारों पर हमला है। यह हमला बताता है कि कांग्रेस में माओवादी सोच के लोग हावी हो गए हैं। श्री साव ने कहा कि गीता प्रेस कहता है कि सम्मान तो लूंगा, किंतु राशि नहीं ले पायेंगे जबकि सम्मान वापसी गिरोह के कांग्रेस समर्थक लोग कहते हैं कि सम्मान तो वापस कर दूंगा, किंतु राशि नहीं। यही अंतर भारतीय और अभारतीय तत्वों के बीच का है।

भाजपा प्रदेश अध्यक्ष श्री साव ने कहा कि गीता प्रेस ने भारत की आध्यात्मिक परंपरा को अक्षुण्ण बनाए रखने व भारतीय व वैश्विक जीवन में शांति स्थापित करने के लिए सौ वर्षों से अनथक कार्य किया है। श्री साव ने कहा कि कांग्रेस ने प्रभु श्री राम के मंदिर निर्माण को बाधित करने का कृत्य किया, अध्योध्या मामले की सुनावई में रोड़े अटकाए, तीन तलाक पर बने कानून का विरोध किया, हिन्दू परंपरा व मान्यताओं को लेकर केवल दिखावा किया, लेकिन अब तो गीता प्रेस को पुरस्कार दिए जाने पर भी कांग्रेस विषवमन कर रही है, इससे अधिक शर्मनाक कोई बात नहीं हो सकती।

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