हमर प्रदेश/राजनीति

राजनीति बंद कर कर्मा परिवार को न्याय दिलायें मुख्यमंत्री – अरुण साव

रायपुर। भारतीय जनता पार्टी के प्रदेश अध्यक्ष अरुण साव ने जगदलपुर के कांग्रेस सम्मेलन में मुख्यमंत्री भूपेश बघेल के स्व. महेन्द्र कर्मा को याद कर कथित भावुक होने के प्रसंग का हवाला देते हुए कहा है कि यदि उनमें स्व. महेन्द्र कर्मा के प्रति सम्मान और संवेदना है तो उन्हें कर्मा परिवार के उस आग्रह को तुरंत मानना चाहिए, जिसमें स्व. कर्मा के पुत्र छबीन्द्र कर्मा ने प्रदेश के मौजूदा मंत्री और झीरम नरसंहार के चश्मदीद कवासी लखमा का नार्को टेस्ट कराने की मांग की थी। शहीद महेंद्र कर्मा को याद करके मुख्यमंत्री बघेल झीरम घाटी नरसंहार के दोषियों को सीखचों में कैद कराने के लिए ठोस पहल करें।

भाजपा प्रदेश अध्यक्ष श्री साव ने कहा कि स्व. महेन्द्र कर्मा ‘बस्तर टाइगर’ कहे जाते थे और छत्तीसगढ़ में नक्सलियों के विरुद्ध उनका जज्बा लोगों को उत्साह से भर देता था। ऐसे जांबाज नेता की याद में आंखें नम होना स्वाभाविक है, लेकिन अपनी जेब में रखे सबूतों और तथ्यों को सार्वजनिक करके झीरम मामले की जाँच को निर्णायक बिन्दु तक पहुँचाने में सहयोग करेंगे तो यह स्व. कर्मा और झीरम के शहीदों के प्रति सच्ची श्रद्धांजलि होगी। मुख्यमंत्री बघेल इस दिशा में ठोस पहल करके झीरम के कातिलों को सजा दिलाएं। श्री साव ने कहा कि स्व. कर्मा के लिए आँसू बहा रहे मुख्यमंत्री बघेल ने झीरम घाटी के नरसंहार के बाद वहां से सकुशल लौटने वाले कवासी लखमा को तो अपनी आँखों का तारा बना रखा है और स्व. कर्मा की याद में टसुए बहा रहे हैं!

भाजपा प्रदेश अध्यक्ष श्री साव ने कहा कि प्रदेश का राजनीतिक परिदृश्य साक्षी है कि किस तरह जीते-जी स्व. कर्मा को कांग्रेस में बुरी तरह अपमानित किया जाता था उनकी निष्ठा पर सवाल उठाये जाते थे। आज झीरम मामले की जांच में अपनी महती भूमिका निभाने के बजाय मुख्यमंत्री बघेल लगभग दशक भर से इस मुद्दे पर राजनीति करके स्व. कर्मा व अन्य दिवंगत नेताओ की शहादत का भी घोर अपमान कर रहे हैं। श्री साव ने कहा कि अगर मुख्यमंत्री बघेल में स्व. कर्मा और उनके परिवार के प्रति इतनी ही संवेदना है तो स्व. कर्मा के पुत्र का आग्रह स्वीकार कर वे मंत्री कवासी लखमा का तुरंत नार्को टेस्ट कराएँ अन्यथा आँसू बहाने का सियासी प्रपंच रचने से बाज आएँ। श्री साव ने कहा कि सबसे दु:खद यह है कि जो भी बात राजनीतिक रूप से मुख्यमंत्री स्वयं कहने में डरते हैं, उसे वे कवासी लखमा के मुंह से कहलाकर प्रदेश का माहौल खराब करते हैं। इस तरह एक आदिवासी के कंधे का इस्तेमाल भी अनुचित है। मुख्यमंत्री बघेल को ऐसा करने से भी बचना चाहिए।

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