दूषित पानी पीने को मजबूर हैं नगरवासी, करोड़ों की योजनाएं धरातल पर शून्य
मनेन्द्रगढ़ जिला मुख्यालय में घरों में दी जा रही गंदे पानी की सप्लाई
मनेंद्रगढ़ @ अशोक श्रीवास्तव। एमसीबी जिला मुख्यालय में इन दिनों शहर के लोग अशुद्ध गंदा पानी पीने को मजबूर है लेकिन कोई इनकी सुध लेने वाला नही है जिला मुख्यालय के शहर से निकली हसिया नदी भले ही पूरे साल गंदगी से भरी रहती हो लेकिन मनेन्द्रगढ़ नगर की जीवन दायनी नदी के नाम से संबोधित करें तो बिल्कुल इसमे कोई मजाक वाली बात नही होगी । भले ही हसिया नाम के नाले को लोग नदी के नाम से संबोधित कर रहे हो लेकिन ये नदी पूरा वर्ष नगरवासियो के मैला गंदगी ढोने का काम करती है । इतना ही नही इस नदी का बहाव आज भी हसदेव नदी में जुड़ने की वजह से सदियों हसिया नदी हसदेव नदी के पानी को भी पूर्ण रुप से दूषित करते चली आई है । परंतु इन सभी जानकारियो के बाद ही दूषित हसिया नदी के अंतिम छोर से चंद कदमो की दूरी पर मनेन्द्रगढ़ नगर पालिका के द्वारा शहर की जलापूर्ति करने के लिए इंटकवेल लगाया गया है । जंहा से पानी शहर में पेयजल आपूर्ति के लिए उठाया जाता है । जिसे जीवन जीने के लिए नगरवासी इस विषैले पानी को पीकर अपनी प्यास बुझाते है । वंही इस बीच बारिश के चलते नगर को पानी पिलाने वाली हसिया नदी में सिल्ट व गंदगी बहकर आने से पानी मटमैला हो गया है। यही गंदा पानी नलों के जरिये लोगों के घरों तक पहुंच रहा है। उपभोक्ता गंदा पानी पीने को मजबूर हैं। ऐसे में उदर संबंधी व संक्रामक रोगों की आशंका बढ़ गई है।
पिछले कुछ समय से आए दिन क्षेत्र में बारिश का क्रम चल रहा है। ऐसे में हसिया नदी में सिल्ट व गंदगी बहकर आ रही है। वंही नगरीय जलापूर्ति के माध्यम से यह गंदगी लोगों के घर तक पहुंच रही है। गंदा पानी सप्लाई होने से लोग परेशान हैं। नदी के जल में गंदगी इतनी है कि जल पूरी तरह फिल्टर नहीं हो पा रहा है। लोग यह दूषित पानी ही पीने को मजबूर हैं। कई लोग दूषित पानी से बचने के लिए दूर स्रोतों से पेयजल ला रहे हैं। पहले जलापूर्ति बाधित होने से लोग परेशान रहे, तो अब दूषित जल परेशानी की वजह बन गया। बहरहाल दूषित जल से जल जनित रोग होने की संभावना बढ़ गई है।
जबकि जल आपूर्ति विभाग के अधिकारी इस संबंध में कुछ बोलने को तैयार नहीं है क्योंकि यह बात किसी से नहीं चुकी है कि इन दिनों शहर में जो भी जलापूर्ति काफी समय से की जा रही है उसमें एक नाला जुड़ा हुआ है जिसका विषैला पानी शहर वासियों को जलापूर्ति के माध्यम से उपलब्ध कराया जा रहा है जबकि इस मौसम में जल जनित रोगों की संभावना बढ़ जाती है। दूषित जल से परहेज करना ही समझदारी है। ऐसे में उदर व संक्रामक रोगों की आशंका बलवती रहती है। पानी को उबाल कर इस्तेमाल करना ही हितकर है । वहीं सरकार द्वारा संबंधित समस्या का समाधान एवं नगर वासियों को सही पानी उपलब्ध कराने के नाम पर करोड़ों के प्रोजेक्ट के माध्यम से पैसा पानी की तरह बहाया जा चुका है परंतु जमीनी स्तर पर नगर वासियों को कितना शुद्ध सप्लाई के माध्यम से पेयजल उपलब्ध हो पाता है यह तो यह नगरी क्षेत्र में लगे सप्लाई नलों का पानी पीने के बाद ही पता लगाया जा सकता है वहीं अब देखना यह है कि शासन प्रशासन इस ओर कितना ध्यान देता है या फिर योजनाएं सिर्फ पैसा ही खर्च करती रहेंगी और नगरवासी दूषित जल पीने को विवश होते रहेंगे।