मुख्यमंत्री के अपने क्षेत्र में डॉक्टर नहीं, तो प्रदेश के अन्य स्थानों के बदहाली की कल्पना क़ी जा सकती है : विजय बघेल
रायपुर। भारतीय जनता पार्टी के सांसद (दुर्ग) विजय बघेल ने प्रदेश की बदहाल हो चुकी स्वास्थ्य सेवाओं को लेकर प्रदेश सरकार पर जमकर हमला बोला है। श्री बघेल ने कहा कि जब मुख्यमंत्री भूपेश बघेल के अपने विधानसभा क्षेत्र में लोगों को इलाज के लिए दर-दर की ठोकरें खानी पड़ रही हों, राजधानी के अंबेडकर अस्पताल के कैंसर विभाग में 18 करोड़ की पेट स्कैन मशीन छह साल से धूल खा रही हो, राजनांदगांव के मेडिकल कॉलेज हॉस्पिटल (एमसीएच) में मरीजों को खुद खरीदकर लाने पर ग्लूकोज चढ़ती हो और आदिवासी बहुल जशपुरनगर जिले के सात-सात अस्पतालों में डॉक्टर्स नहीं हों तो ऐसी दशा में भी स्वास्थ्य सेवाओं की बेहतरी के दावे कर रही प्रदेश सरकार को चुल्लूभर पानी खोजने में लग जाना चाहिए।
भाजपा सांसद श्री बघेल ने कहा कि पाटन विधानसभा क्षेत्र के झीट स्थित सामुदायिक स्वास्थ्य केन्द्र में 8 डॉक्टर्स में से अब सिर्फ 4 डॉक्टर्स ही शेष रह गए हैं, जिसके चलते मरीजों को समुचित चिकित्सा सुविधा उपलब्ध नहीं हो पा रही है। श्री बघेल ने कहा कि हालात इतने बदतर हो चले हैं कि स्वयं मुख्यमंत्री के अपने विधानसभा क्षेत्र तक में पर्याप्त डॉक्टर्स नहीं हैं तो प्रदेश के अन्य स्वास्थ्य केन्द्रों की बदहाली का सहज ही अनुमान लगाया जा सकता है। उन्होंने कहा कि कांग्रेस के भीतर चल रही सर-फुटव्वल को ठीक करने में ही व्यस्त कांग्रेस सरकार स्वास्थ्य सेवाओं को दुरुस्त करने के बजाय झूठे दावे करके प्रदेश को गुमराह और जनस्वास्थ्य के साथ खिलवाड़ करने में लगी है।
भाजपा सांसद श्री बघेल ने कहा कि राजधानी स्थित प्रदेश के सबसे बड़े अस्पताल अंबेडकर अस्पताल में भी भर्राशाही अपने चरम पर है। यहां कैंसर की जांच के लिए 18 करोड़ रुपए में खरीदी गई पेट स्कैन (पोजीट्रान एमिशन टोमोग्राफी) मशीन लगभग 6 वर्षों से धूल खा रही है और यहां आने वाले कैंसर मरीजों को 25 हजार रुपए तक खर्च करके निजी अस्पतालों में जांच करानी पड़ रही है। ऐसी दशा में गरीब मरीज जांच और इलाज के अभाव में जिंदगी दाँव पर लगाने को मजबूर हैं। श्री बघेल ने आश्चर्य व्यक्त किया क इस मशीन से जांच शुरू करने की अनुमति के लिए अब तक कई बार फाइल सचिवालय पहुंच चुकी है, लेकन अब तक यह अनुमति नहीं मिल पाई है।
भाजपा सांसद श्री बघेल ने कहा कि प्रेदश सरकार ने सरकारी अस्पतालों में कैशलेस इलाज शुरू करने के दावे तो खूब किए लेकिन जमीनी सच इन दावों की धज्जियाँ उड़ा रहा है। राजनांदगांव के मेडिकल कॉलेज हॉस्पिटल में तो ग्लूकोज की सलाइन तक मरीजों या उनके परिजनों को बाजार से खुद खरीदकर लाने को कहा जाता है, तभी मरीजों को ग्लूकोज चढ़ पाता है। मरीजों व उनके परिजनों के साथ यहाँ बदसलूकी आम बात हो चली है। सीटी स्कैन की मशीन नहीं होने के कारण मरीजों को भटकना पड़ रहा है। भाजपा सांसद श्री बघेल ने कहा कि आदिवसियों के नाम पर सियासी ढिंढोरा पीटती प्रदेश की कांग्रेस सरकार आदिवासी-विरोधी चरित्र स्वास्थ्य के मामले में सामने आया है। श्री बघेल ने जशपुर नगर का जिक्र करते हुए कहा कि नियमत: प्राथमिक स्वास्थ्य केन्द्रों में न्यूनतम एक डॉक्टर की पदस्थापना अनिवार्य है लेकिन इस जिले के 7 प्राथमिक स्वास्थ केन्द्रों में एक भी डॉक्टर पदस्थ नहीं हैं और सुदूर ग्रामीण इलाकों में स्थित ये सारे स्वास्थ्य केन्द्र नर्सों के भरोसे चल रहे हैं। पीएचसी चंपा, सन्ना, आस्ता, पैकू, सुरंगपानी, घाघरा और छिछली के ये प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र महज उपस्वास्थ्य केन्द्र बनकर रह गए हैं। कई सालों से वहां ग्रामीणों की मांग के बावजूद प्रदेश सरकार एक-एक डाक्टर तक पदस्थ नहीं कर पाई है। इसी प्रकार दोकड़ा में एक डॉक्टर सप्ताह में तीन दिन अपनी सेवा देने पहुंच रहे हैं।
श्री बघेल ने कहा कि ग्रामीणों को अपने इलाज के लिए 50-50 किमी की दूरी तक करनी पड़ती है। भाजपा सांसद श्री बघेल ने स्वास्थ्य सेवाओं को लेकर प्रदेश सरकार के दावों को खोखला बताते हुए कहा कि झूठी शेखियां बघारती प्रदेश सरकार को इस बात पर शर्म महसूस होनी चाहिए कि प्रदेश में स्वास्थ्य सेवाएं बदहाल हैं और प्रदेश सरकार जनस्वास्थ्य से खिलवाड़ करने तथा घोटालों-भ्रष्टाचार से तिजोरियाँ भरने में मगन है।