भोपाल। मध्यप्रदेश के मुख्यमंत्री मोहन यादव दिल्ली दौरे के दौरान बीजेपी अध्यक्ष जेपी नड्डा और केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह से मुलाकात किए। मुलाकात के दौरान कई मुद्दों पर चर्चा हुई। उनकी मुलाकात के साथ ही एमपी में हलचल तेज हो गई है। खासकर उन नेताओं में जो निगम और बोर्ड में कुर्सी पाने के इंतजार में बैठे हैं। इन्हें राज्य और कैबिनेट मंत्री का दर्जा मिलता है। हालांकि, अटकलें हैं कि इसके लिए लोगों को अभी इंतजार करना पड़ेगा। सदस्यता अभियान के बाद ही ये सरकारी नियुक्तियां होंगी।
मुख्यमंत्री मोहन यादव ने पहले ही कहा है कि जो लोग सदस्यता अभियान में अच्छा काम करेंगे, उन्हें इनाम दिया जाएगा। बीजेपी ने संगठन चुनाव का कार्यक्रम 10 नवंबर तक के लिए जारी कर दिया है। यानी अब नेताओं को मंत्री पद के लिए नवंबर के बाद ही मौका मिल पाएगा। पिछले हफ़्ते ही मंत्रियों को उनके प्रभार वाले जिलों की कमान सौंपी गई है। अब सभी नेता सरकारी उपक्रमों में नियुक्तियों के लिए जोर-शोर से जुट गए हैं। फरवरी में मोहन सरकार ने एक आदेश जारी कर 45 अध्यक्षों और उपाध्यक्षों (कैबिनेट मंत्री दर्जा प्राप्त) को हटा दिया था। ये सभी नियुक्तियां पिछली शिवराज सरकार ने की थीं। कुछ लोगों को तो अपने पद पर कुछ महीने ही हुए थे।
मुख्यमंत्री मोहन यादव ने इस बारे में कहा है कि सदस्यता अभियान में कमाल दिखाने वालों को उपकृत किया जाएगा। निगम-मंडल के लिए दावेदारी कर रहे नेताओं में जीतू जिराती, सीमा सिंह, कांतदेव सिंह, शर्देन्दु तिवारी, शैलेंद्र शर्मा, रजनीश अग्रवाल, यशपाल सिंह सिसोदिया, सुनील पांडे, कृष्णमोहन सोनी, राहुल कोठारी, अमिता चपरा, जितेंद्र लिटौरिया, आशुतोष तिवारी, विजय दुबे, संजय नगाइच, शैलेंद्र बरुआ, दिलीप शेखावत, धीरज पटैरिया, जसवंत सिंह हाड़ा, हरिवल्लभ शुक्ला और पुष्कर सिंह शामिल हैं।