कांकेर @ धनंजय चंद। पहली, दूसरी , कक्षा से तीसरी चौथी ,पांचवीं एवं अन्य समस्त कक्षाओं में बंग्लाभाषा की पाठ्यक्रम, पुस्तक छत्तीसगढ़ पाठ्यपुस्तक निगम कि प्रकाशन में मुद्रित कर प्रकाशित तथा बंगला भाषा कि रिक्त पदों में शासन द्वारा शिक्षकों कि नियुक्ति करने की मांग पर राज्यपाल, मुख्यमंत्री ,शिक्षा मंत्री, स्वास्थ्य मंत्री मुख्य सचिव के नाम अनुविभागीय (रा.) अधिकारी,खण्ड शिक्षा अधिकारी पखांजूर के हाथो ज्ञापन सौंपा ।समिति अध्यक्ष अजित मिस्त्री ने कहाँ है कि मातृभाषा में शिक्षा प्रदाय हेतु बांग्लाभाषा की पुस्तक छत्तीसगढ़ पाठ्यपुस्तक निगम के प्रकाशन में मुद्रित होकर प्रकाशित हुआ है। बांग्ला भाषा की पुस्तक छत्तीसगढ़ पाठ्यपुस्तक निगम के प्रकाशन में प्रकाशित करने का महत्वपूर्ण मांग मातृभाषा बांगला एवं शिक्षा संग्राम समिति का राज्य सरकार ने पुरी किये है।उक्त मांग पूरी करने हेतु शिक्षा संग्राम समिति ने राज्य सरकार एवं मुख्यमंत्री महोदय जी,शिक्षा मंत्री ,स्वास्थ्य मंत्री महोदय जी को तहदिल से धन्यवाद किया। पहली कक्षा में बांग्ला भाषा का स्वर-वर्णमाला, व्यांजन वर्णमाला, र-फला, ज-फला, इत्यादि बांग्ला भाषाशैली जोड़े जाए।
बांग्लाभाषा ऐतिहासिक तमाम परिघटनाओं के साथ बांग्ला एक स्वतंत्र भाषा है।समाज सुधारक,राजा राम मोहन राय ,बांग्ला वर्णमाला के जनक शिक्षाविद ईश्वर चन्द्र विद्यासागर, कवि गुरु रविन्द्रनाथ टैगोर विश्व कवि,महान साहित्यिक शरतचंद्र चटर्जी,महान वैज्ञानिक जगदीश चन्द्र बोस आदि ने दुनिया में बांग्ला भाषा को और उन्नत कि शिखर पर ले गये आज दुनिया कि सबसे मधुर भाषा में वशीभूत है। इसलिए बांग्ला भाषा को बोली भाषा के रूपमे देखाना गैर-प्रासंगिक होगी।बंगला भाषा परिपूर्ण भाषा के रूपमे माना जाए एवं लिखा जाऐ तथा स्वतंत्र बंगला भाषा की पुस्तकें अलग मुद्रित करें एवं बंगला भाषा में शिक्षा दिया जाए।अन्यथा शासन – प्रशासन द्वारा स्वतंत्र बंगला भाषा की त्योंहीन करने जैसे स्वभाविक क्रिया होगी।परिक्षा परिणाम की अंक सुची में बांग्ला भाषा के लिए अलग से कलम छोड़े जाए। राज्य के अनेक जिलों में एवं अशासकीय स्कूलों में बांग्लाभाषा की पुस्तक वितरण नहीं किया गया हैं । वर्तमान वर्ष में छत्तीसगढ़ के सरगुजा,रायपुर, बस्तर, दंतेवाड़ा, कोण्डागांव आदि बांग्ला भाषा-भाषी निवासियों की स्कूलों में भी भविष्य पीढ़ीओं को प्राथमिक शाला कि शिक्षा में मातृभाषा बांग्ला भाषा कि माध्यम से शिक्षा प्रदाय करने हेतु, छत्तीसगढ़ शासन का मुद्रित बंग्ला-भाषा की पुस्तके आवश्यकतानुसार राज्य के समस्त शासकीय एवं गैर-शासकीय स्कूलों में भी बांग्ला भाषा की पुस्तक वितरण किया जावें।
हिन्दी भाषा की पुस्तकों में भी हिन्दी वर्णमाला स्वर वर्णमाला मात्राएं आदि का अक्षर ज्ञान के पश्चात संयुक्त अक्षर जोड़ कर सरल शब्दावली का ज्ञान प्राप्त करने के बाद बाल कविता कहांनियों को क्रमशः एक कतार बद्ध रुप में वर्णमाला को रखा जाये। जिससे शिशुओं को ज्ञान- विज्ञान आधारित प्राथमिक स्तर की शिक्षा का नींव मजबुत हों। .शैक्षणिक वर्ष 2023-2024 में, पहली दुसरी कक्षा से तिसरी चौथी पांचवीं एवं अन्य समस्त कक्षाओं में बंग्लाभाषा की पाठ्यक्रम, पुस्तक छत्तीसगढ़ पाठ्यपुस्तक निगम कि प्रकाशन में मुद्रित कर प्रकाशित तथा बंगला भाषा कि रिक्त पदों में शासन द्वारा शिक्षकों कि नियुक्ति दिया जाए।
बांग्लाभाषा एवं मातृभाषा में पढ़ाने के हेतु स्थानीय बोली भाषा की शिक्षकों कि नियुक्त किया जाए तथा मातृभाषा बांग्ला में 195 शिक्षकों ने महिनों सेवा प्रदान कि उन्हे शिक्षक भर्ती की पात्रता में बोनस अंक व अग्राधिकार दिया जाए।. हिन्दी और बांग्लाभाषा पुस्तक को एक साथ जोड़ने के बजाए बांग्लाभाषा की पुस्तक की मुद्रन हिन्दी -बांग्ला अलग-अलग पुस्तकों के रुप में मुद्रित करे़ं एवं अलग बाइंडिंग किया जाए।. महाराष्ट्र की विश्वविद्यालय के तर्ज पर छत्तीसगढ़ की विश्वविद्यालय में भी बांग्लाभाषा में स्नातक स्तर की शिक्षा प्रदाय करने की व्यावस्था किया जाए एवं बंग्ला भाषा बोर्ड गठन किया जाए ।
छत्तीसगढ़ माध्यमिक शिक्षा मण्डल के तर्ज पर भाषा शिक्षा का एक मण्डल गठण किया जाए एवं भाषा मण्डल में भाषाविद् के साथ बांग्ला भाषाविदों को सदस्य बनाया जाय।. शिक्षा प्रणाली में पास फेल की व्यवस्था पुनः लागू किया जाए आदि।. मातृभाषा एवं बांग्लाभाषा में पढ़ाने के लिए 1989 के पश्चात बांगला भाषा की खाली परें समस्त स्कूलों में बांगला भाषा की शिक्षकों कि नियुक्त तत्काल किया जाए।.प्रत्येक कक्षा की अंक सुची में एवं ऑनलाइन एट्री पोटल में मातृभाषा बांगला कि प्राप्त अंक लिखने हेतु जगह (स्थान) हो जाए। इस अवसर पर दीपमाला, गोलक,गोपाल, मानिक,पलास ,रुपन, प्रदीप, सुजन, अशोक,अखिल, बिष्णु, ऋषिकेश, संजय, बिरेन,अनिमेष, अजित आदि उपस्थित रहे।